TNP DESK-:  बिहार में मुख्यमंत्री के शपथ लेने के साथ ही  एनडीए का जश्न अब लगभग समाप्ति की ओर है.  लेकिन सामने बंगाल का चुनाव है.  वैसे तो बीजेपी ने पहले ही भूपेंद्र यादव और विप्लव देव को चुनाव प्रभारी बनाने की घोषणा कर दी है.  लेकिन अब जमीन पर भी काम शुरू हो गया है.  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि गंगा, बिहार  से होकर बंगाल को जाती है.  बिहार ने बंगाल में बीजेपी की जीत का मार्ग खोल दिया है.  उन्होंने बंगाल के भाई -बहनों को बधाई देते हुए कहा था कि अब उनके साथ मिलकर बीजेपी बंगाल से जंगलराज को उखाड़ फेकेंगी.  बिहार चुनाव के बीच ही बंगाल में एस आई  आर के तहत मतदाता सूची में संशोधन का काम शुरू हो गया है.  इसके साथ ही चुनाव आयोग और ममता सरकार में टकराव भी बढ़ गया है.  

भाजपा की बड़ी लालसा है कि वह बंगाल में चुनाव जीते

जाहिर है- भाजपा की बड़ी लालसा है कि वह बंगाल में चुनाव जीते.  बंगाल को लेकर बीजेपी गंभीर है.  इसका एक यह उदाहरण मात्र है कि 25 सितंबर को बिहार विधानसभा चुनाव के प्रभारियों  की नियुक्ति के साथ ही बंगाल के चुनाव प्रभारी की घोषणा कर दी गई थी.  बीजेपी बंगाल में किसी के चेहरे पर चुनाव लड़ेगी अथवा सामूहिक नेतृत्व में चुनाव होगा, यह अभी साफ नहीं हुआ है.  समूचे बंगाल में बीजेपी यात्रा निकालने की तैयारी कर रही है.  यात्रा कई जगह से निकलकर कोलकाता में समाप्त होगी.  इस यात्रा के पीछे एक मकसद यह भी हो सकता है कि बंगाल में भाजपा कार्यकर्ताओं में डर के माहौल को समाप्त किया जा सके. 

ममता दीदी को वंशबाद पर घेरने की भाजपा कर सकती है कोशिश 

 चुनाव में बीजेपी कानून व्यवस्था को तो मुद्दा बनाएगी ही, लेकिन ममता दीदी को वंशवाद पर भी घेरने  की कोशिश करेगी.  रोजगार का मुद्दा भी हावी रह सकता है.  भाजपा टीएमसी में अभिषेक बनर्जी  की बढ़ती धमक को वंशवाद से जोड़ेगी.  भाजपा का मानना है कि जिस तरह कार्यकर्ता ममता बनर्जी से जुड़े हुए हैं, उस तरह अभिषेक बनर्जी से उनका जुड़ाव नहीं है और इसका फायदा भाजपा उठाने की कोशिश करेगी.  बंगाल में एक बात यह भी है कि जातीय राजनीति यहां नहीं चलती.  इसलिए बीजेपी जातिगत समीकरणों पर ध्यान देने के बजाय क्षेत्रीय समीकरणों के हिसाब से संतुलन बनाने की कोशिश करेगी.  पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा ने बंगाल में पूरी ताकत झोंक दी थी. 

बंगाल में पिछली बार गृह मंत्री के कैंप के बाद भी भाजपा को नहीं मिली थी सफलता 
 
गृह मंत्री अमित शाह खुद बंगाल में कैंप किए थे, लेकिन भाजपा 77 सीट  ही जीत पाई थी.  यह बात भी सच है ,बंगाल की कई सीमाएं झारखंड से सटती  है.  ऐसे में ममता बनर्जी निश्चित रूप से चाहेंगी  कि झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का भी सहयोग लिया जाए.  हो सकता है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा बिहार में तो नहीं, लेकिन बंगाल के कुछ सीटों पर चुनाव लड़ सकता है. इधर ,भाजपा भी धनबाद सहित झारखंड के नेताओं को बंगाल चुनाव में लगाएगी ,बता दे कि नया साल आते-आते बंगाल में चुनाव की उल्टी गिनती शुरू हो जाएगी.  बिहार चुनाव परिणाम से उत्साहित भाजपा बंगाल फतह की पूरी कोशिश करेगी, इसमें किसी को कोई शक -सुबहा  होनी नहीं चाहिए.  दूसरी ओर ममता दीदी भाजपा को रोकने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेंगी.
 
 रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो