पाकुड़(PAKUR):1965 में स्थापित मध्य विद्यालय डांगापाड़ा का भवन करीब 1980 में बना था.समय के साथ 2024 तक यह भवन जर्जर अवस्था में पहुंच गया स्थानीय ग्रामीणों के वर्षों से उठती मांग और दबाव के बाद आखिरकार नए भवन के निर्माण हेतु टेंडर निकाला गया. उम्मीद थी कि बच्चों को अब एक बेहतर और सुरक्षित वातावरण मिलेगा, लेकिन जो हो रहा है, वह बेहद चिंताजनक है.

घटिया निर्माण सामग्री का इस्तेमाल, बिना सूचना पट के चल रहा निर्माण कार्य

भवन निर्माण कार्य में जो संवेदक लगा है, उसकी कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठ रहे है. जानकारी के अनुसार, निर्माण में घटिया तीन नंबर की ईंटों का धड़ल्ले से इस्तेमाल किया जा रहा है. यह न सिर्फ गुणवत्ता के मानकों की अनदेखी है, बल्कि भविष्य में बच्चों की जान को भी खतरे में डाल सकता है.इतना ही नहीं, निर्माण स्थल पर सूचना पट भी नहीं लगाया गया है, जो कि सरकारी नियमों के अनुसार अनिवार्य होता है.इससे यह भी स्पष्ट नहीं हो पा रहा कि यह योजना किस योजना अंतर्गत है, संवेदक कौन है, कार्य अवधि क्या है और अनुमानित लागत कितनी है.

JE बोले सब ठीक है, अब जांच का विषय!

जब इस लापरवाही के बाबत विभागीय कनीय अभियंता (JE) से बात की गई तो उनका जवाब चौंकाने वाला था.उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि सब ठीक है.यह बयान खुद में सवाल खड़ा करता है कि क्या विभागीय निगरानी सही से हो रही है?

सवाल यह है: कब होगा संज्ञान? कब होगी जांच?

यह मामला अब सिर्फ निर्माण की गुणवत्ता का नहीं, बल्कि सैकड़ों बच्चों के भविष्य और सुरक्षा से जुड़ा है.सवाल है कि पाकुड़ उपायुक्त कब इस पूरे प्रकरण पर संज्ञान लेंगे और दोषी संवेदक एवं संबंधित अधिकारियों पर कार्रवाई होगी?ग्रामीणों की शुरू से मांग है,बच्चों को सुरक्षित व मजबूत विद्यालय भवन मिले.

रिपोर्ट-नंद किशोर मंडल