रांची(RANCHI): छात्र संगठनों के द्वारा सम्पूर्ण झारखंड बंद का कोई खास असर नहीं दिख पा रहा है, राजधानी रांची में इक्का दुक्का प्रयासों को छोड़ कर कहीं भी बंद समर्थकों की भीड़ नहीं देखी गयी, पूरा शहर सामान्य दिनों की तरह ही अपने काम काज में लगा रहा. हालांकि मोरहाबादी सब्जी मार्केट के बंद करवाने की कोशिश की गयी, लेकिन प्रशासन ने इसे नाकाम बना दिया. झारखंड के दूसरे हिस्से से भी बंद का कोई खास असर देखने को नहीं मिला है, हालांकि कुछ स्थानों पर इसका आंशिक असर देखा गया है. दुमका में बंद का आंशिक असर रहा है. लेकिन चक्रधरपुर में बंद को सफल बताया जा रहा है, गुमला लोहरदगा आदि शहरों में बंद का कोई खास असर देखने को नहीं मिला.
60:40 की नियोजन नीति के विरोध में छात्रों का बंद
यहां बता दें कि हेमंत सरकार की 60:40 की नियोजन नीति के विरोध में झारखंड के कई संगठनों के द्वारा आज बंद का आह्वान किया गया है. इन संगठनों के द्वारा परसों सीएम आवास का भी घेराव किया गया था. जबकि कल झारखंड के सभी जिलों में मशाल जुलूस निकला गया था. और आज उनके द्वारा सम्पूर्ण झारखंड बंद का आह्वान किया गया है, इन छात्र संगठनों की मांग हेमंत सरकार की 60:40 वाली नियोजन नीति को वापस करने की है.
हेमंत सरकार की नियोजन नीति को निरस्त किये जाने के बाद आया है 60:40 का फार्मूला
यहां बता दें कि हेमंत सरकार अपनी नियोजन नीति को झारखंड हाईकोर्ट के द्वारा निरस्त किये जाने के बाद 60:40 के फार्मूले के साथ सामने आयी है, 60:40 के इस फार्मूले के तहत 60 फीसदी सीटों को झारखंड के छात्रों के लिए आरक्षित कर दिया गया है, जबकि 40 फीसदी सीटे खुल छोड़ दी गयी है, इन छात्र संगठनों का कहना है कि 40 फीसदी सीटों को ओपन छोड़ने का यह निर्णय झारखंड के छात्रों के साथ अन्याय है और उनकी हकमारी है.
हेमंत सरकार का तर्क
जबकि सरकार का दावा है कि 40 फीसदी सीटों को ओपन छोड़ने का मतलब उसे गैरझारखंडियों के लिए खुला छोड़ना नहीं है, इन सीटों पर भी झारखंडी छात्रों की ही बहाली की जायेगी. इसके साथ ही सीएम हेमंत ने यह भी दुहराया है कि यह कोई स्थायी समाधान नहीं है, लेकिन अभी झारखंड हाईकोर्ट के द्वारा राज्य सरकार की नियोजन नीति को निरस्त कर दिया गया है, और खतियान के आधार पर नियोजन नीति की लड़ाई अभी लम्बी चलने वाली है, इसके लिए केन्द्र की सहमति की भी जरुरत पड़ेगी, तब तक नियुक्ति की प्रक्रिया को बाधित करना इन छात्रों की हकमारी होगी. उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ करना होगा. युद्ध के मैदान में दो कदम आगे बढ़कर एक कदम पीछे हटने को हार नहीं माना जाता बल्कि यह युद्ध का कौशल का हिस्सा होता है. सीएम हेमंत ने दुहराया है कि सरकार भी छात्रों की तरह ही खतियान आधारित नियोजन नीति के पक्ष में है, लेकिन उसके लिए अभी इंतजार करना होगा, और तब तक नियुक्ति की प्रक्रिया को आगे बढ़ाना भी पड़ेगा.
छात्रों को अभी लड़नी होगी लम्बी लड़ाई
लेकिन जिस प्रकार से झारखंड के आम लोगों ने इस बंद से अपने आप को दूर रखा है, छात्र संगठनों के सामने एक मुश्किल खड़ी हो गयी है, जिस आम झारखंडियों के हक-हकूक की लड़ाई लड़ने का वह दम्भ भरते हैं, लगता है कि वही झारखंडी समाज उनके साथ खड़ा नहीं है, या बहुत संभव है कि छात्र संगठन अपने मुद्दों को अभी आम जनमानस तक ले जाने में सफल नहीं हो पाये हों. उस हालत में छात्र संगठनों को अभी लम्बी लड़ाई और संगठन विस्तार के लिए तैयार रहना होगा.
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