धनबाद(DHANBAD) : देश की कोयला उत्पादक कंपनी कोल इंडिया और उसकी अनुषंगी इकाइयों में काम कर रहे लगभग सवा दो लाख कर्मचारियों को मिलने वाले लाभ का आदेश जारी हो गया है. पहली मार्च "2025 से उन्हें यह लाभ मिलेगा. इससे उनके वेतन में न्यूनतम ₹370 से अधिकतम 2350 रुपए तक की प्रति महीने वृद्धि संभव है. कोल इंडिया के महाप्रबंधक (श्रम शक्ति एवं औद्योगिक संबंध) ने इसका आदेश सभी अनुषंगी कंपनियों को भेज दिया है. यह आदेश कोल इंडिया एवं उसकी सभी अनुषंगी कंपनियों में लागू है. बता दें कि कोयलाकर्मियों के परिवर्तनशील महंगाई भत्ते में पिछले तिमाही से 1.02 प्रतिशत की वृद्धि की गई है. अब लगभग सवा दो लाख कर्मियों को 21.3 प्रतिशत महंगाई भत्ता मिलेगा और यह 1 मार्च 2025 से प्रभावी माना जाएगा. होली के पहले उन्हें यह सुखद सूचना मिली है.
हर 3 महीने पर परिवर्तनशील महंगाई भत्ते में बदलाव का है नियम
हर 3 महीने पर परिवर्तनशील महंगाई भत्ते में बदलाव करने का नियम है. फरवरी के अंतिम सप्ताह में परिवर्तनशील महंगाई भत्ता बढ़ाने का निर्णय लिया गया था लेकिन इससे संबंधित आदेश अब जाकर जारी किया गया है. बता दे कि देश ही नहीं, बल्कि विदेश की भी सबसे बड़ी कोयला उत्पादक कंपनी कोल इंडिया लिमिटेड अब 50 साल की हो गई है. पहली नवंबर" 2024 को इस कंपनी के गठन के 50 साल पूरे हो गए. इस कंपनी को महारत्न कंपनी का भी दर्जा प्राप्त है. कंपनी में एक तरफ देशी और विदेशी माइनिंग ऑपरेटरो की भूमिका बढ़ रही है, तो कंपनी भी केवल कोयला प्रोडक्शन से बाहर निकलने के लिए हाथ-पांव मार रही है.
सिर्फ कोयला उत्पादन से बाहर निकलने की कोशिश में कंपनी
कंपनी अब कोयला उत्पादन से बाहर निकल कर क्रिटिकल मिनरल और थर्मल पावर में कदम बढ़ा रही है. कोल इंडिया आयात पर निर्भरता को कम करने के लिए कोबाल्ट और लिथियम जैसे महत्वपूर्ण खनिजों का अधिग्रहण करना चाहती है. इसके लिए कदम बढ़ा दिए गए है. इन क्रिटिकल मिनरल ब्लॉकों के लिए ई-नीलामी में भी कंपनी हिस्सा ले रही है. कंपनी हाल ही में मध्य प्रदेश में ग्रेफाइट ब्लॉक के लिए बोली लगाई है. जो इसका पहला गैर कोयला खनिज खनन उद्यम होगा. कंपनी का कहना है कि वह घरेलू बाजार और विदेशों में लिथियम समेत महत्वपूर्ण खनिजों के अधिग्रहण के लिए कोशिश कर रही है. बता दे की कंपनी में प्राइवेट प्लेयर्स की संख्या बढ़ने से रेगुलर कर्मचारियों की संख्या घट रही है. नई नियुक्तियां नहीं हो रही है. जो कर्मी रिटायर कर रहे हैं, उनकी जगह पर नई नियुक्तियो के बजाय आउटसोर्स कंपनियों का सहारा लिया जा रहा है. नतीजा है कि कंपनी में ठेका प्रथा बढ़ रही है.
रिपोर्ट-धनबाद ब्यूरो
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