देवघर(DEOGHAR): सरकार सुदूर गांवों तक विकास की रौशनी पहुँचाने के चाहे जितने दावे कर ले लेकिन देवघर में जिला मुख्यालय से महज 15 किलोमीटर की दुरी पर स्थित झुमरबाद गांव सरकार के दावों का पोल खोल रही है.

बीच सड़क बना तालाब,बत्तख कर रहे अटखेलियां

जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर और प्रखंड कार्यालय से 2 किलो मीटर दूर यह है देवीपुर बारवां मुख्य सड़क स्थित झुमरबाद गांव.प्रतिदिन इस रास्ते बड़ी संख्या में छोटे बड़े वाहनों का आवागमन होता है. इसी रास्ते कस्तूरबा गांधी स्कूल भी हक़ी.झुमरबाद गांव से गुजरता यह सड़क गड्ढा में तब्दील हो गया है.गड्ढा इतना गहरा हो गया की मानो सड़क नही तालाब हो.बीच सड़क बनी तालाब नुमा गड्ढा में बत्तख अटखेलियां करते नज़र आ रहे है.बत्तख द्वारा सड़क पर अटखेलियां करने के कारण वाहनों का चक्का थम जाता है.फिर स्थानीय लोगों द्वारा जब तक सड़क से बत्तख को नही हटाते तब तक आवागमन बाधित रहता है.

आजतक आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला

ऐसा नहीं है की ग्रामीणों ने अपनी परेशानियों से अधिकारी या अपने जनप्रतिनिधि को अवगत नहींकराया,लेकिन आजतक उन्हें आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला.थक हार कर ग्रामीण अब इसे अपनी नियति मान बैठे है.रोड में गड्ढा नहीं गड्ढों में रोड' वाली कहावत यहां सत्य साबित हो रही है.गड्ढों में तब्दील हो चुकी यह सड़क प्रखंड से लेकर जिला मुख्यालय को जोड़ने वाली यह एक मात्र सड़क जानलेवा बन चुकी है.लोग बमुश्किल इस सड़क पर चल पाते है.छोटी-मोटी दुर्घटना तो इस सड़क पर आम बात हो गई है.दो पहिया या चार पहिया वाहन तो दूर इस पक्की सड़क पर पैदल चलना भी मुश्किल हो गया.बारिश के मौसम में तो यह अत्यधिक जानलेवा साबित हो जाता है.

मरीज को अस्पताल पहुंचाना  परेशानी और जोखिम भरा होता है

इस स्थिति में खासकर किसी मरीज को अस्पताल पहुंचाना तो ग्रामीणों के लिए परेशानी और जोखिम भरा हो जाता है.ऐसा नहीं है कि स्थानीय ग्रामीणों ने सड़क बनाने के लिए प्रयास नहीं किया है लेकिन आजतक न तो कोई जनप्रतिनिधि और न ही किसी अधिकारी ने इनकी परेशानियों को गंभीरता से लेने की कोशिश की.

सड़क ने खोली सरकार की दावे की पोल

समाज के अंतिम व्यक्ति तक विकास की रौशनी पहुँचाने का सरकार लाख दावा कर ले लेकिन देवघर के इस झुमरबाद गांव के मुख्य सड़क की स्थिति सरकार के वास्तविक हालात से दावे और हक़ीक़त का फर्क आईने की तरह साफ है.

रिपोर्ट-रितुराज सिन्हा