टीएनपी डेस्क(TNP DESK):झारखंड के पूर्वी सिंहभूम में स्थित सारंडा का जंगल अपने अंदर के करोड़ों की वन संपदा और खनिज समेटे हुए प्रकृति की ओर से इसे खास आशीर्वाद मिला है. इसके कण-कण में लोहा छिपा हुआ है.लेकिन इससे नक्सली नाम का अभिशाप भी जुड़ा है लम्बे समय से ये नक्सलियों के गतिविधियों से घीरा हुआ है इसकी वजह से ना तो इसका सही तरीके से विकास हो पाया और ना ही यहां के खनिज संपदा का सही से राज्य को फायदा मिल पाया. वही सारंडा को लेकर सुप्रीम कोर्ट की ओर से एक बड़ा फैसला लिया गया है.जहा अब कोर्ट के आदेश के बाद वन्यजीव अभ्यारण्य बनने जा रहा है.सुप्रीम कोर्ट की ओर से सरकार को सख्त निर्देश दिया गया है कि वह सारंडा को अभ्यारण्य घोषित करे, जहां पशु-पक्षियों के लिए सुरक्षित आश्रय विकसित किया जाए.

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को लगाई फटकार

वही सुप्रीम कोर्ट की ओर से झारखंड सरकार को कोर्ट के आदेश के की अवहेलना करने को लेकर फटकार भी लगाई गई है.चेतावनी देते हुए कोर्ट ने कहा है कि अगर 8 अक्टूबर 2025 तक सारंडा को अभ्यारण्य घोषित नहीं किया गया तो मुख्य सचिव को व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश होना पड़ेगा और वही , इसके साथ ही अदालत की अवमानना की कार्यवाही भी की जा सकती है.

लम्बे समय से नक्सलियों का गढ़ रहा है सारंडा

आपको बता दे सरकार की ओर से अभ्यारण्य के लिए 57,519.41 हेक्टेयर वनभूमि चिह्नित की गई है, जिसमे कुछ क्षेत्र को 'कंजर्वेशन रिज़र्व' भी घोषित करने का प्रस्ताव है.आपको बताएँ कि देवघर की वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट की ओर से रिपोर्ट देकर पहल को समर्थन दिया गया है. लंबे समय से सारंडा नक्सली गतिविधियों से घिरा हुआ था.जहा आईईडी ब्लास्ट व लैंड माइंस आम बातथी,इसकी वजह से यहाँ के पशु-पक्षी विशेषकर हाथी प्रभावित होते रहे है.

अब बम विस्फोट की जगह पशु-पक्षियों की आवाज देगी सुनाई

वही सारंडा अब सुरक्षा और अभ्यारण्य है.लगातार पुलिस की ओर से सारंडा के क्षेत्रों में अभियान चलाकर नक्सली गतिविधियों को कम किया गया है ताकि जंगली जीवों को किसी तरह का ज्यादा नुकसान या प्रभाव ना हो.जैव विविधता, पशु-पक्षी और संरक्षण सारंडा वन क्षेत्र में सैकड़ों दुर्लभ और संकटग्रस्त पशु-पक्षियों की प्रजातियाँ पाई जाती है,जिनमे उड़ने वाली छिपकली, गिद्ध,हाथी, सारस आदि शामिल है., इसके साथ ही ये क्षेत्र इनके प्रजनन, भोजन, जल,रहने के लिए सटीक है, जिससे इसे अभ्यारण्य बनाने पर प्रवासी पक्षियों की संख्या बढ़ सकती है. 

पढे सरकार ने क्या किया है तय 

सरकार की ओर से तय किया है कि 10 वन ग्राम सुरक्षित रहेंगे, लेकिन अवैध गांवों को हटाया जायेगा, जिससे संरक्षण की प्रक्रिया बाधित न हो.आगे की प्रक्रिया व फैसलेकैबिनेट की अगली बैठक में सारंडा अभ्यारण्य की अधिसूचना पर अंतिम निर्णय की संभावना है.