रांची(RANCHI): जमीन हेरा फेरी मामले में ED की एक बड़ी टीम रांची, जमशेदपुर, सिमडेगा सहित कई जगहों पर छापेमारी कर रही है. इसमें सबसे चर्चा में रांची के पूर्व उपायुक्त, अंचलाधिकारी और राजस्व कर्मचारी है. एक सिंडीकेट बना कर रांची की कई जमीनों को बेच दिया गया. बेचने के बाद इसके रजिस्ट्री और मोटेशन भी कर दिया गया. इस मामले में छापेमारी के दौरान राजस्व कर्मचारी भानु प्रताप के  ठिकानों से कई जमीन से जुड़े फर्जी और अन्य दस्तावेज बरामद हुए. इन दस्तावेजों के आधार पर ही ईडी ने भानु प्रताप को हिरासत में ले लिया है. फिलहाल आईएएस छवि रंजन, अंचलाधिकारी और जमीन कारोबारी के यहां छापेमारी जारी है. अगर कुछ और आपत्तिजनक दस्तावेज इन लोगों के ठिकानों से मिलता है तो ईडी इन्हें भी हिरासत में ले सकती है.

झारखंड ही नहीं बंगाल के भी दस्तावेज मिले

बता दे कि भानु प्रताप बड़गाई अंचल में राजस्व कर्मचारी के पद पर कार्यरत है. यहां इस पद का उन्होंने बखूबी दुरुपयोग किया. इस पद पर रहते हुए जमीन दलाल के साथ मिलकर जमीन की हेरा फेरी किया. जब ईडी की टीम इनके रांची और सिमडेगा के ठिकानों पर छापेमारी शुरू किया तो यहां जो दस्तावेज मिले है वह चौकने वाले थे. इनके रांची आवास से करोड़ों के जमीन के दस्तावेज मिले. जिसमें सिर्फ झारखंड ही नहीं बंगाल के भी कई पेपर थे. सूत्र बताते है कि इनके रांची स्थित आवास से जो दस्तावेज मिले हैं उनमें कई तो फर्जी केवाला है, और जो सही दस्तावेज है वह सरकारी कार्यालय का है. इस दस्तावेज मिलने पर भी ईडी की जांच का दायरा और बढ़ सकता है. फिलहाल सिमडेगा से भानु को हिरासत में ले लिया गया है.

जमीन दलाल के जरिए बिक्री होती थी जमीन

अब सवाल यह उठ रहा है की क्या भानु रजिस्टार कार्यालय से जमीन का दस्तावेज लेकर दलालों के जरिए बिक्री करता था. जितने जमीन के केवाला और अन्य दस्तावेज बरामद हुए हैं वह कई सौ एकड़ जमीन का है. खास कर रांची में जब ऐसे खेल चल रहे थे. तो आखिर उच्च अधिकारियों को इसकी भनक क्यों नहीं लगी. कहीं इस खेल में और भी अधिकारियों की मिलीभगत तो नहीं है. अब ईडी जब जांच कर रही है तो कई लोगों के नकाब उतर जाएंगे.