रांची- सेना की जमीन की खरीद बिक्री के मामले में आसनसोल के जिस प्रदीप बागची का नाम सामने आ रहा है, दावा किया जा रहा है कि अफसर अली उसी प्रदीप बागची का खासमखास है, जिस कागजात के सहारे प्रदीप बागची सेना की जमीन पर अपना दावा जता रहा था, उस दस्तावेज को इसी अफसर अली के द्वारा तैयार किया गया था, सेना की जमीन तो एक बानगी है, दावा किया जाता है कि अफसर अली किसी भी जमीन का दस्तावेज आपके नाम चुटकियों में बना सकता है, मामला चाहे झारखंड का हो या बंगाल का, हर जगह उसकी तूती बोलती है.
रिम्स में थर्ड ग्रेड का कर्मचारी है अफसर
कहने को वह रिम्स में थर्ड ग्रेड का कर्मचारी है, लेकिन उसकी हैसियत इतनी है कि बड़ा से बड़ा पदाधिकारी भी उसके सामने आने से कतराता है, चिकित्सकों को तो वह अपनी चुटकियों पर नचाता है, उसके रसूख का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि रिम्स में सभी कर्मचारियों की ड्यूटी रोटेशन में लगती है, लेकिन पिछले कई सालों से वह सिर्फ नाइट ड्यूटी कर रहा है, वह भी सिर्फ कागजी तौर पर. वास्तविक रुप से वह किसी भी महीने दो से चार दिन से ज्यादा की ड्यूटी नहीं करता, कभी कभी तो वह पूरे महीने का अटेंडेंस एक दिन ही बनाता है, लेकिन कोई उसे रोकने की हिम्मत नहीं जुटाता. रात की ड्यूटी वह इसलिए लगवाता है, ताकि वह दिन का समय जमीन की दलाली और फर्जी दस्तावेज तैयार करने में लगा सके.
जेल जाने के 24 घंटे बाद भी निलंबित नहीं हुआ अफसर
उसकी पकड़ और रसूख का दूसरा उदाहरण यह है कि उसकी गिरफ्तारी को चौबिस घंटे से ज्यादा का समय बीत चुका है, उसे जेल भी भेजा जा चुका है, लेकिन अब तक उसे रिम्स से निलंबित नहीं किया गया है.
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