धनबाद(DHANBAD): कोल इंडिया में बोनस को लेकर न केवल कर्मचारी उत्साहित हैं बल्कि बैंक और बाजार की भी टकटकी लगी रहती है. बोनस की संभावित रकम के मुताबिक बाजार पूंजी निवेश करता है. कोल इंडिया की दो सहायक कंपनियां तो पूरी तरह से झारखंड में चलती है, जबकि ईसीएल की कई कोलियरिया भी झारखंड में है . इस वजह से बोनस की रकम झारखंड में भारी मात्रा में पहुंचती है. 22 तारीख को मानकीकरण समिति की बैठक है. इस बैठक में तय हो जाएगा कि बोनस की रकम क्या निर्धारित होती है? वैसे पिछले सालों का ट्रेंड देखा जाए तो हर साल लगभग ₹5000 की बढ़ोतरी हुई दिखती है.
2024 में 93,750 रुपये बोनस मिला था
इस अंदाज से भी उम्मीद की जानी चाहिए की 2025 में बोनस की रकम एक लाख तक पहुंच सकती है. इसके लिए मजदूर संगठनों पर दबाव भी है. दरअसल, प्रबंधन और मजदूर संगठनों की बैठक में ही तय होता है कि बोनस की राशि कितनी निर्धारित की जाए. उसके बाद घोषणा होती है और कर्मचारियों के खाते में बोनस की राशि भेज दी जाती है. बता दे कि देश की कोयला उत्पादक कंपनी कोल इंडिया और इसकी सहायक कंपनियों के कर्मियों में दुर्गा पूजा एक बड़ा उत्साह लेकर आता है. बोनस की राशि को किस मद में और कैसे खर्च करनी है, इसकी गणना कर्मी पूरे साल करते है.
दुर्गा पूजा 22 सितंबर से शुरू होने जा रही है
इस वर्ष दुर्गा पूजा 22 सितंबर से शुरू होने जा रही है. इसको लेकर झारखंड से लेकर बंगाल सहित अन्य राज्यों में बोनस की चर्चा तेज चल रही है. कोयलाकर्मी उम्मीद कर रहे हैं कि इस बार उन्हें 2024 से अधिक बोनस मिल सकता है. मतलब बोनस की राशि एक लाख पार कर सकती है. यहां बताना जरूरी है कि 2024 में कोयला कर्मियों को 93,750 रुपए बोनस मिला था . जबकि 2023 में बोनस की रकम 85 ,000 थी. जेबीसीसीआई मानकीकरण की बैठक 22 सितंबर को दिल्ली में प्रस्तावित है. इस बैठक में बोनस पर मुहर लग सकती है. बता दें कि बोनस की रकम कोयलाकर्मियों के बैंक खाते में आती है. रकम आने से बैंक वालों की भी बल्ले बल्ले रहती है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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