टीएनपी डेस्क (Tnp desk):- नक्सलियों के खिलाफ देश भर में लगातार एंटी नक्सल ऑपरेशन चल रहा है. खासकर छत्तीसगढ़, झारखंड, तेलंगाना-आंध्रप्रदेश की सीमा, बिहार और मध्यप्रदेश में नक्सलियों के खिलाफ लड़ाई सुरक्षा बल लड़ रहें है. इतिहास के इस सबसे बड़े अभियान में ब़ड़ी-बड़ी अप्रत्याशित सफलता फोर्स को मिली. बसवा राजू, सुधाकर, चलपति जैसे नामचीन और करोड़ों के इनामी माओवादी लीडर्स काल के गाल में समा गये. हालत नक्सलियों के इस कदर खराब हो गयी कि अब वो खुद के वजूद को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.
मॉनसून में भी चलेगा एंटी नक्सल ऑपरेशन
अभी मॉनसून का मौसम चल रहा है, इस दरमियान नक्सलियों के खिलाफ अभियान नहीं चलते थे, क्योंकि जंगलों में बारिश के चलते हालात काफी मुश्किल औऱ विपरीत हो जाते है, क्योंकि बरसात के चलते उफनते नदी-नाले,किड़े-मकोड़े और घने जंगल में कठीन हालत बन जाते हैं. लिहाजा, ऑपरेशन करना आसान नहीं होता. हालांकि, इस बार ऐसा नहीं होने वाला है, बल्कि भरे बरसात में भी नक्सलियों को ढूंढा जाएगा.
केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने छत्तीसगढ़ दौरे पर आने के बाद साफ-साफ एलान कर दिया कि मॉनसून के मौसम में भी नक्सलियों के खिलाफ लड़ाई जारी रहेगी. वे अगर हथियार नहीं डाले तो बारिश में भी उनको सोने नहीं देंगे. अमित शाह ने साफ कहा कि अगले साल मार्च की आखिरी तारीख तक देश से नक्सलवाद का सफाया कर दिया जाएगा. इस दिशा में उनके सुरक्षाबल आगे बढ़ रहें हैं.
गृह मंत्री अमित शाह ने की अपील
हालांकि, केन्द्रीय मत्री शाह ने नक्सलियों को हथियार डालने औऱ विकास यात्रा में शामिल होने की अपील भी की. उनका कहना था कि बातचीत की कोई जरुरत नहीं है, बल्कि सशस्त्र संघर्ष यानि हिंसा का रास्ता छोड़ कर मुख्यधारा में शामिल हो जाइए. उन्होंने छत्तीसगढ़ सरकार की सरहाना करते हुए कहा कि नक्सलियों के लिए बेहतरीन आत्मसमर्पण नीति बनाई है. लिहाजा, उनके लिए सरेंडर करने का सबसे बेहतरीन मौका है. उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से लाई गई नई नक्सल सरेंडर नीति एक सकारात्मक और स्वागत योग्य पहल है, जो नक्सलियों को मुख्यधारा में लौटकर सम्मानजनक जीवन जीने का अवसर देती है.
नक्सलवाद के अंत से होगा सच्चा विकास
शाह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की “विकसित भारत” की परिकल्पना का भी ज़िक्र किया औऱ कहा कि यह केवल बुनियादी ढांचे, नवाचार और आर्थिक विकास तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें समय पर न्याय और सामाजिक स्थिरता भी अहम है. ये मुमकिन तब ही है जब भारत नक्सलवाद जैसी समस्याओं से पूरी तरह निकले, तब ही सच्चा विकास संभव होगा.
गौरतलब है कि लगातर फोर्स औऱ नक्सलियों के बीच आए दिन मुठभेड़ हो रही है. छत्तीसगढ़ में माओवादियों का जमावड़ा होने से लगातार लड़ाईयां हो रही है. माना जाता है कि इस राज्य में देश के तकरीबन 77 प्रतिशत नक्सलियों का बसेरा है. मॉनसून में भी नक्सल ऑपरेशन जारी रखने के केन्द्रीय गृह मंत्री के एलान के बाद, लाजमी तौर पर बरसात का यह मौसम माओवादियों के लिए भारी पड़ने वाला है. क्योंकि इस मौसम में जंगलों में गोलियों की गूंज और बारूद की गंध नहीं होती है. एक सुकून, खामोशी और एक सन्नाटा पसरा रहता था. लेकिन, इस बार ऐसा कुछ भी नहीं होने वाला है, बल्कि एंटी नक्सल ऑपरेशन के चलने से हलचले लगातार होती रहेगी.
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