टीएनपी डेस्क (Tnp Desk):- नक्सलियों के खात्मे के लिए लगातार सुरक्षाबलों का अभियान जोर-शोर से चल रहा है. इस ऐतिहासिक अभियान में अगले साल मार्च तक माओवादियों का वजूद मिटने का संकल्प लिया गया है. इसमे सफलता भी मिली है, जब नक्सलियों के सबसे  बड़े नेता और पोलित ब्यूरो के सदस्य रहे बसवा राजू को अबूझमाड़ के जंगलों में मौत के घाट उतार दिया गया. बस्तर इलाके में माओवादियों की रिढ़ माने जाने वाले इस खूंखार नक्सली को गोलियों से छलनी कर दिया गया. इस बुजुर्ग नेता के अंत के बाद नक्सलियों में खौफ के साथ-साथ एक बदले की भी भावना भी हिलोरे मार रही है. लेकिन, अभी उनके हालात बैकफुट पर ही दिख रहें हैं.  

बसवा राजू के एनकाउंटर से लगा तगड़ा झटका

अभी बस्तर में अभियान लगातार चल रहा है. कुछ दिन पहले नक्सलियों के ही एक बड़े लिडर और शिक्षा विभाग के इंचार्ज और करोड़ के इनामी नक्सली सुधाकर बाबू को भी ढेर कर दिया गया. लगातार माओवादियों के गढ़ में घुसकर उनके नामचीन नामों के मौत की नींद सुलाने के बाद, संगठन कमजोर तो हुआ ही है. इसके साथ ही अब वजूद बचाने का संकट आ गया है. सुरक्षाबलों ने शानदार कमायाबी तो हासिल की. लेकिन अभी भी कुछ बड़े नाम जंगलों में मौजूद है, जो छुप रहे हैं और खुद को महफूज रखने के लिए लगातार अपना ठिकाना बदल रहे है. जिसमे गणपति, देवा,दामोदर, सुजाता और माडवी हिड़मा की सबसे ज्यादा तलाश है.

सुरक्षाबलों की हिट लिस्ट में सबसे बड़ा नाम खूंखार नक्सली माडवी हिड़मा और सांरडा के जंगलों में छुपे मिसिर बेसरा है. इन दोनों पर करोड़ रुपए से उपर का इनाम रखा गया है. ये दोनों नक्सलियों के बड़े लीडर्स तो हे ही. जो अभी भी एक चुनौती बने हुए हैं. छत्तीसगढ़ के बस्तर में माडवी हिड़मा की सल्तनत चलती है, तो झारखंड के कोल्हान इलाके औऱ सारंडा के घनघोर जंगलों में मिसिर बेसरा अपने अभियान को ऑपरेट करता है.

ये दोनों नक्सलियों को विशेष टारगेट पर रखा गया है. अगर इन्हें नेस्तानाबूत करने में कामयाबी मिलती है. तो लाजमी है कि एक बहुत बड़ी सफलता सुरक्षबलों को मिलेगी. इसके साथ ही नक्सल संगठन को एक तगड़ा झटका लगेगा. चलिए इन दोनों नक्सली कितने खूंखार औऱ दुर्दात हैं. तफसील से एक-एक करके बताते है.

हिट लिस्ट में मांडवी हिड़मा  

पहले बात हिड़मा की करते हैं , दरअसल बस्तर में नक्सल आतंक का पर्याय माड़वी हिड़मा बन चुका है. पिछले तकरीबन तीन दशक से सुरक्षा एजेंसियां उसकी तलाश में जुटी हुई है. हिड़मा के लिए सुकमा उसका गढ़ माना जाता है और यहां पर होने वाली सभी नक्सल गतिविधियों पर उसकी निगेहबानी रहती है. बताया जाता है कि हिड़मा ने 1990 में ही 16 साल की उम्र में हथियार थाम लिया था. छोटे कद काठी का ये लड़का छोटे सी उम्र में ही बड़े कारनामे करने लगा था. उसने कई बड़ी मुठभेड़ की खुद ही अगुवाई की . साल 2010 के बाद बस्तर में हुई प्रमुख मुठभेड़ों का मास्टर माइंड वही रहा है. वह जवानों को एंबुश में फंसाने में भी माहिर माना जाता रहा है .  अब तक उसने सैकड़ों जवानों की हत्या की है. पीएलजीए बटालियन नंबर एक को नक्सलियों का सबसे मजबूत बल माना जाता है. इसकी अगुवाई पहले हिड़मा ही किया करता था. अब वह सेन्ट्रल रीजनल कमेटी का नेतृत्व कर रहा है. वहीं अब पीजीएलए की अगुवाई देवा के हाथों में है. एक करोड़ के इनामी हिड़मा की तलाश डीआरजी, एसटीएफ और कोबरा जवान पूरी सरगर्मी से जुटे हुए हैं.

सारंडा के जंगलों में मिसिर बेसरा की तलाश तेज

झारखंड के सारंडा के घने जंगलों और कोल्हान के इलाकों में मिसिर बेसरा की सल्तनत चलती है. उसके सफाये के लिए लगातार कोबरा, सीआरपीएफ, झारखंड पुलिस के जवान लगे हुए है. मिसिर बेसरा उर्फ भास्कर उर्फ सागर इस इलाके में माओवादियों का सबसे बड़ा नेता है. जो इतना शातिर औऱ तेज है कि उसकी निगेहबानी में ही नक्सल गतिविधियां इस इलाके चलती है. उस पर झारखंड समेत कई राज्य की सरकारों ने एक-एक करोड़ तक का इनाम रखा है. वह नक्सली संगठन के पोलित ब्यूरो का सदस्य भी है. उसके बारे में बताया जाता है कि मिसिर बेसरा झारखंड के ही गिरिडीह जिला के मदनडीह का रहने वाला है. ओडिशा औऱ पश्चिम बंगाल पुलिस की दबिश के चलते वह कोल्हान और सारंडा के जंगलों को अपना बसेरा बनाए हुए हैं. वह यही से नक्सल ऑपरेशन को ऑपरेट कर रहा है. हालांकि, अभी जिस तरह से अभियान तेज हुआ है. उससे उस पर काफी दबाव और दबिश है. इसिलिए लगातार अपना ठिकाना बदल रहा है. हाल ही में सुरक्षा बलों ने उसके बंकर को भी धवस्त किया था. हालांकि, वह बचाकर भागने में कामयाब हुआ. उस पर बिहार, झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल में भी कई मामले दर्ज हैं.मिसिर बेसरा के बारे में बताया जाता है कि उसकी सुरक्षा इतनी चाक चौबंद और सख्त रहती है कि उसके चारो तरफ एके 47 हथियार लेकर जोनल कमांडर स्तर के नक्सली तैनात रहते हैं. जहां किसी के लिए फटकना या पहुंचना आसान नहीं है. इतना ही नहीं जहां भी वह रहता है उस इलाके के पांच से दस किलोमीटर के दायरे में बारुदी सुंरग बिछाकर छावनी में तब्दील कर दी जाती है. ताकि उसकी हिफाजत की जा सके.

छत्तीसगढ़ का आतंक माडवी हिड़मा औऱ झारखंड का कुख्यात नक्सली मिसिर बेसरा दोनों ही हिट लिस्ट में है.  देखना यही है कि सरकार ने अगले साल मार्च तक माओवाद को देश से पूरी तरह खत्म करने प्लान बनाया है. इस दौरान इन दोनों नक्सलियों का क्यो होता है. क्या वे जिंदा बचते हैं या फिर इनका अंत हो जाएगा. इस पर सभी की नजर रहेगी.