टीएनपी डेस्क (TNP DESK) : झारखंड में एक बार फिर कुड़मी, कुर्मी और आदिवासी समुदाय आमने-सामने है. दोनों ओर से संगठन सड़कों पर उतरकर अपना विरोध जता रहे हैं. लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि कुड़मी/कुर्मी-आदिवासी आंदोलन अब आंदोलन न होकर राजनीतिक रूप ले चुका है. कुर्मी आंदोलन के बहाने डुमरी विधायक जयराम महतो झारखंड के कई आदिवासी नेताओं के निशाने पर आ गए है. आदिवासी संगठन विरोध प्रदर्शनों के ज़रिए जयराम के ख़िलाफ़ अपना गुस्सा ज़ाहिर कर चुके हैं. इसी बीच एक ऐसी तस्वीर भी सामने आई जिससे राजनीतिक गलियारों में हलकान ला दिया है. जब झारखंड भर के आदिवासी रामगढ़ में कुर्मी को अनुसूचित जाति (एसटी) में शामिल करने के विरोध में इकट्ठा हुए तो एक तस्वीर सामने आई जिसमें एक बाघ को मारते हुए दिखाया गया था. तस्वीर सामने आने के बाद जेएलकेएम ने भी सवाल उठाए हैं. ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि क्या टाइगर जयराम से आदिवासी समाज दहशत में आ गया है, जिसके कारण आदिवासी संगठनों को ऐसे कदम उठाने पड़ रहें हैं.
मामले को लेकर आदिवासी समाज के लोगों का कहना है कि आदिवासी जन्मजात आदिवासी होते हैं और कोई भी बनावटी आदिवासी नहीं हो सकता. आदिवासी समाज के लोगों ने कहा कि जो भी हमारे अधिकारों को छीनने की कोशिश करेगा, उसे मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा.
वहीं इस मुद्दे को लेकर जेएलकेएम के केंद्रीय प्रवक्ता सुशील मंडल ने कहा कि कुछ फ़र्ज़ी आदिवासी नेता कुर्मी आंदोलन के ज़रिए डुमरी विधायक को निशाना बना रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस आंदोलन में सुदेश महतो और अन्य दलों के विधायक समेत कई नेता शामिल थे, लेकिन आदिवासी संगठनों ने उनका विरोध नहीं किया. जिससे पता चलता है कि इसके लिए किसे ज़िम्मेदार ठहराया जा रहा है. सुशील मंडल ने कहा कि जेएमएम और आजसू जयराम महतो की लोकप्रियता से घबरा गए हैं और अब कुछ लोगों के ज़रिए उन्हें निशाना बनाने की कोशिश कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि जिस तरह से जयराम महतो मूलनिवासी आदिवासियों की आवाज़ बन रहे हैं, मूल आदिवासी आज भी जयराम के साथ हैं, लेकिन कुछ राजनीतिक दलों द्वारा प्रायोजित लोग इसका विरोध कर रहे हैं. विधायक के खिलाफ भड़काऊ बयान दिए जा रहे हैं, जो ठीक नहीं है. वह इस मामले से गृह मंत्रालय को अवगत कराएंगे, क्योंकि यह सुरक्षा का मामला है.

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