टीएनपी डेस्क(TNP DESK):जब मां-बाप बूढ़े हो जाते है, या बीमार हो जाते है तो बच्चों का ये फर्ज होता है कि अपने माता-पिता को हर संभव सेवा क,रें जिसके वह हकदार है, लेकिन आज हम एक ऐसी परंपरा के बारे में बात करने ले हैं जिसे सुनकर आपके होश उड़ जाएंगे.जहां बूढ़े मां-बाप को बच्चे मार डालते है, और मौत देने के लिए ना जाने कई तरह के तरीके अपनाते है.
इस जगह बूढ़े बीमार मां-बाप को दवाई की जगह मौत देने की है परंपरा
हमारा देश भारत विविधताओं का देश है. जहां कई तरह के रिति रिवाज, मान्यताएं और परंपराएं आदि निभाई है. जिसमे कई परंपरायें काफी हैरान करनेवाली होती है.इन्ही में एक परंपरा ठलाईकूठल है. जिसमे बच्चे अपने बूढ़े मां-बाप की जान ले लेते है. अब ये परंपरा कहां की है और क्यों निभाई जाती है. आज हम इसके बारे में बताने वाले है.साथ ही हम आपको इसके पीछे की वजह भी बताएंगे.
जानें देश के किस राज्य में निभाई जाती है परंपरा
आपको बतायें कि बूढ़े मां-बाप को जान से मारने की ये कुप्रथा तमिलनाडु में निभाई जाती है.जहां अपनी ही औलाद अपने बीमार बूढ़े माता-पिता को मौत के घाट उतार देते है.जिसको ठलाईकूठल के नाम से जाना जाता है. यह विशेष रूप से भारत के दक्षिण हिस्सों में लंबे समय से निभाया जाता है.यहां बच्चे अपने बूढ़े और बीमार माता-पिता को जान से मारते है इस प्रथा को अंग्रेजी में सेनिसाइड के नाम से भी जाना जाता है. जिसका मतलब है बुजुर्गों को मारना.
कैसे लोगों के साथ निभाई जाती है ये कुप्रथा
आपको बताये कि ये परंपरा गरीबी और कुप्रथा मिक्सचर है. जिसकी वजह से यहां बुजुर्ग माता पिता को मौत के घाट उतार दिया जाता है, जो बिल्कुल मरने की कगार पर होते है या फिर में बेड पर लंबे समय से पड़े होते है.ऐसे लोगों को मारने के लिए उनको सबसे पहले उनके बच्चे तेल से नहालाते है, फिर उसके बाद नारियल का पानी पीने को देते है, फिर उसके बाद तुलसी का रस और दूध दिया जाता है. इस पूरे ड्रिंक को मौत से पहले वाली ड्रिंक माना जाता है. इसको पीने से उनके शरीर का तापमान तेजी से नीचे गिरता है, और ठंड से या हार्ट अटैक से मौत हो जाती है.
मारने के लिए अपनाया जाता है कई तरीका
वहीं अभी भी यह बुजुर्ग बीमार माता-पिता की मौत नहीं होती है तो फिर उन्हें मुरक्कू नाम की नमकीन जलेबी खाने में दिया जाता है, जो काफी ज्यादा कड़क और मजबूत होती है, उसको खाने से वो गले में फंस जाती हैं जिससे उनकी मौत हो जाती है. इतना ही नहीं कुछ बुजुर्गों को ठंडे पानी से नहला देते है, मरने का सबसे उपयुक्त तरीका बुजुर्गों का पेट खराब करके होता है. उन्हें पानी में मिट्टी मिलाकर दे दिया जाता है, जिसको पीने से पेट खराब हो जाता है.
जानें परंपरा का सच
अब चलिए जान लेते है, आखिर इस परंपरा को क्यों निभाया जाता है तो यहां के लोगों का कहना है कि पहले की तुलना में अब यह प्रथा ज्यादा हो रही है, क्योंकि कोई बीमार मां-बाप की सेवा के लिए मौजूद नहीं रहते है.कई परिवार के पास इतना पैसा नहीं होता है कि वह अपने बुजुर्ग बीमार माता-पिता का इलाज करवा पाए यह प्रथा काफी चौकाने वाली है.
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