रांची(RANCHI): रांची में पुलिस का एक्शन बड़ा जल्दी दिखता है. कोई हत्या या लूट हो जाए तो तुरंत आरोपी की गिरफ़्तारी हो जाती है. प्रेस वार्ता बुला कर पुलिस अधीक्षक खूब फोटो खिंचवाते है. लेकिन जब मामला कोर्ट पहुंचता है तो उसमें दम ही नहीं रहता. आरोपी बड़े ही आराम से बाहर निकल जाते है. ऐसे में अब सवाल उठने लगा कि आखिर रांची पुलिस अनुसंधान कैसे करती है. क्या किसी निर्दोष को जेल भेज देती है और खुद वाहवाही बटोरती है. यह सवाल अब इस लिए उठने लगा की रांची में स्पेशल ब्रांच के दरोगा की हत्या के दो आरोपी को पुलिस 6 माह भी जेल में नहीं रख सकी. हाई कोर्ट ने दो आरोपी को बेल दे दिया. क्योंकि उनके खिलाफ कोई वैसा साक्ष्य पुलिस नहीं दे सकी, जिससे ट्रायल के दौरान आरोपी जेल में ही रह सके.

ऐसे में देखे तो रांची में कई वारदात होती है. पुलिस पर प्रेशर पड़ता है इसके बाद वह एक्शन दिखती है. लेकिन एक्शन कितने दिन तक रहेगा यह मालूम नहीं है. क्योंकि 02 अगस्त को रांची के रिंग रोड में स्पेशल ब्रांच के दरोगा अनुपम कच्छप की हत्या कर दी गई. उन्हे चार गोली सीने में मारी गई. जिससे घटना स्थल पर ही उनकी मौत हो गई. घटना को करीब रात एक से दो बजे अंजाम दिया गया था. सुबह जब हुई तो यह ख़बर आग की तरह फैल गई. खुद DGP एक्शन में दिखे थे. SSP बड़ी बड़ी बात कर रहे थे.

आखिर में इस मामले में SIT का गठन किया गया और घटना के करीब 3 माह बाद पांच लोगों को गिरफ्तार किया. जिसके बाद पुलिस ने दावा किया उसे सुन कर ही आप चौक जाएंगे. वरीय पुलिस अधीक्षक के कार्यालय में प्रेस वार्ता बुलाई गई. सामने SSP के साथ ग्रामीण एसपी सुमित कुमार,डीएसपी समेत कई थानेदार बैठे. फिर पांच आरोपियों को लगाया गया और फोटो खिचवाया. SSP ने बताया कि अनुपम की हत्या डीजल चोरी रोकने के वजह से हुई थी. इसके बाद सभी को जेल भेज दिया गया. यह दिन था 04 नवंबर 2024,इसके बाद पुलिस की वाहवाही कर तरफ होने लगी.

लेकिन गिरफ़्तारी के ठीक पांच महीने भी नहीं हुए थे की दो आरोपी मनोहर कुमार सिंह और संजय सिंह को बेल दे दिया गया. झारखंड हाई कोर्ट ने दो लोगों को जमानत दे दिया. कोर्ट ने यह बेल 25-25 हजार के मुचलके पर दी है. साथ ही कुछ सर्त भी रखा है. जिसमें मोबाइल नंबर नहीं बदला जाएगा, केस के ट्रायल के दौरान वह गवाहों को प्रभावित नहीं करेंगे. साथ ही आधार कार्ड में कोई बदलाव नहीं कराएंगे.

अब देखें तो जिस तरह से जब खुद झारखंड पुलिस के स्पेशल ब्रांच के दरोगा के हत्यारे को रांची पुलिस ज्यादा दिन जेल में नहीं सकी तो आप समझ सकते है कि आखिर बाकी मामलों का क्या होता है. गिरफ़्तारी खूब होती है दावा किया जाता है कि कठोर सजा दिलाएंगे. लेकिन अंत में सब हवा हवाई हो जाता है. कोर्ट में ट्रायल के दौरान ही मामला दम तोड़ने लगता है. ऐसे में बड़ा सवाल है कि रांची पुलिस कर क्या रही है. क्या प्रेशर की वजह से किसी और जेल भेज दिया या फिर साक्ष्य ही नहीं जुटा पा रही है.