धनबाद(DHANBAD): झारखंड के जमशेदपुर में मारा  गया मुख्तार अंसारी का कुख्यात शूटर अनिल कनौजिया सिर्फ दोनों हाथों से एक साथ फायरिंग करने में ही एक्सपर्ट नहीं था, बल्कि वह टेक्निकल ढंग से भी एक्सपर्ट  था.  यही वजह है कि यूपी एसटीएफ को सही-सही जानकारी मिलने में परेशानी होती थी.  सूत्र बताते हैं कि जिस जगह पर उसे रुकना होता, वहां से 5-10 किलोमीटर पहले से ही वह अपना मोबाइल ऑफ कर लेता था.  वह एक ड्राइवर को भी अपने साथ रखता था.  जमशेदपुर में भी एनकाउंटर के पहले यूपी एसटीएफ और झारखंड एटीएस को कभी आशा तो कभी निराशा मिल रही थी.  वैसे, तो जमशेदपुर के भूमिहार मेंशन को पुलिस ने शनिवार  की शाम से ही घेराबंदी शुरू कर दी थी.  जब पक्की सूचना हो गई कि  अनुज कनौजिया भूमिहार मेंशन स्थित अपने ठिकाने पर आ गया है,तब टीम ने एक्शन शुरू किया.  सूत्र बताते हैं कि शनिवार शाम 7 बजे से ही घेराबंदी शुरू की गई, लेकिन यूपी एसटीएफ और झारखंड एटीएस चौकस थी.  क्योंकि वह जानती थी कि अनुज कनौजिया के पास हथियार हो सकते है. 

पुलिस बाहर  का माहौल शांत होने का इंतजार कर रही थी 

 पुलिस लोगों के आने-जाने के  थमने का इंतजार कर रही थी.  रात 10 बजे के बाद जब बाहर सन्नाटा छा गया, तो यूपी एसटीएफ और झारखंड एटीएस की टीम भूमिहार मेंशन में घुसने का प्रयास शुरू किया.  अंदर जाने के बाद पता लगा लिया गया कि अनुज कहां पर और किसी कमरे में है.  पुलिस ने अनुज को सरेंडर करने को कहा, लेकिन वह अपने कमरे के भीतर से ही फायरिंग शुरू कर दी.  फायरिंग के जवाब में  उसे माइक से अनाउंसमेंट कर सरेंडर करने को कहा जाने लगा.   लेकिन वह खिड़की से बाहर अपने हाथ निकालकर फायरिंग शुरू कर दी.  इसी बीच अनुज की पिस्टल की एक गोली यूपी एसटीएफ के डीएसपी को लग गई.  डीएसपी को गोली लगने के बाद यूपी एसटीएफ और झारखंड एटीएस ने जवाबी फायरिंग तेज कर दी.   जिसमें अनुज मारा  गया.  कहा तो यही जाता है कि लगभग आधे घंटे तक गोलियां चलती रही. जब गोली चलनी बंद हुई तो अनुज खिड़की के नीचे गिरा मिला.  मेडिकल जांच में डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. 

अनुज कनौजिया लगातार अपना ठिकाना बदल रहा था
 
सूत्र बताते हैं कि अनुज कनौजिया लगातार अपना ठिकाना बदल रहा था.  उसे भय था कि यूपी एसटीएफ उसे एनकाउंटर ना कर दे.  अनुज कनौजिया पर 2.50 लाख  रुपए का इनाम भी घोषित था.  यह भी कहा जाता है कि मुठभेड़ के दौरान अनुज ने पुलिसकर्मियों पर बम भी फेंका था.  लेकिन वह फटा नहीं.  बम निरोधक दस्ते ने दोनों बमों को निष्क्रिय कर दिया है.  इस बीच यह भी पता चला है कि जमशेदपुर में ही रहने वाली उसकी बहन उसकी लाश को लेकर रविवार को उसके पैतृक गांव चली गई है.  कहा तो यह भी जाता है कि पुलिस ने ही उसे पैतृक गांव भेजने की व्यवस्था दी.  यह भी कहा जाता है की कार्रवाई के बाद यूपी एसटीएफ की टीम लौट गई है, लेकिन झारखंड में उसे शरण और संरक्षण देने वाले के नाम के खुलासे  को लेकर राजनीति गर्म हो गई है. 

रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो