रामगढ ( ramgarh)- के पतरातू में सड़क किनारे नींबू बेचकर, पढ़ाई करने को मजबूर है नन्हा अंकित ,जिस उम्र में बच्चों के खेलने कूदने की होती है, उस उम्र में अगर बच्चें  घर की जिम्मेदारियों को उठाते नजर आयें, तो इसे नियती का खेल कहें या सरकार की कुव्यवस्था. रामगढ़ जिला के पतरातु प्रखंड के भुरकुंडा में अंकित कुमार नाम का एक एक लकडा नींबू बेचकर अपना घर चलाने को मजबूर है. ना पक्का मकान है ना घर में बिजली, ना ही आर्थिक रूप से मजबूत, जिसके कारण ये नन्हा अंकित आज छोटी सी उम्र में नीबू बेचकर अपने माता-पिता की मदद करता है. इतना ही नहीं अपनी पढ़ाई का खर्च भी अंकित इसी पैसे से पूरा करता है.  लॉक डाउन में जहां एक ओर बच्चों की पढाई ऑनलाइन से चल रही थी, वहीं अंकित सडक किनारे नींबू बेचता रहा, उसके पास मोबाइल फोन नहीं रहने के कारण वह अपनी पढाई नहीं कर पाया. घर की आर्थिक स्थिति  खराब होने के कारण अंकित सुबह  ही अपने घर से निकल जाता है, देर शाम को नींबू बेचकर घर लौटता है, इसी में समय निकाल कर वह पढाई में लग जाता है. इस मासूम के संघर्ष को देख कर सरकार और दानी जनप्रतिनिधियों के दावों की कलई स्वत: खुल जाती है. राज्य शिक्षा विभाग गरीब बच्चों की नि:शुल्क शिक्षा के लिए कई योजनाएं चला रही है,लेकिन अंकित और उसके परिवार को सरकार की कोई लाभ नहीं मिल रहा है. जिसके कारण ही अंकित को नींबू बेच कर अपनी पढाई करनी पड़ रही है. 

 

रिपोर्ट : गुड्डू पाठक,पतरातू,रामगढ.