रांची(RANCHI): एक तरफ जहां झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमिटी की ओर से संगठन को धार देने की कोशिश की जा रही है, तो वहीं दूसरी ओर पार्टी से निष्कासित बागी नेताओं की ओर से हर दिन प्रदेश अध्यक्ष और प्रभारी पर गंभीर आरोप लगाये जाने का सिलसिला जारी है. चारों बागी नेताओं के द्वारा प्रदेश अध्यक्ष और प्रभारी पर संगठन को कमज़ोर करने का आरोप लगाया जा रहा है. इस बार इन नेताओं के द्वारा बोर्ड निगम में पदों के बंटवारे पर सवाल उठाया गया है, साथ ही अपनी सुरक्षा हटाए जाने को लेकर भी पार्टी अध्यक्ष को घेरने की कोशिश की है.
हर दिन टूट रही है झारखंड में कांग्रेस पार्टी- लाल किशोर
प्रदेश नेताओं पर आरोपों का बम फोड़ते हुए निष्कासित नेता लाल किशोर शाहदेव ने कहा कि 20 सूत्री गठन में कई कमियां है, अपने ॉ-अपने चेहतों को महत्वपूर्ण पदों पर बैठाया गया है. जिसके कारण प्रदेश कांग्रेस में विवाद की स्थिति है, और इसकी जिम्मेवारी सिर्फ और सिर्फ प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडेय और अध्यक्ष राजेश ठाकुर के कंधे पर है. अब बोर्ड निगम में पदों के बंटवारे में भी यही कहानी दुहराये जाने की तैयारी है. इसके बाद एक बार फिर से प्रदेश कांग्रेस के अन्दर टूट दिखने को मिलेगी.
बोर्ड निगम में चहेते लोगों की चयन की तैयारी
बागी नेताओं का कहना है कि महागठबंधन की सरकार बनने के वक्त एक मापदंड तय किया गया था, इस बात की घोषणा की गई थी कि एक व्यक्ति एक पद को सख्ती के साथ कार्यान्वित किया जायेगा, लेकिन आज उसकी कोई पूछ लेने वाला नहीं है.
नेताओं ने कहा कि सर्वसम्मत राय से यह तय हुआ था कि जो भी दो बार चुनाव जीत कर आये हैं, उन्हे ही मंत्री पद की जिम्मेवारी दी जायेगी, लेकिन नियम को दरकिनार कर दिया गया. अब बोर्ड निगम में भी इस मापदंड को दरकिनार कर चहेते लोगों को बैठाने की तैयारी है.
राजेश ठाकुर पर स्वार्थ सिद्धि के लिए काम करने का आरोप
वहीं राजेश गुप्ता ने कहा कि कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष का जोर संगठन को मजबूती प्रदान करने के बजाय अपनी स्वार्थ सिद्धि पर है. जब हम लोगों के द्वारा सवाल उठाया गया तो हमें बाहर का रास्ता दिखला दिया गया. रामगढ चुनाव में हार के बाद शमशेर आलम ने भी प्रदेश अध्यक्ष पर सवाल उठाया था. लेकिन उनपर कार्रवाई नहीं हुई. यह दोहरा मापदंड है.
हमारी मौत का जिम्मेवार होंगे राजेश ठाकुर
आलोक दुबे ने कहा कि उदयपुर शिविर में भी एक नेता एक पद की बात उठी थी, लेकिन यहां प्रदेश अध्यक्ष एक साथ कई पदों पर बैठे हुए हैं. जबकि अनुशासन समिति के सदस्य शमशेर आलम के द्वारा संगठन के खिलाफ बार बार आवाज उठाया जाता है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होती. हमारी सुरक्षा व्यवस्था को भी वापस ले लिया गया. हमारे घर पर हमले हुए, यदि भविष्य में हमारे साथ कोई घटना होती है, तब इसकी जिम्मेवारी प्रदेश अध्यक्ष पर होगी.
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