टीएनपी डेस्क (Tnp Desk):- केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एलान किया था कि मॉनसून के मौसम में भी नक्सलियो को चेन से सोने नहीं देंगे. एंटी नक्सल ऑपरेशन बरसात में भी जारी रहेगा, उनकी इस चेतावनी के बाद फोर्स अपने मिशन में लग गयी है, अगले साल मार्च की आखिरी तारीख तक नक्सलवाद को देश से सफाए की सौंगध लिए सुरक्षाबल लगातार मिल रहे इनपुट पर बिना तेजी से कार्रवाई कर रहें है. बारिश के इस मौसम में भी जंगलों में गोलियों की गूंज सुनाई पड़ रही है.

फिर अबूझमाड़ जंगल में हुई मुठभेड़

छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले के नक्सलियों के सुरक्षित ठिकाना माने जाने वाले अबूझमाड़ जंगल अब माओवादियों के लिए कत्लगाह बन गया है. क्योंकि सुरक्षाबलों ने फिर नक्सलियों की मांद में घुसकर खुलेआम चुनौती दी और भयंकर मुठभेड़ में दो महिला नक्सलियों को ढेर कर दिया. छत्तीसगढ़ के एक पुलिस अधिकारी के मुताबिक यह एनकाउंटर उस समय हुआ, जब सुरक्षाकर्मियों की एक संयुक्त टीम माओवादी कैडरों की मौजूदगी की इनपुट पर अपने अभियान में निकली थी. तब ही बीच-बीच में गोलीबारी होने लगी और फिर मुठभेड़ की शक्ल अख्तियार कर लिया.

इस ऑपरेशन के बारे में आईजी बस्तर पी सुंदरराज ने बताया कि 25 जून की शाम नारायणपुर के अबूझमाड़ के जंगल में डीआरजी और एसटीएफ के जवानों के साथ नक्सलियों की एक औऱ मुठभेड़ हुई. जिसमे दो महिला नक्सली मारी गई. सर्चिंग के दौरान इसास रायफल, हथियार, मेडिकल सामान और अन्य नक्सली सामग्री बरामद की गई है.  

यहीं मारा गया था बसवा राजू

मालूम हो की अबूझमाड़ जंगल नक्सलियों के लिए एक महफूज ठिकाना हुआ करती थी. यही वह जगह है, जहां 21 मई को नक्सलियों के सुप्रीम लीडर और संगठन के महासचिव बसवा राजू को गोलियों से भून दिया गया था. इसने बड़े नेतृत्वकर्ता के मौत के बाद नक्सली खेमें में एक बौखलाहट और बेचैनी साफ देखी जा रही थी. हालांकि, सुरक्षाबलों ने अपने अभियान को बेधड़क जारी रखा, जिसमे सुधाकर, चलपति, भाष्कर सरीखे करोड़ों के इनामी नक्सली सुनसान जंगलों में काल के गाल समा गये.

अभी भी खूंखार नक्सलियों की तलाश

हालांकि, अभी भी नक्सलियों के कोर लीडर गणपति, हिड़मा,देवा, दामोदर, सुजाता,मिसिर बेसरा सरीखे संगठन के सर्वेसर्वार जिंदा है, जिनकी तलाश सुरक्षाबल बड़ी तसल्ली और तेजी से कर रही है. लाजमी है कि पिछले कुछ महीनो में नक्सलियों का कुनबा बिखरा है और संगठन कमजोर हुआ है. अभी उनके लिए अपनी जान बचाने की ही सबसे ब़ड़ी चुनौती है.

केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने साफ कर दिया है कि अब नक्सलियों से बातचीत नहीं होगी, वे सरेंडर करें और मुख्यधारा में लौटे तब ही उनके लिए भलाई है. हालांकि, हाल के दिनों में काफी संख्या में माओवादियों ने समाज की मुख्यधारा से जुड़े और सरकार की आत्मसमर्पण नीति का फायदा भी उठा रहें है.

बड़ी संख्या में नक्सलियों का आत्मसमर्पण

पिछले कुछ दिनों से नक्सली हिंसा से जुड़े मामलों को देखे तो भारी गिरावट देखने को मिली है. हाल में जारी हुए आंकड़ों को देखे तो 1440 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया, 1464 गिरफ्तारियां हुई, 821 हथियार जब्त हुए और 1360 बारूदी सुरंगों की बरामदी हुई है. इससे यह साफ पता चलता है कि सिक्योरिटी फोर्सेज ने बड़े पैमाने पर अभियान चलाया है, जिसका जमीन पर असर हुआ है.अगर महिला नक्सलियों के आत्मसमर्पण की बात करें तो 123 महिला नक्सलियों ने हथियार डाले, जबकि 79 महिलाएं गिरफ्तार हुईं.