टीएनपी डेस्क (TNP DESK):- बेशुमार दौलत की चाहत और इसे पाने के लिए भ्रष्टाचार की अंधेरी गली का रास्ता पकड़ना एक न एक दिन बर्बादी की डगर पर ला खड़ा करता है.सेना जमीन घोटाले में गिरफ्तार रांची के पूर्व डीसी छवि रंजन का यही हाल हुआ है ? आज उनकी हैसियत क्या हो गई है?. और कैसे एक सरकारी मुलाजिम से हटकर मुजरिम के माफिक उनकी जिंदगी कट रही है. यह शायद ही किसी को कहने-बताने की जरुरत पड़े. आज आर्श से फर्श पर आ चुके हाकिम की इज्जत पर दाग लग चुका है . उनकी रातें जेल की सलाखों के पीछे कट रही है. दुर्दांत औऱ छंटे बदमाशों से जान का खतरा जेल में मंडरा रहा है . इसके साथ ही, इन तोहमतों से निकलने के लिए हर रोज जद्दोजहद कर रहें हैं. यानि छविरंजन साहब की जिंदगी बेहद खराब दौर से गुजर रही है, जहां हर रोज किसी न किसी चिज का इम्तहान देना पड़ा रहा है. चाहे अपनी ईमानदारी की हो, अपने इज्जत की हो या फिर अपनी बेगुनाही की. अगर देखा जाए तो, झारखंड में पूजा सिंघल के बाद किसी आईएस अफसर की इतनी छवि खराब हुई. तो वो छवि रंजन ही हैं .
सलाखों के पीछे कैसे पहुंचे छविरंजन ?
ED की जांच में यह बात सामने आई कि, जब छवि रंजन रांची के DC थे, तब फर्जी कागजात के आधार पर बड़े पैमाने पर जमीनों की खरीद-फरोख्त की गई. इसमे बरियातू में मौजूद सेना की जमीन भी शामिल थी. ED ने इसी मामले को लेकर छवि रंजन को 4 मई 2023 को गिरफ्तार किया. छवि के अलावा जिनकी गिरफ्तारी हुई है, उनमे कोलकाता के बिजनसमैन अमित अग्रवाल, जगत बंधु टी स्टेट के डायरेक्टर दिलीप घोष, जमीन का फर्जी मालिक प्रदीप बागची, भूमाफिया अफसर खान, फैयाज खान, इम्तियाज अहमद, तलहा खान के अलावा बड़गांई अंचल कार्यालय के राजस्व कर्मचारी के नाम शामिल है.
कभी युवाओं के आदर्श थे छवि रंजन
सेना की जमीन को भूमाफियाओं को बेचने के घोटाले में गिरफ्तार छविरंजन एक वक्त युवाओं के आदर्श माने जाते थे. पढाई-लिखाई में तेज और मेहनती छवि रंजन ने यूपीएससी में125वां रैंक हासिल किया था. 2011 झारखंड केडर के इस आईएसएस अफसर जैसा बनने की ख्वाहिश कई छात्रों ने पाली थी. युवा उन्हें आइडल मानते थे. क्योंकि, उन्होंने देश के सबसे प्रतिष्ठित इम्तहान को पास किया था. लाजमी है, कोई भी उनकी कामयाबी पर नाज करेंगा और सफलता को सराहेगा. लोहनगरी जमशेदपुर में 1981 में जन्म छवि ने10वीं और 12वीं की पढ़ाई यही से की. उन्होंने ग्रेजुएशन दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज से किया था. इसके बाद यूपीएससी की परीक्षा पास की थी.
कई सवाल खड़े होते हैं !
एक बड़े ओहदे पर बैठे एक सरकारी मुलाजिम की गिरफ्तारी, कई सवाल खड़े करती है. प्रश्न खड़ा होता है कि इतनी सुख-सुविधा के बावजूद अधिकारी अपने पद का गलत इस्तेमाल क्यों करते हैं ? . दूसरी बात ये है कि जिनके कंधों पर ही रखवाली की जिम्मेदारी है औऱ वो ही बेपरवाह हो जाए, तो फिर ईमानदारी की उम्मीद किससे की जाए?. सवाल यहां ये भी है कि जिस प्रतिष्ठित यूपीएससी परीक्षा को पास करने के लिए हर साल लाखों छात्रा मेहनत करते हैं, इनमे से कुछ को ही कामयाबी नसीब होती है. उनसे पूरा देश आशा भरी निगाहों से देखता है, कि ये एक अच्छे अफसर बनकर देश की सेवा करेंगे . लेकिन, वो ही पैसे के खातिर अपनी जमीर से सौदा कर बिक जाए, तो इससे बुरा क्या हो सकता है. इस पर सदियों से चली आ रही एक कहावत सटीक बैठती है, धन-दौलत तो आते-जाते रहते हैं, लेकिन, एकबार इज्जत चली गई तो फिर कभी दुबारा नहीं आती है. वही, एकबार कलंक का टिका लग गया, तो फिर वह कभी नहीं मिटता है.
रिपोर्ट-शिवपूजन सिंह
                        
                        
                        
                
                
                
                
                
                
                
                
                
                
                
                
                
                
                
                
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