टीएनपी डेस्क (TNP DESK) : झारखंड में डीजीपी को लेकर सियासी घमासान मचा हुआ है. केंद्र सरकार की आपत्ति के बावजूद अनुराग गुप्ता राज्य सरकार के निर्देशानुसार झारखंड के डीजीपी के पद पर कार्यरत हैं. अब इस मामले पर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है. सत्ता पक्ष और विपक्ष आमने-सामने हैं. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बाबू लाल मरांडी ने डीजीपी अनुराग गुप्ता के बहाने मौजूदा राज्य सरकार को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश की. तो वहीं जेएमएम ने भी बाबूलाल मरांडी का पलटवार करते हुए तीखी प्रतिक्रिया दी.

बाबूलाल मरांडी ने कहा कि बेशर्मी की भी हद होती है, लेकिन @HemantSorenJMM सरकार ने उसे पार कर दिया है. झारखंड देश का पहला राज्य बन गया है, जहां पिछले दस दिनों से DGP का पद खाली है और जो व्यक्ति 'DGP' के पद पर कार्यरत है, वह बिना वेतन के सेवा कर रहा है! वाह मुख्यमंत्री जी, यह नए भारत का निर्माण है-'बिना वेतन, बिना संवैधानिक वैधता, केवल भ्रष्टाचार के आधार पर प्रशासन'!

अब क्यों न एक नई नीति ही बना दी जाए?

धनबाद, हजारीबाग, रामगढ़, बोकारो जैसे "लाभदायक" कोयला क्षेत्रों और बाकी खनिज क्षेत्रों में भी 'बिना वेतन, केवल कमीशन आधारित सेवा' के लिए "सेवानिवृत्त और अनुभवी" लोगों से आवेदन आमंत्रित करें. वही मॉडल लागू करें जो DGP साहब कर रहे हैं, जहां वेतन की जगह 'वसूली' हो और संविधान की जगह 'किचन कैबिनेट' के आदेश मान्य हों.

दरअसल, ऐसा लगता है कि राज्य सरकार ने न केवल संविधान के अनुच्छेद 312 को खारिज कर दिया है, जो यूपीएससी को अधिकार देता है, बल्कि सुप्रीम कोर्ट के प्रकाश सिंह मामले के निर्देशों को भी कूड़ेदान में फेंक दिया है. हेमंत सोरेन जी ने शायद अब खुद को सुप्रीम कोर्ट से भी ऊपर मान लिया है और प्रशासन को बहुत नीचे गिरा दिया है. आज झारखंड उस मुकाम पर पहुंच गया है, जहां जेपीएससी की हर सीट बोली पर बिक रही है और यूपीएससी द्वारा चयनित अधिकारियों को भी 'रेट लिस्ट' से गुजरना पड़ रहा है. हेमंत जी, आपने एक क्रांतिकारी प्रयोग किया है - 'योग्यता नहीं, सुविधा शुल्क पर आधारित प्रशासन'. आपने जो परंपरा शुरू की है, वह न केवल सरकारी व्यवस्था की विश्वसनीयता को खत्म कर रही है, बल्कि आने वाले वर्षों में झारखंड के प्रशासनिक ढांचे के ताबूत में आखिरी कील साबित होगी.

झारखंड मुक्ति मोर्चा ने दी तीखी प्रतिक्रिया 

बाबूलाल मरांडी के इस बयान पर झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. जेएमएम के केंद्रीय प्रवक्ता मनोज पांडेय ने पलटवार करते हुए कहा, "बीजेपी को सिर्फ वही चीजें दिखती हैं जो उनके हित में नहीं हैं. क्या उन्हें याद नहीं है कि आरके अस्थाना को रिटायरमेंट के दो दिन बाद ही दिल्ली में पुलिस कमिश्नर बना दिया गया था? और उत्तर प्रदेश में मौजूदा डीजीपी की नियुक्ति किस प्रक्रिया से हुई?" उन्होंने कहा कि बीजेपी को नैतिकता का पाठ पढ़ाने से पहले खुद को आईने में देखना चाहिए.

क्या है मामला?

केंद्र सरकार ने झारखंड के डीजीपी अनुराग गुप्ता के रिटायरमेंट को लेकर राज्य सरकार को पत्र भेजा था और जानकारी दी थी कि अनुराग गुप्ता 30 अप्रैल तक ही झारखंड के डीजीपी के पद पर अपनी सेवा दे सकेंगे. लेकिन झारखंड सरकार ने इसे खारिज कर दिया और अनुराग गुप्ता को झारखंड के डीजीपी के पद पर काम करने की अनुमति दे दी. वहीं राज्य सरकार की तरफ से केंद्र सरकार को पत्र लिखा गया था, जिसमें बताया गया था कि अनुराग गुप्ता को कानूनी तौर पर 2 साल के लिए डीजीपी के पद पर नियुक्त किया गया है और कैबिनेट की बैठक में यह फैसला लिया गया है. वहीं डीजीपी की नियुक्ति को लेकर कोर्ट में मामला भी चल रहा है, जिसमें आदेश आना बाकी है. आदेश आने तक अनुराग गुप्ता डीजीपी के पद पर अपनी सेवा दे सकते हैं, यह न्यायोचित है.