पटना(PATNA)- बिहार में सियासी बवाल मचा हुआ है. राजनीति करवट ले रही है.नीतीश कुमार की कुर्सी किन के सहारे आगे चलेगी, यह समझ में आने लगा है.पिछले कुछ दिनों से सत्तारूढ़ गठबंधन में दरार पड़नी शुरू हो गई थी.इसकी शुरुआत तो वैसे जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के समय से ही हो गई थी.जब ललन सिंह के हाथ से पार्टी की कमान खुद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ले लिया था.बाकी रही सही कसर दिन-ब-दिन पूरी होती गई. राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की सुपुत्री रोहिणी आचार्या के सोशल मीडिया एक्स पर टिप्पणी को लेकर दरार और गहरी हो गई.
दिल्ली से लेकर पटना और पूर्णिया तक बैठक का दौरा
बिहार में सियासत के बदलते रंग को लेकर गुरुवार को भी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ बिहार भाजपा के कई नेताओं की बैठक हुई.शुक्रवार देर रात को भी दिल्ली में अमित शाह के आवास पर बैठक हुई जिसमें भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी शामिल हुए.राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष भी बैठक में मौजूद थे. 27 और 28 जनवरी बहुत महत्वपूर्ण तारीख है.राष्ट्रीय जनता दल ने शनिवार को दोपहर 1 बजे तेजस्वी यादव के आवास पर बैठक बुलाई है जिसमें राजद के सभी विधायक और विधान पार्षद मौजूद रहेंगे.इसके अलावा भाजपा ने भी शनिवार की शाम प्रदेश कार्यालय में बैठक बुलाई है जिसमें सभी विधायकों को मौजूद रहने को कहा गया है.कांग्रेस के विधायक दिल्ली और पटना से दूर पूर्णिया में शनिवार की दोपहर 2 बजे बैठक करेंगे.
सबसे महत्वपूर्ण बैठक जदयू की होने वाली है
जदयू ने भी अपने नेताओं की बैठक बुलाई है इसकी बैठक 28 जनवरी को सुबह 10:00 बजे होगी इस बैठक में जदयू के सभी सांसद और विधायक मौजूद रहेंगे यह समझ जा रहा है कि जदयू की बैठक से पहले भाजपा की ओर से सारा कुछ तय हो जाएगा फिर दोनों दलों की एक संयुक्त बैठक बुलाई जाएगी उसका समय अभी निश्चित नहीं है तत्पश्चात रविवार की रात या फिर सोमवार को शपथ ग्रहण समारोह होगा. भाजपा के सूत्रों के अनुसार बिहार में सियासी संकट को लेकर भाजपा नीतीश कुमार के सारे पुराने गुनाहों को भूलकर एक बार फिर साथ आने को लगभग तैयार है.भाजपा के नेताओं का कहना है कि लोकसभा चुनाव के मद्देनजर आई एन डी आई ए के कुनबा को तोड़ने या फिर कमजोर करने का यह सबसे अच्छा मौका है.

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