टीएनपी डेस्क (TNP DESK): झारखंड हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी में राज्य सरकार अब तक निकाय चुनाव नहीं करा पाया है. जिसको लेकर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के इस रवैये पर कड़ी नाराजगी जताते हुए नियम-393 के तहत मुख्य सचिव, नगर विकास विभाग के अधिकारी वंदना दादेल और ज्ञानेश कुमार के खिलाफ अवमानना ​​नोटिस जारी किया है. सभी अधिकारियों को तीन सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया गया है. मामले की अगली सुनवाई 14 अक्टूबर को सुबह 10:30 बजे होगी और इस दौरान सभी अधिकारियों की अदालत में व्यक्तिगत उपस्थिति अनिवार्य कर दी गई है.

राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों को अवमानना नोटिस जारी होने के बाद अब सबकी निगाहें हाईकोर्ट द्वारा दिए गए नोटिसों के जवाब और आगामी सुनवाई पर टिकी हैं. हाईकोर्ट का कहना है कि सरकार अपने संवैधानिक दायित्वों का निर्वहन करने में विफल रही है, जिसके कारण लोकतांत्रिक प्रक्रिया बाधित हो रही है.

जस्टिस आनंद सेन की अदालत में रोशनी खलखो की ओर से दायर अवमानना ​​याचिका की सुनवाई के दौरान यह कार्रवाई हुई. राज्य सरकार द्वारा दोबारा समय मांगने पर नाराजगी जताते हुए अदालत ने कहा कि सरकार लोकतंत्र का गला घोंट रही है और जानबूझकर चुनाव में देरी कर रही है. अदालत ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि मुख्य सचिव ने 13 जनवरी 2025 को चार माह के अंदर चुनाव कराने का आश्वासन दिया था, लेकिन अब तक चुनाव नहीं हुए. इसके बाद 18 जुलाई और दो सितंबर को हुई सुनवाई में सरकार सिर्फ समय मांगती रही, लेकिन चुनाव प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ी. सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता ने सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश का हवाला देते हुए दलील दी कि इसके कारण भ्रम की स्थिति पैदा हुई थी, लेकिन अब चुनाव कराने की तैयारी की जा रही है. साथ ही उपस्थित अधिकारियों ने अदालत से माफी मांगी और नोटिस जारी नहीं करने का अनुरोध किया. हालांकि अदालत ने इस दलील को खारिज कर दिया और कहा कि सरकार लगातार अदालत को गुमराह कर रही है और चुनाव टालने के नए बहाने ढूंढ रही है. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता विनोद सिंह ने बहस की. अदालत ने स्पष्ट किया कि सरकार ने उच्च न्यायालय के आदेश का मजाक उड़ाया है और उसका चुनाव कराने का कोई इरादा नहीं है.

आखिर किन कारणों से हो रही चुनावों में देरी

राज्य सरकार नगर निगम चुनावों में देरी के पीछे ओबीसी आरक्षण के लिए ट्रिपल टेस्ट प्रक्रिया को मुख्य कारण बता रही है. इस प्रक्रिया के तहत, स्थानीय निकायों में ओबीसी समुदाय को आरक्षण देने से पहले उनकी सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक स्थिति का परीक्षण करना अनिवार्य है. सरकार का तर्क है कि जब तक यह प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती तबतक आरक्षण के आधार पर चुनाव कराना संभव नहीं है. लेकिन उच्च न्यायालय ने इस तर्क को मानने से इनकार कर दिया और कहा कि यह प्रक्रिया चुनाव टालने का बहाना बन गई है.

एक और अहम वजह मतदाता सूची का अपडेट नहीं होना माना जा रहा है. हालांकि चुनाव आयोग ने तर्क दिया कि विधानसभा चुनावों में इस्तेमाल की गई सूची का इस्तेमाल नगर निगम चुनावों में भी किया जा सकता है. अदालत ने इस तर्क को स्वीकार करते हुए कहा कि अगर विधानसभा चुनावों के लिए मतदाता सूची मान्य थी, तो नगर निगम चुनावों के लिए भी वही सूची पर्याप्त है.

शहरी नगर निकाय क्षेत्र जहां चुनाव होने हैं

नगर निगम-रांची, हज़ारीबाग़, मेदिनीनगर, धनबाद, गिरिडीह, देवघर, चास, आदित्यपुर और मानगो.

नगर परिषद-गढ़वा, बिश्रामपुर, चाईबासा, झुमरी तिलैया, चक्रधरपुर, चतरा, चिरकुंडा, दुमका, पाकुड़, गोड्डा, गुमला, जुगसलाई, कपाली, लोहरदगा, सिमडेगा, मधुपुर, रामगढ़, साहिबगंज, फुसरो और मिहिजाम.

नगर परिषद-बंशीधर नगर, मझिआंव, हुसैनाबाद, हरिहरगंज, छतरपुर, लातेहार, कोडरमा, डोमचांच, बड़की सरैया, धनवार, महगामा, राजमहल, बरहरवा, बासुकीनाथ, जामताड़ा, बुंडू, खूंटी, सरायकेला और चाकुलिया.