टीएनपी डेस्क(TNP DESK):हमारा देश भारत ऋषि मुनियों और तप की भूमि है. यहां सनातन धर्म की उत्पत्ति विश्व से पहले ही हो गई थी. आज भी हमारे देश में करोडो ऐसे ऋषि मुनियों के मठ और देवी देवता के मंदिर मौजुद है जिनकी अपनी धार्मिक मान्यता और रोचक और चमत्कारी कहानियां और अनोखा इतिहास है.आज हम एक ऐसी ही रहस्यमय मठ के बारे में बताने वाले है. जिसमे एक बार जो भी अंदर गया.वह मरने के बाद भी बाहर नहीं निकल सकता है. उसके शव को अंदर ही दफन कर दिया जाता है चलिए जानते हैं वह मठ कहां है और इसके पीछे मान्यता क्या है.

ये मठ कपिलमुनि पांडेय उर्फ मुन जी बाबा की तपस्थली

आपको बताएंगे यह रहस्यमय और चमत्कारिक मठ उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में स्थित है.जिसका नाम मुन जी बाबा की मठिया है.आपको बता दें कि ये मठ कपिलमुनि पांडेय उर्फ मुन जी बाबा की तपस्थली है.जो काफी रोचक है चलिए जानते हैं आखिर मठ के अंदर लक्ष्मण रेखा को पार करने के पीछे कौन सा रहस्य छुपा हुआ है.

पढ़े क्यों मठाधीशों को अंदर कर दिया जाता है दफ़न

पौराणिक कथा के अनुसार कपिलमुनि पांडेय भगवान के बहुत बड़े भक्त थे. मठ के अंदर वह जब तपस्या में लीन हुए तो एक लक्ष्मण रेखा खींच दी और संकल्प लिया कि यदि उनकी भक्ति में शक्ति होगी तो भगवान स्वयं, उन्हें दर्शन देने आएंगे, वह मठ के बाहर नहीं जाएंगे.इनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान ने दर्शन दिया और अपनी मन्नत मांगने को कहा लेकिन कपिल मुनि ने वरदान लेने से मना कर दिया और वहीं मठ अंदर ही अपने प्राण त्याग दिए तब से लेकर आज तक ये परंपरा आज भी चली आ रही है कि जो भी मठाधीश मठ अंदर जाता है वह बाहर की दुनिया से पूरी तरह से कट जाता है और लक्ष्मण रेखा को कभी पार नहीं करता. वह मरने के बाद भी अंदर ही दफ़न हो जाता है.

आज भी लक्ष्मण रेखा पार नहीं कर सकते मठाधीश

मठ से जुड़ी ऐसी दो कहानियां के बारे में आज आपको बताएंगे जो यह साबित करती है कि लक्ष्मण रेखा को पार करना मठाधीश के लिए कितना बड़ा पाप होता है और उसकी सजा भी उन्हें तुरंत मिलती है.पहली घटना ये है कि पूर्व मठाधीश घरभरन बाबा गांव के लोगों की ज़िद्द करने के बाद एक बेटी का कन्यादान करने के लिए मठ से बाहर निकले बाबा ने कन्यादान तो कर दिया लेकिन मठ लौटते समय उन्हें एक काले नाग ने काट दिया जिससे उनकी मौत हो गई वहीं वह बेटी भी विधवा हो गई जिसका उनको कन्यादान किया था.

लक्ष्मण रेखा को पार करना मतलब अनहोनी निश्चित

दूसरे घटना के अनुसर मठ के मठाधीश आम तोड़ रहे थे हलांकी आम का पेड़ लक्ष्मण रेखा के अंदर ही था लेकिन गलती से उनका एक पैर बाहर चला गया और जैसा ही वह आम लेकर वापस आये उनका पैर आग से जल गया और वह महीनो बिस्तर पर पड़े रहे, दोनों घटनाये यह साबित करती है कि कपिल मुनि द्वारा खिंचे गये लक्ष्मण रेखा को कोई भी पार नहीं कर सकता.

देवी देवता नहीं बल्कि इस चीज की होती है पूजा

इस मठ की सबसे खास बात यह है कि यहां मांगी गई कोई भी मुराद तूरंत पूरी हो जाती है. वही इसकी खसियत यह भी है कि अंदर किसी देवी देवता की पूजा नहीं होती बल्की जो पूर्व मठाधीश हैं उनके खड़ाव की पूजा की जाती है और किसी भी हाल में मठाधीश लक्ष्मण रेखा को पार करने की कोई सोच नहीं है वरना अनहोनी निश्चित है.