धनबाद(DHANBAD): कोल इंडिया और उसकी अनुषंगी  कंपनियों में  कार्यरत और अवकाश ग्रहण करने वाले लोगों के लिए एक बड़ी राहत की खबर है.  अभी तक कोल इंडिया पेंशन फंड में ₹10 प्रति टन  के हिसाब से सहयोग दे रही थी.  लेकिन अब₹20 प्रति टन  का सहयोग करेगी.  इसकी मंजूरी कोल इंडिया बोर्ड से मिल गई है.  सिर्फ कोयला मंत्रालय की मंजूरी का इंतजार है.  कोयला मंत्रालय से मंजूरी मिलते ही पेंशन फंड में प्रति टन  ₹20 की राशि मिलनी शुरू हो जाएगी.  सूत्रों के अनुसार सितंबर 2020 से कोल इंडिया ₹10 प्रति टन  सहयोग राशि पेंशन फंड में देती आ रही है.  लेकिन अब ₹20 प्रति टन देगी.  इससे पेंशन फंड को निश्चित रूप से मजबूती मिलेगी.  यह भी बता दें कि सीएमपीएफ बोर्ड ऑफ ट्रस्टी की 17 जनवरी को बैठक में सहमति बनी थी कि कोल्  इंडिया को इसकी जिम्मेदारी लेनी चाहिए.  कोयला  सचिव ने पेंशन फंड में कोल इंडिया को  विचार करने की बात कही थी.  

अंशदान करने वालो की संख्या लगातार घाट रही है 

फिलहाल सीएमपीएफओ में पेंशन लेने वालों की संख्या अधिक है, जबकि पेंशन फंड में अंशदान करने वालों की संख्या लगातार घट रही है.  कोल इंडिया पेंशन फंड में स्थिरता कायम  करने के लिए कोयला मंत्रालय के एडिशनल सेक्रेटरी की अध्यक्षता में कमेटी गठित की थी.  कमेटी की चौथी बैठक इस साल जनवरी महीने में हुई थी.  इसमें तय हुआ था की पेंशन फंड की स्थिरता बनाए रखने की जिम्मेदारी कोल इंडिया मैनेजमेंट की है.  अब जबकि कोल्  इंडिया मैनेजमेंट ने राशि बढ़ाने पर सहमति दे दी है और अब सिर्फ कोयला मंत्रालय की मंजूरी का इंतजार किया जा रहा है. निश्चित रूप से यह पेंशन के हकदार लोगो के लिए राहत की खबर है.   बता दें कि पेंशनर एसोसिएशन यह मांग  कर दिया था कि सीएमपीएफओ को विघटित  कर कोल इंडिया में मिला दिया जाए.   क्योंकि पेंशन फंड की जिम्मेदारी कोयला कंपनियों की है.  इसके बाद से ही सक्रियता शुरू हो गई थी और अब जाकर इस पर निर्णय हुआ है.बता दे कि देश की कोयला उत्पादक कंपनी कोल इंडिया में कोयले का उत्पादन बढ़ता गया और कोयलाकर्मियों के लिए बनी कोल माइंस प्रोविडेंट फंड (सीएमपीएफ) पर ब्याज दर लगातार घटती गई.  कोयलाकर्मियों को जमा राशि पर कम ब्याज मिल रहा है.  

साल 2000 में कोयलाकर्मियों को 12% की दर से ब्याज मिलता था

दरअसल, 2000 में कोयलाकर्मियों को 12% की दर से ब्याज मिलता था.  जो घटते- घटते अब 2025 में 7.6 0% हो गया है. 2024 में भी  7.6 0% ही था. जबकि उसके पहले के वर्ष में अधिक था. बता दें कि कोयलाकर्मियों को प्रोविडेंट फंड पर मिलने वाले  ब्याज की दर बोर्ड ऑफ ट्रस्टी की बैठक में तय होता है.  इसके अध्यक्ष कोयला सचिव होते है.  ज्यादातर सदस्य सरकार के अधिकारी या उनके मनोनीत प्रतिनिधि होते है.  ब्याज दर का निर्धारण बहुमत के आधार पर होता है.  इसमें ट्रेड यूनियन के चार प्रतिनिधि भी बैठते है.  यही वजह है कि यूनियन के बहुत विरोध का असर बैठक में नहीं हो पाता .  कोयलाकर्मियों के मूल वेतन से 12 फ़ीसदी राशि कटती  है.  उतनी प्रतिशत राशि कोयला कंपनिया  देती है. बताया जाता है कि सरकार कोयलाकर्मियों का पैसा शेयर में लगाती  है.  मजदूर संगठन इसका विरोध करता रहा है.  शेयर में पैसा डूबने का असर कोयलाकर्मियों की आय  पर पड़ता है.  यही वजह है कि एक समय 12% तक ब्याज मिलता था, जो आज घटकर 7.60% हो गया है.   

कोयला खान भविष्य निधि संगठन को विघटित करने की मांग उठ रही 

यहां यह भी उल्लेखनीय है कि कोयला खान भविष्य निधि संगठन (CMPF0 )का अस्तित्व ही खत्म करने की मांग  उठ गई थी . कोल माइंस पेंशनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष रामानुज प्रसाद ने कहा था  कि हमारी मांग है कि सीएमपीएफओ को कोल इंडिया लिमिटेड में विलय कर दिया जाए और अंशदाता की पेंशन आदि की व्यवस्था कोल इंडिया लिमिटेड करे. इस प्रकार करने से अंशदाता की जमा राशि का 4% प्र शासनिक खर्च भी बचेगा और अंशदाताओं को राशि भी समय पर मिल जाएगी. उन्होंने कहा था  कि कोयला खान भविष्य निधि संगठन की स्थापना भारत सरकार के श्रम और नियोजन मंत्रालय के अधीन हुई थी. जिसका उदेश्य अंशदाता का हित सुनिश्चित करना था. संसद से पारित अधिनियम के तहत CM PF miscellaneous rules, 1948 बना था. जिसके तहत इस संगठन को अधिकृत किया गया था कि नियोक्ता अगर अंशदाता से काटी गई राशि को समय पर CMPF0 में जमा नहीं करता है, तो नियोक्ता को दंडित कर सकता है. किंतु श्रम और रोजगार मंत्रालय से कोयला मंत्रालय में आने के बाद यह संस्था शक्तिविहीन हो गई है. 


रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो