नई दिल्ली (NEW DELHI) : पूरे देश के लिए एक चुनाव कराने की दिशा में देश आगे बढ़ रहा है. इससे संबंधित कानूनी प्रक्रिया धीरे-धीरे आगे बढ़ती जा रही है. मोदी कैबिनेट ने इससे संबंधित बिल को मंजूरी पहले ही दे रखी है. मंगलवार को संसद में इससे संबंधित बिल पेश किया जा रहा है, लोकसभा के सभी सदस्यों को भाजपा की ओर से भी जारी किया गया है, वन नेशन वन इलेक्शन कानून का कुछ राजनीतिक दल विरोध भी कर रहे हैं.
इस बिल का क्या है मकसद, जानिए
मंगलवार को केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन मेघवाल लोकसभा में एक देश एक चुनाव से संबंधित विधेयक पेश करेंगे. इस विधेयक के माध्यम से आने वाले समय में लोकसभा के साथ राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव एक साथ करने की कानूनी व्यवस्था होगी. इस संविधान संशोधन विधेयक का नंबर 129 है. इसके तहत लोकसभा चुनाव से संबंधित अनुच्छेद 83 में संशोधन का प्रस्ताव होगा. राज्य विधानसभा के लिए आम चुनाव से संबंधित संविधान के अनुच्छेद 172 में भी संशोधन का प्रस्ताव होगा. लोकसभा में इस बिल या विधायक पर चर्चा होगी उसके बाद यह राज्यसभा में पेश होगा.
वन नेशन वन इलेक्शन बिल के बारे में और जानिए
संभावना यह व्यक्त की जा रही है कि वन नेशन वन इलेक्शन के कानून बन जाने से कई राज्यों के विधानसभा चुनाव 2029 के लोकसभा चुनाव के साथ हो सकते हैं. केंद्र की मोदी सरकार इसको लेकर आम सहमति बनाने का प्रयास करेगी. वैसे कई राजनीतिक दल इस ऐतिहासिक बिल के खिलाफ है, झारखंड में भी इसका विरोध हो रहा है. दक्षिण भारत में डीएमके भी इसके खिलाफ है. कई अन्य राजनीतिक दल भी इसे गलत बता रहे हैं. उल्लेखनीय है कि वन नेशन वन इलेक्शन से संबंधित एक हाई लेवल कमिटी पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में बनी थी. इस कमेटी ने पिछले मार्च में अपनी रिपोर्ट सौंपी थी. कुछ दिन पूर्व मोदी कैबिनेट ने बिल के प्रस्ताव को मंजूरी दी है.
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