धनबाद (Dhanbad)| विधायक गुरुदास चटर्जी के हत्यारे उमेश सिंह को सजा पुनरीक्षण परिषद ने राहत देने से इनकार कर दिया है. इसके अलावा झारखण्ड के अलग अलग जेलों  में बंद कुल 87 हत्यारों को भी कोई राहत नहीं मिली है.विधायक हत्याकांड के एक अन्य आरोपी शिवशंकर सिंह को अच्छे आचरण के कारण  2018 में रिहा कर दिया गया था. विधायक की हत्या उस समय की गई थी जब  झारखण्ड नहीं बना था.कोयलांचल के वे कद्दावर विधायक थे. 14 अप्रैल 2000 को जब वे धनबाद से निरसा जा रहे थे, तो देवली में उन्हें गोलियों से भून दिया गया था. वे बॉडीगार्ड भी नहीं रखते थे और बुलेट मोटरसाइकिल से ही चलते थे. चूकि ,उन्हें मोटरसाइकिल चलाना नहीं आता था ,सो हमेशा मोटरसाइकिल कोई दूसरा ही चलाता था.घटना के दिन भी वे पीछे ही बैठे हुये थे.कोयलांचल में विधायक  की हत्या की यह पहली घटना थी ,सो पुलिस की चूले हिल गई. उस समय धनबाद के एसपी थे अनिल पालटा . सूचना मिलते ही घटनास्थल पर पहुंचे और निरसा को जलने से बचाने में कामयाब रहे. भीड़ ने निरसा पुलिस थाने पर हमला बोल दिया था. हत्या का आरोप शिवशंकर सिंह ,उमेश सिंह सहित अन्य पर लगा. दोनों गिरफ्तार कर लिए गए. उस समय गुरुदास चटर्जी के  एकमात्र बेटे व निरसा के पूर्व विथायक अरूप चटर्जी कोलकत्ता में नौकरी कर रहे थे. पिता की हत्या के बाद वे राजनीति में कदम रखें और विधायक बने. दो बार विधायक रहें अरूप चटर्जी इस बार  2019 में पूर्व मंत्री अपर्णा सेन गुप्ता से चुनाव हार गए है.  निरसा के वर्तमान विधायक अपर्णा सेन गुप्ता के पति सुशांतो सेन गुप्ता की 05 अक्टूबर 2002 को निरसा के देवली में ही गोली मार कर हत्या कर दी गई थी. इस मामले में निरसा के पूर्व विधायक अरूप चटर्जी के साले समेत तीन लोग आरोपी बनाए गए थे.  सुशांतो की हत्या के बाद इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई . अब तक तीन लोगों के ख़िलाफ़ सीबीआई ने चार्जशीट दाख़िल किया है.

रिपोर्ट : अभिषेक कुमार ,ब्यूरो चीफ ,धनबाद