धनबाद (DHANBAD) : कोयलांचल सहित झारखंड के ट्रांसपोर्ट माफिया पर शिकंजा कसने की सरकार तैयारी कर ली  है. कोयला खनन में लगी आउटसोर्स कंपनियां भी इसकी चपेट में आएंगी. बताते है कि किसी भी खनन क्षेत्र में सक्रिय ट्रांसपोर्ट माफिया पर शिकंजा बहुत जल्द कस जाएगा. ट्रांसपोर्ट माफिया अब झारखंड में खनिज और माइनिंग  क्षेत्र में टैक्स डिफॉल्टर और अवधि खत्म हो गई पुरानी गाड़ियां नहीं चला सकेंगे. इन पर बैन लगा दिया जाएगा. खनन और परिवहन विभाग ने इसकी तैयारी पूरी कर ली है. यह सब लागू होने से राज्य में खनन के क्षेत्र में चल रहा ट्रांसपोर्टिंग सिस्टम बदल जाएगा. सरकार की आमदनी भी बढ़ जाएगी. खनन विभाग अब परिवहन और उत्खनन के लिए ऐसी गाड़ियों को ट्रांसपोर्टिंग चलान जारी नहीं करेगा. 
  
विभाग ट्रांसपोर्टिंग चलान देने के पहले करेगा बड़ी जांच 
 
विभाग खनिज परिवहन चलान देने से पहले जिम्स  पोर्टल में एक फ़िल्टर लगाएगा.  इसमें परिवहन के लिए आए वाहनों के नंबर की जांच होगी.  पता लगाया जाएगा की वाहन  का परिचालन टैक्स अपडेट है या नहीं, गाड़ी चलने की समय सीमा समाप्त हो चुकी है या नहीं ,दोनों रिपोर्ट पॉजिटिव हुए तभी ही माइनिंग चालान  गाड़ी को  मिलेगी. अभी हाल ही में झारखंड के वित्त मंत्री राधा कृष्ण किशोर धनबाद आए थे. उन्होंने संकेत दिया था कि कोलियरी  इलाकों में ट्रांसपोर्ट में लगे वाहनों  के कागजात अपडेट नहीं रहते. निजी ट्रांसपोर्ट कंपनियों के साथ-साथ भारत कोकिंग कोल लिमिटेड की गाड़ियों के भी कागजात दुरुस्त नहीं होने की बात उन्होंने कही थी. वित्त मंत्री ने यहां के अधिकारियों को इस पर सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया था. 

खनन क्षेत्र में ट्रांसपोर्टिंग माफिया की चलती है मनमानी 
 
बता दें कि सिर्फ कोयला ही नहीं, बल्कि अन्य खनन क्षेत्र में ट्रांसपोर्टिंग माफिया सक्रिय है. कोयलांचल में तो ट्रांसपोर्टिंग का धंधा बेखौफ चलता है. आउट सोर्स कंपनियां भी इसी  राह पर चलती है. ट्रांसपोर्टिंग का धंधा कम से कम कोयलांचल  में तो फायदे का धंधा है. अगर कोयलांचल के पुराने इतिहास को देखेंगे तो पता चलेगा कि ट्रांसपोर्टिंग के धंधे से  ही कई लोग खाकपति से अरबपति बन गए.  बालू भरा नहीं जाता था और बिल बना लिया जाता था. नतीजा है कि आज खनन क्षेत्र में लगातार जमीन धंस रही है, लोग मर रहे है. अब जाकर झारखंड सरकार इस और सक्रिय हुई है और खनन माफिया पर शिकंजा कसने की तैयारी अब शुरू कर दी गई है. देखना है आगे आगे होता है क्या? 

रिपोर्ट-धनबाद ब्यूरो