Ranchi-नीति आयोग की शासी परिषद् की 8वीं बैठक में सीएम हेमंत ने इज ऑफ डूइंग बिजनेस में झारखंड की लम्बी छलांग की चर्चा करते हुए केन्द्र सरकार से को-ऑपरेटिव फेडरलिज्म के रास्ते चल कर मदद का हाथ बढ़ाने की मांग की है. पीएम मोदी की उपस्थिति में उन्होंने कहा कि पिछले तीन वर्षो में झारखंड में विकास की गति काफी तेज हुई है. लेकिन अभी भी आधारभूत संरचना और निवेश के क्षेत्र में काफी कुछ करने की जरुरत है, इसके लिए बेहद जरुरी है कि केन्द्र सरकार बगैर किसी भेदभाव के को-ऑपरेटिव फेडरलिज्म के रास्ते चल कर झारखंड को मदद करें, ताकि विकास की इस रफ्तार और भी तेजी दी जा सके और झारखंड भी विकसित भारत की परिकल्पना में अपना योगदान दे सके.

डिक्रिमिनलाइजेशन की प्रक्रिया पर काम कर रही है झारखंड सरकार

सीएम हेमंत ने कहा कि इज ऑफ डूइंग बिजनेस में झारखंड अब तक शीर्ष 10 राज्यों में सुमार होता रहा है. राज्य सरकार ने निवेश की प्रक्रियाओं को सरल और युक्तिसंगत बनाया गया है. इसके साथ ही हमारा जोर डिक्रिमिनलाइजेशन की ओर भी है, ताकि छोटे-मोटे उल्लंघनों के लिए सजा देने के बजाय आर्थिक दंड प्रदान कर मामले का समाधान किया जा सके. इस क्रम में राज्य के श्रम, नियोजन, प्रशिक्षण एवं कौशल विकास विभाग के द्वारा एक धारा को कम कर दिया है और 8 धाराओं को गैर-अपराधीकरण के लिए प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है.

एमएसएमई क्षेत्र को सुदृढ़ करने की पहल

उन्होंने कहा कि हमारा जोर एमएसएमई क्षेत्र को सुदृढ़ करने की है, इसके लिए एमएसएमई अलग से निदेशालय बनाने और वर्त्तमान जिला उद्योग केन्द्रों को जिला एमएसएमई  केन्द्र के रूप में विकसित करने पर है, साथ ही एमएसएमई प्रोत्साहन नीति 2023 और एमएसएमई विशेष रियायत अधिनिधियम का पारुप अपने अंतिम दौर में है. सीएम हेमंत ने कहा कि यदि केन्द्र सरकार को-ऑपरेटिव फेडरलिज्म के रास्ते चलकर मदद का हाथ बढ़ाती है तो प्राकृतिक संसाधनों से धनी इस राज्य में निवेशकों का विश्वास जगेगा.

आवागमन के साधनों को राष्ट्रीय स्तर पर लाने का प्रयास

हेमंत सोरेन ने कहा कि एक गरीब राज्य होने के बावजूद झारखंड आवागमन के साधनों को राष्ट्रीय स्तर पर लाने के प्रयासरत है. हमने कुल 08 प्रमुख सड़क कॉरिडोर (1662.50 किमी) को चिन्हित किया है. इन राजकीय पथों को राष्ट्रीय उच्च पथों में विकसित करने से झारखंड में उत्तर से दक्षिण एवं पूरब से पश्चिम पहुंचना आसन होगा. इसी क्रम में साहेबगंज और मनिहारी घाट (बिहार) के बीच गंगा नदी पर निर्माणाधीन उच्च स्तरीय सेतु के तर्ज पर राजमहल एवं मानिकचक (पश्चिम बंगाल) के बीच गंगा नदी पर एक बड़ा पूल बनाने की योजना है. इन सभी योजनाओं के क्रियान्वयन में उसे केन्द्र सरकार से मदद की जरुरत है.