धनबाद(DHANBAD):  झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय अधिवेशन में न केवल विधायक कल्पना सोरेन को बड़ा पद मिलेगा, बल्कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को आदिवासी समाज के राष्ट्रीय चेहरे के रूप में पेश करने के प्रस्ताव पर भी मुहर  लग सकती है.  2024 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को शिकस्त  देने के बाद हेमंत सोरेन का राजनीतिक कद बढ़ गया है.  अब झारखंड मुक्ति मोर्चा हेमंत सोरेन को आदिवासी समुदाय के राष्ट्रीय चेहरे के रूप में पेश करने की कोशिश में है.  हेमंत सोरेन फिलहाल झामुमो  के कार्यकारी अध्यक्ष है. महाधिवेशन 14 और 15 अप्रैल को प्रस्तावित है. 

झारखंड से बाहर भी पार्टी को फैलाने की है योजना 
 
सूत्र बताते हैं कि इस कदम का उद्देश्य न सिर्फ झारखंड मुक्ति मोर्चा को दूसरे राज्यों में तेजी से विस्तार देना है, बल्कि हेमंत सोरेन को आदिवासी  समुदाय के एकमात्र नेता के रूप में स्थापित भी करना है.  झारखंड मुक्ति मोर्चा की योजना है कि पार्टी को न सिर्फ झारखंड बल्कि बिहार, ओड़िशा , पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ से लेकर मणिपुर के साथ-साथ पूर्वोत्तर के राज्यों में भी विस्तार दिया जाए.  सूत्र बताते हैं कि केंद्रीय महाधिवेशन के दौरान इस पर मुहर  लग सकती है.  हेमंत सोरेन को यह  जिम्मेदारी दी जा सकती है कि आदिवासी समुदाय के हक और अधिकार की बात को राष्ट्रीय मंच पर बुलंद  करे. 

चुनाव में सफलता के बाद हेमंत सोरेन का भी बढ़ गया है कद 
 
यह भी  माना जा रहा है कि शिबू सोरेन के बाद आदिवासी नेताओं में हेमंत सोरेन ही ऐसे हैं, जो राष्ट्रीय स्तर पर आदिवासियों की मांग को बुलंद कर सकते है.  धनबाद के एक झामुमो  नेता का कहना है कि देशभर के लोगों ने देखा है कि केंद्र और भाजपा के कथित अत्याचार के सामने जो आदमी नहीं डिगा , वह हेमंत सोरेन ही है.  बता दें कि 2024 विधानसभा चुनाव के पहले झारखंड में तेजी से राजनीतिक घटनाक्रम बदले.  हेमंत सोरेन गिरफ्तार कर लिए गए.  फिर चंपई सोरेन को मुख्यमंत्री की कुर्सी मिली.  हेमंत सोरेन के 5 महीने जेल में रहने के बाद जब वापस आए, तो वह फिर से मुख्यमंत्री बने.  इससे नाराज चंपई सोरेन ने पार्टी छोड़ दी और भाजपा में चले गए. 

झारखंड में कल्पना सोरेन मजबूत नेत्री बन उभरी हैं 

 हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद उनकी पत्नी कल्पना सोरेन ने पार्टी की बागडोर अपने हाथों में ली और धुआंधार प्रचार किया.  चुनाव में भी वह स्टार प्रचारक बनी रही.  फिलहाल वह गिरिडीह के गांडेय  से विधायक है.  महाअधिवेशन में उन्हें भी बड़ा पद मिलना लगभग तय है.  कहा तो यही जा रहा है की चंपाई  सोरेन के पार्टी छोड़ने के बाद केंद्रीय उपाध्यक्ष का जो पद रिक्त है, वह कल्पना सोरेन को मिल सकता है.  यह भी कहा जा रहा है कि केंद्रीय महासचिव का पद भी उन्हें दिया जा सकता है. कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि केंद्रीय महाधिवेशन में जहां कल्पना सोरेन को ऊंची उड़ान मिल सकती है ,वही हेमंत सोरेन को राष्ट्रीय नेता बनाने के प्रस्ताव पर भी मुहर  लग सकती है. 

रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो