रांची(RANCHI)- प्रदेश भाजपा अध्यक्ष के रुप में ताजपोशी के बाद से बाबूलाल मंराडी की सोशल मीडिया पर चहलकदमी कुछ ज्यादा ही तेज हो गयी है. हर दिन वह एक नया आरोप लेकर सामने आते हैं, हालांकि दावा यह भी किया जाता है कि सोशल मीडिया पर उनकी मुखरता जितनी दिखलाई देती है, सरजमीन पर उनकी सक्रियता उतनी ही सीमित हो चुकी है, पहले से ही रघुवर भाजपा, अर्जून भाजपा, सरयू भाजपा, दीपक भाजपा के रुप में टुकड़ों-टुकड़ों में विभाजित भाजपा को एक और नया टुकड़ा बाबूलाल भाजपा के रुप में हाथ लगा है.

टुकड़ों में विभाजित भाजपा हेमंत के लिए कोई चुनौती नहीं

अब इन टुकडों में विभाजित भाजपा हेमंत सरकार के लिए कोई मुसीबत तो बन नहीं सकती, नहीं तो जिस प्रकार से राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ती चली गयी, राजधानी रांची में अपराधियों ने अपने कारनामों से शासन प्रशासन के सामने चुनौती पेश किया, 60/40 के सवाल पर छात्र सड़क पर आन्दोलन करते नजर आयें, खुद सत्ताधारी दल के विधायक लोबिन हेम्ब्रम ने अपनी असुरक्षा का सार्वजनिक इजहार किया, खतियान आधारित स्थानीयता नीति और नियोजन नीति को लागू करने में सरकार को असफलता हाथ लगी, विपक्ष इन मुद्दों  पर सड़क से सदन तक सरकार को घेर सकता था.

 बाबूलाल की वापसी के बाद बदलता नजर आ रहा है भाजपा का स्टैंड

लेकिन जिस प्रकार से बाबूलाल के पहले तक खतियान आधारित स्थानीयता नीति, नियोजन नीति, पिछड़ों का आरक्षण विस्तार पर भाजपा का दुहरा स्टैंड रहा, उससे आदिवासी मूलवासी समूहों में यह साफ संदेश गया कि उसके मुद्दों पर भाजपा ना सिर्फ सुस्त है, बल्कि विरोधी भी है, और हेमंत सरकार इस बात को प्रचारित-प्रसारित करने में कामयाब रही कि चाहे सरना धर्म कोड का मामला हो या पिछड़ों का आरक्षण विस्तार, खतियान आधारित स्थानीय नीति की बात हो या खतियान आधारित नियोजन नीति की सरकार की मंशा बेहद साफ है, वह इन सारे विधेयकों को सदन से पारित कर राजभवन भेज चुकी है, लेकिन यह तो भाजपा है, जिसके इशारे पर राजभवन के द्वारा इन विधेयकों को कानून का रुप लेने में अड़ंगा डाला जा रहा है. हालांकि यह सत्य है कि जबसे बाबूलाल की वापसी हुई है, वह लगातार इन्ही मुद्दों पर सरकार को घेरने की कोशिश कर रहे हैं, यह संकेत देने की कोशिश कर रहे हैं कि आदिवासी मूलवासी मुद्दों पर भाजपा उनके साथ खड़ा है, लेकिन एक दूसरी सच्चाई भी है कि आज के दिन बाबूलाल भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भले ही हो, लेकिन उनकी यहां चलती नहीं है, आज भी रघुवर दास केन्द्र के दुलारे हैं, अमित शाह और मोदी के चेहते हैं, यदि ऐसा नहीं होता, तो एक ऐसा सीएम जो खुद अपनी विधायकी का चुनाव हार चुका हो, उसे केन्द्रीय भाजपा का उपाध्यक्ष नहीं बनाया जाता.

 छतीसगढ़ी चेहरे के प्रेम से उबर नहीं पाये हैं अमित शाह

शायद पीएम मोदी और अमित शाह और उनकी टीम को आज भी यह विश्वास हो कि रघुवर दास, जिन पर खुद ही छत्तीसगढ़ी होने का आरोप लगता है, वह भाजपा को 14 लोक सभा क्षेत्रों में विजय दिलवाने में सफल होंगे. जानकार तो यह भी दावा कर रहे हैं कि आज भी यदि झारखंड में भाजपा की वापसी होती है, तो सीएम का तोहफा रघुवर दास के हिस्से में ही आयेगी, और यदि 2024 में बाबूलाल परफॉर्म नहीं कर पायें तो हार का ठीकरा उनके माथे पर फोड़ा जायेगा, शायद इसी रणनीति के तहत भी बाबूलाल की वापसी भी करवायी गयी है, ताकि रघुवर दास के चेहरे को सेफ रखा जा सके.

 बाबूलाल को आने लगी है षडयंत्र और साजिश की बू

 

लेकिन इन सारी राजनीतिक पेचदीगियों के विपरीत बाबूलाल को षडयंत्र और साजिश सीएम हेमंत की ओर आती नजर आ रही है. जबकि बाबूलाल को पहले टुकड़ों टुक़ड़ों में विभाजित भाजपा को एकजूट करने का प्रयास करना चाहिए था, जिस एक टुकड़े के साथ वह खुद भी भाजपा का हिस्सा बने हैं, उस टुकड़े को भाजपा में स्वीकार करवाना चाहिए था. शायद बाबूलाल को भाजपा की जमीनी हालात का भान हो चुका है, और यही कारण है कि वह संगठन को मजबूत करने के बजाय सोशल मीडिया पर लिख रहे हैं कि “ मेरे प्रिय साथियों, चुनाव नजदीक आ रहा है इसलिए संभव है कि मुख्यमंत्री @HemantSorenJMM अपने राजनीतिक प्रतिद्वंदियों के विरुद्ध कहर बरपाएँ। भाजपा के नेताओं - कार्यकर्ताओं, समर्थकों, सहयोगियों के विरुद्ध षड्यंत्र रचे जा सकते हैं, उनका सरकारी दमन हो सकता है। कुछ महाभ्रष्ट अधिकारियों की मदद एवं मंत्रणा से रोज षड्यंत्र एवं साज़िश रचने की जानकारी मिल रही है। हालाँकि सत्ता का टूल की तरह इस्तेमाल हो रहे ऐसे षड्यंत्रकारियों के मंसूबे पर हमारी पैनी नज़र है। सरकारी लठैत गिरोह की तरह काम कर रहे कुछ लोगों की ऐसी किसी भी साज़िश पूर्ण कारवाई एवं ग़ैर क़ानूनी कदम उठाने वालों के विरोध में हम आम जनता की मदद से ऐसे लोगों को बेनक़ाब करेंगे और क़ानून से उन्हें सजा दिलायेंगे। इसलिए, इनसे घबराना नहीं है, हमें मजबूती के साथ आगे बढ़ना है। सभी साजिशों को ध्वस्त करना है और झारखंड की जनता के हित के लिए हर कष्ट सहना है। मन में केवल यह विश्वास रखना है कि अंधेरे छटेगा, सूरज निकलेगा, कमल खिलेगा। जय झारखंड!