झारखंड की सबसे ज्यादा विलुप्त जनजाति समुदाय में से एक है बिरहोर जनजाति समुदाय.ऐसे में जब इन जनजातियों के जीवित होने और उनके अस्तित्व को बचाने को लेकर सवाल उठते रहे हैं और उसी बीच ऐसी खबर मिले कि उस समुदाय से जिले की पहली लड़की ने हायर सेकेंडरी पास कर ली तो इससे अच्छी कोई खबर हो ही नहीं सकती है. टाटा स्टील के सहयोग से रश्मि बिरहोर सेंट रॉबर्ट स्कूल, हजारीबाग से 12वीं(हायर सेकेंडरी) पास करनेवाली रामगढ़ जिले की पहली बिरहोर छात्रा बन गई है.रश्मि बिरहोर रामगढ़ जिले के वेस्ट बोकारो मांडू प्रखंड के बिरहोर टोला की रहनेवाली है. रश्मि ने सेकेंड डिवीजन से 12 वीं पास की जो उसके टोला के लिए एक दुर्लभ घटना से कम नहीं है.अपनी सफलता से भावुक हो चुकी रश्मि के लिए कुछ भी बयां करना मुश्किल जरूर हो रहा है लेकिन खुशी इससे कहीं ज्यादा है.
रश्मि बिरहोर पहली छात्रा है जिसने बिरहोर समुदाय से 12वीं की परीक्षा पास की है
टाटा स्टील के “प्रोजेक्ट आकांक्षा” से मिला हौसला
टाटा स्टील से मिली जानकारी के अनुसार टाटा स्टील के “प्रोजेक्ट आकांक्षा” के तहत दो साल पहले रश्मि ने 10वीं बोर्ड की परीक्षा उत्तीर्ण की थी. आगे पढ़ाई जारी रखने की इच्छा को देखते हुए टाटा स्टील का सहयोग मिलता रहा. प्रोजेक्ट आकांक्षा टाटा स्टील फाउंडेशन का एक हिस्सा है जिसे 2012 में शुरू किया गया था. इसके जरिए समाज में हाशिए पर पड़े समुदाय खासकर समुदाय की लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा दिया जाता है. इसका उद्देश्य लुप्तप्राय जनजातियों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाना है. प्रोजेक्ट आकांक्षा के तहत 220 बिरहोर बच्चों को नामांकित किया गया है जिन्हें शैक्षिक सहायता दी जाती है.
गरीबी के बीच इस बच्ची ने इलाके के लिए गढ़ी नई कहानी
12वीं पास कर अपने इलाके की एक नई कहानी गढ़ डाली है.ये हमारे आपके लिए कोई बड़ी बात नहीं लेकिन भारत और झारखंड के सबसे कमजोर जनजातीय समुदायों में से एक बिरहोर जनजाति के किसी लड़की का इस मुकाम पर पहुंचना बहुत बड़ी और अनोखी बात है. तमाम विकट परिस्थितियों के बावजूद रश्मि बिरहोर ने हार नहीं मानी और नतीजा सामने है. उसने अपनी सफलता का श्रेय टाटा स्टील औऱ परिवार को दिया है.
टाटा स्टील फाउंडेशन दे रहा है रश्मि के सपनों को उड़ान
रश्मि कहती है कि उनके माता पिता चाहते हैं कि वो आगे औऱ पढ़े और अपना बेहतर भविष्य बनाये. टाटा स्टील फाउंडेशन का सहयोग मेरे साथ है जिसका सहयोग मिलता रहा है.टाटा स्टील का शुक्रिया करते हुए रश्मि ने कहा कि माता पिता के बाद टाटा स्टील ही वो संस्था है जिसने हमेशा उनका उत्साह बढ़ाया.
रश्मि अपने समुदाय के बच्चों के लिए बन गई है रोल मॉडल
रश्मि बिरहोर तो इस इलाके में महज एक शुरूआत है.रश्मि ने जो बदलाव का रास्ता तय किया है उस पर पीछे से बच्चों की लंबी कतार खड़ी है जिसके पीछे टाटा स्टील का हाथ है.रश्मि बिरहोर आगे चलकर डिप्लोमा कोर्स करके अपने पैरों पर खड़े होना चाहती है.आज वह अपने समुदाय के बच्चों के लिए रोल मॉडल बन गई है.
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