धनबाद(DHANBAD): झारखंड में शराब घोटाले की रकम सुरसा के मुंह की तरह बढ़ती जा रही है. अगर सूत्रों पर भरोसा करें ,तो अजब -गजब खेल हुआ है.  निगरानी ब्यूरो की जांच अभी जारी है.  इस शराब  घोटाले को लेकर भाजपा और आजसू  के निशाने पर हेमंत सरकार है.  अब  तो साफ़ हो गया है कि   शराब कंपनियों के फर्जी दस्तावेज को स्वीकार कर लिया गया और सरकार को नुकसान पहुंचा दिया गया.  खैर, सरकार को जो नुकसान हुआ, सो हुआ.  शराब की बिक्री, जो प्रभावित हुई,  सो हुई.   लेकिन दुकानों में काम करने वाले कर्मचारी भी कम प्रभावित नहीं हुए.  कर्मचारियों का मानदेय  भी शराब घोटाले की भेंट चढ़ गया. उनके मानदेय के लिए जमा बॉन्ड के भी फर्जी होने की सूचना है.  

धनबाद जिले में शराब की कुल 54 दुकान है

धनबाद जिले में शराब की कुल 54 दुकान है.  जहां करीब साढ़े तीन  सौ कर्मचारी काम करते है.  इन्हें कई महीनो का   वेतन नहीं मिला है.  अब तो शराब दुकानों को नए ढंग से निजी हाथों में देने  की तैयारी शुरू हो गई है. आश्चर्य  की बात है कि तीन वर्षों में तीन कंपनियों ने काम किया.  लेकिन सभी ने कर्मचारियों को ठगा.  मैनपावर देने वाली कंपनियों ने मानदेय  पेंडिंग रखा.  किसी कंपनी ने 7 महीने तो किसी ने दो महीने का बकाया रखा.  आश्चर्य तो तब हुआ, कि  मानदेय के लिए  कर्मियों ने जब विरोध शुरू किया तो कहा गया कि वेतन के मद में  जमा बॉन्ड  से कर्मियों को बकाये  का भुगतान होगा. 

कंपनी का बॉन्ड निकला, तो पता चला कि वह फर्जी है
 
लेकिन जब कंपनी का बॉन्ड  निकला, तो पता चला कि वह फर्जी है.  यह तो कर्मचारियों के साथ भी धोखाधड़ी थी.  शराब दुकान में कार्यरत कर्मियों की माने तो कंपनियों की ओर से शराब की बिक्री में खूब ओवर रेटिंग की गई.  यह बात अलग है कि दुकानदार भी ओवर रेटिंग करना नहीं चाहते थे, क्योंकि ग्राहकों से रोज उन्हें परेशानी झेलनी पड़ती थी.  अब झारखंड में शराब की नई नीति के अनुसार अगले महीने से शराब की दुकानों को निजी हाथों में दे दिया जाएगा.  लॉटरी के जरिए शराब की दुकानें आवंटित की जाएगी.  पारदर्शिता के लिए ऑनलाइन लॉटरी होगी.  दुकानों में कार्यरत कर्मियों को इस बात का भी डर है कि निजी शराब कारोबारी अब उन्हें शराब दुकान में रखेंगे या नहीं.  

रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो