टीएनपी डेस्क:  दिल्ली में क्या आम आदमी पार्टी एंटी इंकम्बैंसी से  डरी हुई है? क्या इसलिए चुनाव के बहुत पहले से ही तैयारी शुरू कर दी है? क्या बिना किसी हिचकिचाहट के उम्मीदवारों के नाम काटे जा रहे हैं? क्या खतरे के डर  से कुछ महत्वपूर्ण नेताओं के सीट में अदला-बदली की जा रही है? क्या कोई नया ट्रेंड शुरू कर दिया है ? यह सब ऐसे सवाल हैं, जो बता रहे हैं कि आम आदमी  पार्टी  एंटी इनकंबेंसी से बचना चाहती है.  और अभी से ही तैयारी शुरू कर दी है.  यह बात भी सच है कि इस बार मुकाबला कड़ा होगा.  पार्टी ने इंटरनल सर्वे भी करा  लिया है. 

 उसमें बताया गया है कि कई मौजूदा विधायकों की स्थिति ठीक नहीं है.  साथ ही  अपने दम पर चुनाव जीतने वाले उम्मीदवारों को तरजीह  दी जा रही है.  पार्टी ने  उम्मीदवारों की दूसरी सूची जारी की  है ,इसमें से 13 मौजूदा विधायकों का टिकट काट दिया गया है. जानकारी के अनुसार  अब तक 31 लोगों की सूची जारी की गई है.  इसमें आधे सीटिंग विधायकों का टिकट काट दिया गया है.  आम आदमी पार्टी इतना बड़ा फैसला क्यों और किस आधार पर ले  रही है, यह राजनीतिक पंडित भी नहीं समझ पा रहे है.  आम आदमी पार्टी जब पहली बार दिल्ली के चुनावी मैदान में 2013 में उतरी, तो उसे समय सभी नए चेहरे चुनावी मैदान में थे.  

आम आदमी पार्टी कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाई.  सरकार कुछ दिन ही चली ,लेकिन 2015 और 2020 में आम आदमी पार्टी को बड़ी जीत मिली. इन दोनों चुनाव में पार्टी ने  पुराने चेहरों पर ही भरोसा जताया था. 2025 का चुनाव ऐसा होने जा रहा है, जिसमें इतनी बड़ी संख्या में सिटिंग विधायकों के नाम काटे गए है.  जानकारी के अनुसार आम आदमी पार्टी ने भाजपा से आप में आए नेताओं के अलावा पार्टी के पार्षदों और कार्यकर्ताओं को तरजीह  दी है.  पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया तक का सीट बदल दिया गया है.  राजनीतिक पंडित गणित बैठा  रहे हैं कि आखिर आम आदमी पार्टी किस राह पर चल रही है? क्या यह राह   उसे मंजिल तक पहुंचाएगी?

रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो