टीएनजी डेस्क (TNP DESK):-छत्तीसगढ़ में भंयकर नक्सल ऑपरेशन चल रहा है. यह इतना भयानक और खूंखार ऑपरेशन सुरक्षा बल चला रहे हैं कि माओवादियों के तो पांव ही उखड़ गये हैं. हालांकि, अभी भी यह अभियान  थमा नहीं है, बल्कि और तेज होने की संभावना जताई जा रही है. खासकर नक्सलियों के सेंट्रल कमेटी के जनरल सेक्रेटरी बसवा राजू समेत 27 नक्सलियों के अंत के बाद तो एक तरह से एलान ए जंग ही हो गया है. अबूझमाड़ के जंगलों में डीआरजी जवानों ने मुठभेड़ में नक्सलियों को भारी नुकसान पहुंचाया था. एक तरह से ये एनकाउंटर काफी खूंखार और भीषण था. इस ऑपरेशन में माओवादियों का पलड़ा कमजोर दिखलाई पड़ने लगा है.

बसवा राजू की मौत से नक्सलियों को लगा झटका  

माओवादियों के टॉप लीडर बसवा राजू की मौत के बाद एक तरह से यह संघर्ष अब और खतरनाक होने के आसार जताए जा रहे हैं.क्योकि राजू एक बुजुर्ग और अनुभवी नेता होने के साथ-साथ एक बुनियाद की तरह संगठन में थे. उनके यकायक मुठभेड़ में मारे जाने के बाद तगड़ा झटका नक्सली संगठन को लगा है.इस दौरान बस्तर आईजी सुंदर राज ने तो खुलेआम नक्सली लीडर्स को चेतावनी दे डाली है . उनका कहना नक्सलियों के टॉप कमांडर गणपति, सुजाता, देवा जी और माडवी हिडमा के पास अभी भी वक्त है. हिंसा का रास्ता छोड़ दे नहीं तो अंजाम बसवा राजू से भी भयानक होगा, क्योकि इसके लिए उनके सुरक्षाबल तैयार हैं.

आईजी सुंदरराज ने बताया कि बसवा राजू की मौत के बाद माओवादियों के केन्द्रीय कमिटी मेंबर, पोलित ब्यूरो सदस्य और जिला कमिटी मेंबर्स की तमाम जानकारी सुरक्षा बलों के पास है. जिसमे गणपति, देवजी, डी सुजाता, हिड़मा और सोनू सुरक्षा बलों की हिट लिस्ट में है. इसलिए उनकी अपील माओवादी संगठन के लीडर से है कि वह हिंसा का रास्ता छोड़कर सरेंडर कर दे और समाज की मुख्यधारा से जुड़े, नहीं तो अंजाम बसवा राजू से कही ज्यादा भयानक होगा क्योंकि इस मिशन उनके सुरक्षाबल लगे हुए और लगातार घेराबंदी कर रहे हैं.

पुलिस के पास नक्सलियों की सारी जानकारी

बस्तर आईजी ने ये भी बताया कि प्रतिबंधित संगठन सीपीआई के केन्द्रीय कमेटी पोलित ब्यूरो और जिला कमेटी मेंबर्स को मिलाकर 35 से 40 सदस्य हुआ करते थे. लेकिन सुरक्षाबलों के लगातार चल रहे ऑपरेशन के बाद कई सदस्य मारे जा चुके हैं. उनका कुनबा सिकुड़ता औ बिखरता जा रहा है. अब इनमे कुल 12 से 15 सदस्य ही बचे हुए हैं. जिनकी पूरी जानकारी पुलिस के पास है. उनका कहना बिल्कुल साफ था कि अभी भी उनके जवान जंगलों के अंदर तक घुसकर नक्सलियों के खिलाफ लगातार ऑपरेशन चला रहें हैं. जिसमे डीआरजी, एसटीएफ, बस्तर फाइटर्स , कोबरा, आईएसबीपी और छत्तीसगढ़ पुलिस के जवान है

गांव वाले भी सुरक्षाबलों को कर रहें मदद  

 सुंदरराज ने एक बात और साझा किया कि पहले गांव वाले नक्सलियों से डरा करते थे और उन्हें मदद किया करते थे. अब इसे लेकर काफी बदलाव हुए हैं. सुरक्षाबलों ने नक्सलियों को मारकर गांव वालों को उनके दमन से मुक्त कराया है . इससे बाद से गांव वाले सुरक्षबलों को सपोर्ट करने लगे हैं, जिनके जरिए भी कई अहम जानकारियां मिल रही है . उनकी कोशिश यही है कि सरकार जो विकास कर रही है , वो इन नक्सल प्रभावित गांवों तक पहुंचे. जिससे उनकी जिंदगी बदले.

अगले साल मार्च तक नक्सलियों को खत्म करने का टरगेट

 बस्तर आईजी ने पूरे आत्मविश्वस से लबरेज होकर कहा कि केन्द्रीय गृह मंत्री ने जो अगले साल मार्च तक नक्सलियों के साफाये के लिए समय दिया है. लेकिन, भरोसा है कि उससे पहले छत्तीसगढ़ में माओवादियों का खात्मा हो जाएगा. खसकर बस्तर के सभी जिलों से नक्सलवाद से मुक्त कर दिए जाएंगे. इसके बाद बस्तर नक्सलवाद के तौर पर नहीं बल्कि पर्यटन, आदिवासी परंपरा और इको टूरिज्म के तौर पर मशहूर होगा .

लाजमी है कि माओवादियों का कुनबा नक्सल ऑपरेशन में अहिस्ते-अहिस्ते सिमट रहा है. कुछ माओवादियों ने आत्मसमर्पण कर समाज की मुख्यधारा से भी जुड़ने का कदम उठाया है. ऐसे में माओवादियों की ताकत अब कमजोर दिखलाई पडने लगी है. उनका अब वो दबदबा औऱ धाक दिखलाई नहीं पड़ता. जो कभी एक से देढ़ दशक पहले था. अब देखना यही है कि क्या जो टारगेट भारत सरकार ने अगले साल मार्च तक देश में नक्सलवाद का अंत करने के लिए रखा है. वो सचमुच सच हो पायेगा.