दुमका(DUMKA):सरकार किसानों की आय दोगुनी करने का प्रयास कर रही है. सरकार के इस प्रयास को बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के अधीन संचालित क्षेत्रीय कृषि अनुसंधान केंद्र अमली जामा पहनाने में लगी है. झारखंड की जलवायु के अनुरूप गहन अनुसंधान के पश्चात किसानों तक पहुंचाया जा रहा है. किसानों के लिए और क्या बेहतर किया जाए इसको लेकर दुमका के खूंटाबांध स्थित क्षेत्रीय कॄषि अनुसंधान केंद्र के सभागार में क्षेत्रीय अनुसंधान सह प्रसार परामर्शदात्री समिति की बैठक संपन्न हुई. इस बैठक में बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के निदेशक, अनुसंधान डॉ वीके सिंह बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए. बैठक में जिले के कृषि से संबंधित तमाम विभागों के अधिकारी भी मौजूद रहे.

कृषि से संबंधित विभागों के अधिकारी एवं किसान शामिल

जानकारी देते हुए क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र दुमका के सह निदेशक  डॉ राकेश कुमार ने कहा वर्ष में दो बार खरीफ तथा रबि फसल को ध्यान में रखकर इस तरह की बैठकों का आयोजन होता है. जिसमें कृषि से संबंधित विभागों के अधिकारी एवं किसान शामिल होते हैं. सभी से फीडबैक लिया जाता है. और उस आधार पर रिसर्च का प्लान तैयार किया जाता है. यह प्लान 3 वर्षों के लिए होता है. प्लान तैयार कर उसे सरकार के पास भेजा जाता है. सरकार उस प्लान को कृषि विज्ञान केंद्र के माध्यम से किसानों तक पहुंचाती है. उद्देश्य बस एक ही है कि कैसे किसानों की आय को दोगुनी किया जाए. उन्होंने बताया कि क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र दुमका में मडुवा, सरसों, धान, गेहूं, जौ सहित कई तरह के पेड़ पौधे पर रिसर्च किया गया है और उसका लाभ किसानों को मिल रहा है.

कृषि विश्वविद्यालय द्वारा खरीफ की कई वैरायटी विकसित की गई है

वहीं बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के निदेशक, अनुसंधान डॉ बीके सिंह ने बताया कि संथाल परगना के किसानों की सबसे बड़ी समस्या यह है. कि यहां के किसान वर्षा आधारित खेती करते हैं बदलते हुए मौसम के परिवेश में किस तरह की खेती करें कि किसानों को ज्यादा से ज्यादा लाभ मिल सके इसके लिए हमारे पास कई तकनीक उपलब्ध है. किसानों को ऐसी उपयुक्त वैरायटी देना है जो यहां की जलवायु और पर्यावरण के अनुरूप हो. उन्होंने कहा कि बिरसा कृषि विश्वविद्यालय द्वारा खरीफ की कई वैरायटी विकसित की गई है. यह वैरायटी झारखंड के जलवायु को ध्यान में रखकर विकसित किया गया है. विकसित वैरायटी किसानों तक पहुंचे यह पहली प्राथमिकता है. उन्होंने कहा कि अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिक किसानों की आवश्यकता को पहचानते हैं, हम अनुसंधान कर उसे किसानों को देते हैं.

मडुवा उत्पादन में जोखिम कम है फायदा ज्यादा

उन्होंने कहा कि इस वर्ष मडुवा पर विशेष ध्यान दिया गया है. क्योंकि यह मिलेट वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है. मडुवा उत्पादन में जोखिम कम है फायदा ज्यादा है। वर्षा के अभाव में भी मडुवा का बेहतर उत्पादन होगा. उन्होंने कहा कि उत्पादन के साथ-साथ किसान अगर इसका सेवन करते हैं तो शारीरिक रूप से भी तंदुरुस्त होंगे क्योंकि इसमें कई तरह के पोषक तत्व पाए जाते हैं.

मडुवा से कुपोषण की समस्या भी दूर होगी

 उन्होंने कहा कि मडुवा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से बिरसा कृषि विश्वविद्यालय ने ऐसा नियम बनाया है. कि जितने भी हॉस्टल, कैंटीन मेस या कोई कार्यक्रम जो बिरसा कृषि विश्वविद्यालय द्वारा संचालित होता है. वहां एक प्रोडक्ट मडुवा का जरूर रहता है। उन्होंने राज्य सरकार से अपील की कि अगर मध्यान भोजन में मडुवा को नियमित किया जाए तो एक तरफ जहां किसानों को अपना उत्पाद बेचने के लिए बाजार मिलेगा वहीं छात्रों में कुपोषण की समस्या भी दूर होगी.

रिपोर्ट: पंचम झा