रांची(RANCHI): कांग्रेस के बाद अब झामुमो ने भी अपने प्रत्याशियों के पत्ते खोलने शुरु कर दिये है, झामुमो ने गिरिडीह से मथुरा महतो और दुमका से शिकारी पाड़ा विधायक नलीन सोरेन को मैदान में उतराने का फैसला किया है और इसके साथ ही इंडिया गठबंधन की ओर से कुल छह प्रत्याशियों का एलान हो चुका है. इसमें तीन कांग्रेस, एक माले और दो झामुमो का है. यहां ध्यान रहे कि इसके पहले कांग्रेस की ओर से खूंटी से काली चरण मुंडा, हजारीबाग से जेपी पटेल और लोहरदगा सीट से सुखदेव भगत को उम्मीवार बनाया गया था. जबकि माले ने कोडरमा सीट पर बगोदर विधायक विनोद सिंह को मैदान में उतराने का फैसला किया था, इस बीच खबर यह भी है कि राजद ने चतरा से गिरिनाथ सिंह और पलामू से ममता भुइंया पर दांव लगाया है, हालांकि अभी अधिकारिक तौर पर पुष्टि नहीं हुई है.
वर्ष 2019 में टाईगर जगरनाथ को करना पड़ा था शिकस्त का सामना
यहां याद रहे कि मथुरा महतो टुंडू से झामुमो विधायक है, झामुमो के अंदर बाहर मथुरो महतो को कुर्मी जाति का एक मजबूत चेहरा माना जाता है. इसके पहले वर्ष 2019 में झामुमो ने टाईगर जगरनाथ को मैदान में उतारा था, टाईगर जगरनाथ की पहचान झारखंड टाईगर के रुप में होती थी, उन्हे भी कुड़मी जाति के एक मजबूत चेहरा माना जाता था, बावजूद इसके आजसू के चन्द्र प्रकाश चौधरी ने टाईगर जगरनाथ को करीबन तीन लाखों से मात दी थी, जबकि तब मथुरा महतो कंधे से कंधा मिलाकर टाईगर जगरनाथ का साथ देता नजर आ रहे हैं, इस बार टाईगर जगरनाथ की मृत्यू के बाद झामुमो ने अपने इस पुराने स्टालवार्ट पर दांव लगाने का फैसला किया है, अब देखना होगा कि इस बार मथुरा महतो कैसे चन्द्र प्रकाश की राह को रोकने में सफल होते हैं, जहां तक बात सामाजिक समीकरण की है तो गिरिडीह संसदीय सीट पर 16 फीसदी मुसलमान, 14 फीसदी अनुसूचित जाति और 10 फीसदी अनुसूचित जाति की आबादी है. इसके साथ ही करीबन 19 फीसदी कुड़मी मतदाता है, इस हालत में यदि कुड़मी मतदाता एक जूट होकर मथुरा महतो के साथ खड़ा होते हैं, तब तो मथुरा महतो की राह आसान हो सकती है, लेकिन इस बार मथुरा महतो की राह में जयराम महतो कांटा बिछाते दिख रहे हैं. हालांकि टाईगर 16 फीसदी अल्पसंख्यक और 10 फीसदी आदिवासियों में कितना सेंधमारी कर पाते हैं, एक बड़ा सवाल है.
दुमका में सीता सोरेन और नलीन सोरेन के बीच होगा मुकाबला
जहां तक दुमका सीट की बात है, तो पार्टी ने तमाम चर्चाओं पर विराम लगाते हुए शिकारी पाड़ा विधायक नलीन सोरेन पर दांव लगाने का फैसला किया है. जहां उनका मुकाबला पूर्व सीएम हेमंत की भाभी और दुर्गा सोरेन की पत्नी सीता सोरेन से होना है, यहां बता दें कि नलीन सोरेन शिकारी पाड़ा से लगातार चार बार विधायक हैं, और इसके साथ ही हेमंत सोरेन का सबसे भरोसेमंद चेहरा माना जाता है, शायद यही कारण है कि सारे चेहरों को किनारा करते हुए झामुमो ने नलीन सोरेन पर दांव लगाने का फैसला किया. जहां तक सियासी सामाजिक समीकरण की बात तो दुमका के सात विधान सभा में आज के दिन झामुमो का तीन पर कब्जा है, जबकि एक पर कांग्रेस के इरफान अंसारी विधायक है, बाकी की दो विधान सभा जामा और सारठ पर भाजपा का कब्जा है. दुमका को झामुमो का गढ़ बताया जाता है, हालांकि इस गढ़ में 1998 और1999 में बाबूलाल और 2019 में सुनील सोरेन सेंधमारी में जरुर सफल रहें, लेकिन देखना होगा कि इस बात सीता सोरेन पर इस आदिवासी बहुल लोकसभा क्षेत्र में मतदाताओं का कितना विश्वास हासिल होता है या फिर नलीन सोरेन एक बार यह सीट झामुमो के खाते में डालने में सफल होते हैं
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