धनबाद(DHANBAD) : झरिया, सिंदरी और बाघमारा विधानसभा क्षेत्र के विधायक बदल गए है. लेकिन नहीं बदली है तो बेलगड़िया टाउनशिप की हालत. इस टाउनशिप में झरिया और कतरास के अग्नि प्रभावित विस्थापितों को बसाया गया है. यहां बसने वाले अधिकांश लोग गैर रैयत परिवार है. सहानापहाड़ी, दोबारी, कुकुरतोपा, नॉर्थ तिसरा सहित अन्य अग्नि प्रभावित इलाकों से विस्थापित होकर लोग इस टाउनशिप में बसे है. एक अनुमान के अनुसार दस हज़ार से अधिक परिवार इस टाउनशिप में रह रहे है. उनकी पीड़ा है कि बसाने के बाद कोई उनकी सुध नहीं लेता और शायद यही वजह है कि जान जोखिम में डालकर लोग कोलियारियों के अगल-बगल अग्नि प्रभावित क्षेत्र में रह रहे है. लेकिन इलाका छोड़ना नहीं चाहते.
बेलगड़िया की तस्वीर लोगों के सामने होती
बेलगड़िया की तस्वीर उनकी आंखों के सामने होती है. टाउनशिप में रहने वाले लोग ऐसा नहीं है कि अपनी समस्याओं से अधिकारियों के अलावे जनप्रतिनिधियों को अवगत नहीं कराया है. सब कोई, सब कुछ जानता है. लेकिन करता कुछ नहीं है. बात इतनी ही नहीं है, 2010 से पहले बने आवासों की हालत भी ठीक नहीं है. अब तो उन आवासों को ढ़हने का भी खतरा बढ़ गया है. टाउनशिप की सफाई व्यवस्था ठीक नहीं है. नालियों की स्थिति भी खराब है. स्वास्थ्य की कोई व्यवस्था नहीं है. जिस समय लोगों को यहां बसाया जा रहा था, उस समय एक एंबुलेंस की व्यवस्था दी गई थी. लेकिन वह एंबुलेंस अब इतिहास बन गई है. शुरुआती दिनों में बीसीसीएल की ओर से दो बसें दी गई थी, लेकिन अब वह नहीं चलती है. कॉलोनी में लगी स्ट्रीट लाइट रिपेयरिंग के लिए खोली गई थी, लेकिन दोबारा नहीं लगी. यहां के लोगों के लिए रोजगार बहुत बड़ी समस्या है.
जहरीली गैस के बीच रहते है लोग
झरिया कोयलांचल में कोलियरी इलाकों में जहरीली गैस के बीच लोगों को रहना मंजूर है, लेकिन वह विस्थापित नहीं होना चाहते. इसके मूल में एक यह बड़ी बात कहीं जा रही है. अभी हाल ही में केंद्रीय कोयला मंत्री और राज्य मंत्री धनबाद आए थे. उन लोगों ने सब कुछ की समीक्षा की. कोयला मंत्रालय के अधिकारी भी धनबाद आए थे. उन लोगो ने विस्थापित होने वाले लोगों से बातचीत भी की थी. उन्हें सुझाव भी दिया था, जान के खतरे का डर भी दिखाया था. फिर भी लोग इलाका छोड़न नहीं चाहते है. सबसे बड़ी बात है कि टाउनशिप में जो नागरिक सुविधाएं हैं, वह इतनी स्तरहीन है, वहां रहना मुश्किल है. रोजी-रोजगार के न साधन है न परिवहन की कोई व्यवस्था, ऐसे में लोग रोजगार के लिए तरस जाते है.
कोयलांचल में जमीन के नीचे आग धधक रही
यह बात भी सच है कि कोयलांचल में जमीन के नीचे आग धधक रही है. यह कई इलाकों को अपनी चपेट में ले लिया है. भू धंसान की घटनाएं हो रही है. लोगों की जान तक जा रही है. जब भी कोई बड़ा अधिकारी या कोयला मंत्रालय की टीम पहुंचती है, तो विस्थापन की बात होती है. भरोसा दिया जाता है लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होती है. यह इलाका सिंदरी विधानसभा क्षेत्र में पड़ता है लेकिन झरिया विधानसभा और बाघमारा विधानसभा क्षेत्र के लोग विस्थापित होकर यहां आए है. तो ऐसे में सिंदरी, झरिया और बाघमारा के विधायकों की भी यह जिम्मेवारी बनती है कि उन लोगों को उचित सुविधा दिलाये. और जान जोखिम में डालकर रहने वाले लोगों को दूसरी जगह बसाने के लिए दबाव बनाये. अगर ऐसा नहीं हुआ तो कोयलांचल में किसी भी दिन बड़ी दुर्घटना हो सकती है और उसके बाद माथा पीटने के अलावा किसी के पास कोई विकल्प नहीं बचेगा.
रिपोर्ट-धनबाद ब्यूरो
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