धनबाद (DHANBAD) : बोकारो में लड़ाई अभी बाकी है. आगे-आगे होता है क्या, इस पर सबकी निगाह टिकी है. पुलिस, बीएसएल मैनेजमेंट की ओर से एफआईआर करने का सिलसिला तो चल ही रहा है, इसबीच पता चला है कि डुमरी के विधायक जयराम महतो ने बोकारो की विधायक श्वेता सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है. एफआईआर में श्वेता सिंह को नामजद  किया गया है. मतलब जुबानी जंग अब अब कानूनी लड़ाई का रूप लेगी. विधायक जयराम  महतो ने अपनी एफआईआर में कहा है कि तीन अप्रैल को रांची में विधानसभा समिति की बैठक में भाग लेने गए थे. तभी उन्हें जानकारी मिली कि बोकारो में प्रदर्शन कर रहे विस्थापित युवकों पर सीआईएसएफ ने लाठी चार्ज कर दिया है. 

एफआईआर में भी नेम  प्लेट, नंबर प्लेट तोड़ने की कही गई है बात 
 
प्रेम महतो नामक युवक की मौत हो गई है. इसके बाद वह बोकारो पहुंचे, शाम को जब एडीएम बिल्डिंग के पास धरना दे रहे युवकों से मिलने गए, तो वहां मौजूद विधायक श्वेता सिंह और उनके समर्थकों ने उनपर हमला कर दिया. कहा कि आप तो बोकारो के विधायक नहीं है, यहां से निकल जाएं, नहीं तो जान से मार दिए जाएंगे. एफआईआर में आगे कहा गया है कि उनके वाहन का नंबर प्लेट और नेम प्लेट तोड़ दिया गया. विधायक जयराम महतो ने कहा है कि वह संयम बरतते हुए मामले को आगे नहीं बढ़ाया. यह भी कहा है कि प्रेम महतो के अंतिम संस्कार और घायलों की मदद में व्यस्त रहने के कारण एफआईआर दर्ज कराने में विलंब हुआ. 

एक विवाद तो थम गया लेकिन दूसरा हो गया है शुरू 

बता दें कि बोकारो लाठीचार्ज में एक विस्थापित की मौत के बाद उठा विवाद अब थम गया है. यह अलग बात है कि शनिवार को मृतक के परिजनों को मुआवजा और आदमकद प्रतिमा लगाने का निर्णय होने के बाद आंदोलन खत्म हो गया है. लेकिन विस्थापितों के आंदोलन के बाद झारखंड के दो विधायक आमने-सामने हो गए है. इनकी लड़ाई अब कहां जाकर थमती है, यह देखने वाली बात होगी. सेल के अधिकारियों ने भी मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर तुरंत हस्तक्षेप करने की मांग की थी. गुरुवार को विस्थापितों  पर सीआईएसएफ की लाठीचार्ज में एक विस्थापित की मौत हो गई थी. उसके बाद बोकारो में हंगामा मच गया था. शुक्रवार को बोकारो में खूब बवाल हुआ. बोकारो स्टील प्लांट का उत्पादन ठप हो गया.  

आंदोलन की वजह से 5000 से अधिक अधिकारी और कर्मचारी प्लांट में फंस गए थे 

5000 से अधिक अधिकारी और कर्मचारी प्लांट में फंस गए. शुक्रवार को डीसी  की मौजूदगी में वार्ता हुई, लेकिन यह वार्ता विफल हो गई. वार्ता विफल होने के बाद बोकारो की विधायक श्वेता सिंह ने चेतावनी दी कि बोकारो स्टील प्लांट को वह चलने नहीं देगी. फिर शुक्रवार की देर रात को वह धरना पर बैठ गई. लेकिन शुक्रवार की देर रात को ही पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया. फिर शनिवार की दोपहर उन्हें हिरासत से मुक्त किया गया.  शनिवार  देर शाम सांसद ढुल्लू महतो  भी पहुंचे और बातचीत के बाद मृतक के परिजन को 50 लाख रुपए मुआवजा का भुगतान हुआ. आदमकद प्रतिमा लगाने की बात तय हुई.अप्रेंटिसो को नौकरी देने की बात हुई. तब जाकर मामला शांत हुआ. वैसे शुक्रवार की देर रात को विधायक श्वेता सिंह को हिरासत में लेने के बाद बोकारो स्टील प्लांट का गेट खोल दिया गया था. सांसद ढुल्लू महतो ने भी स्पष्ट शनिवार को कहा कि बाहरी-भीतरी की राजनीति करने वालों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. 

गुरुवार को विधायक जयराम महतो और विधायक श्वेता सिंह में हुआ था विवाद 

इधर, विस्थापितों का भी कहना है कि राजनीतिक दलों को विस्थापन के नाम पर राजनीतिक रोटी सेंकने नहीं दी जाएगी. इसके पहले की अगर बात की जाए तो गुरुवार को विवाद के बाद जब डुमरी के विधायक जयराम महतो पहुंचे तो विधायक श्वेता सिंह ने इसका विरोध किया था.  कहा जाता है कि विधायक जयराम महतो के गाड़ी का नंबर प्लेट उखाड़ दिया गया. दोनों के समर्थकों में विवाद भी हुआ. इसके खिलाफ विधायक जयराम महतो ने कहा कि हम डुमरी के विधायक की हैसियत से बोकारो नहीं पहुंचे है. बल्कि पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष के नाते पहुंचे है. बोकारो विधानसभा से  उनकी पार्टी को सम्मानजनक वोट मिले है. कहा तो यह भी जाता है कि शुक्रवार को उपायुक्त कार्यालय में वार्ता  के दौरान भी जयराम महतो और श्वेता सिंह के समर्थक आमने-सामने हुए. श्वेता सिंह भी नहीं चाहती थी कि जयराम महतो वार्ता में शामिल हो. लेकिन स्थिति को बिगड़ते देख वह खुद बाहर आई और विधायक जयराम महतो से बातचीत कर उन्हें अंदर ले गई. 

रिपोर्ट-धनबाद ब्यूरो