धनबाद(DHANBAD): धनबाद की सिंदरी, अब 75 साल की हो गई है.  लेकिन 75 साल के बाद अब सवाल उठ रहा है कि सिंदरी का "मालिक" कौन है.  HURL कंपनी है कि FCIL .  सिंदरी के रखरखाव की जिम्मेवारी किसकी है? सिंदरी में रहने वाले लोग आखिर किसके भरोसे रहेंगे? क्या प्राकृतिक आपदा के समय भी उन्हें कोई मदद नहीं मिलेगी? उन्हें उनकी किस्मत के भरोसे छोड़ दिया जाएगा? यह सवाल हम नहीं ,बल्कि सिंदरी के लोग ही कर रहे है.  पिछले एक सप्ताह पहले  आये  आंधी -तूफान की वजह से सिंदरी की "जिंदगी" अभी भी सामान्य नहीं हुई है.  पिछले बृहस्पतिवार को मौसम ने ऐसा पलटा खाया कि सिंदरी टाउनशिप में हाहाकार मच गया.  वृक्ष टूट कर सड़क पर आ गए.  आवागमन बाधित हो गया.  बिजली के पोल क्षतिग्रस्त हो गए.  सिंदरी टाउनशिप पूरी तरह से अंधेरे में डूब गया.  आप समझ सकते हैं कि जिस टाउनशिप में 48 घंटे तक जलापूर्ति बाधित रहे,कई दिनों तक बिजली नहीं रहे , वहां के रहने वालों की क्या स्थिति रही होगी? एक तो  अंधेरा, ऊपर से पानी की भारी किलात. 

इस कठिन घडी में भी HURL मैनेजमेंट ने नहीं किया सहयोग 

 सिंदरी के लोगों ने जब HURL मैनेजमेंट से इस कठिन घड़ी में मदद की गुहार की, तो कथित तौर पर हर्ल के अधिकारियों ने पल्ला झाड़ लिया और कहा कि यह हर्ल कंपनी की जिम्मेदारी नहीं है.  वैसे भी प्राकृतिक आपदा के समय कोई भी आदमी किसी की मदद करने को सामने आ जाता है.  लेकिन HURL कंपनी ने कथित तौर पर ऐसा नहीं किया.  सिंदरी टाउनशिप के लोगों को इस बात का भी दुख है कि हर्ल के अधिकारियों तक तो पानी का टैंकर पहुंचा दिया गया, लेकिन अन्य लोगों को भगवान  भरोसे छोड़ दिया गया. 
 
75 साल की सिंदरी अपनी किस्मत पर बहा रही आंसू 
 
सिंदरी के लोग बताते हैं कि 75 साल के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ था.  वैसे, एक सप्ताह के बाद भी सिंदरी में बिजली और पानी की स्थिति पूरी तरह से सामान्य नहीं हुई है. धनबाद की सिंदरी की  अपनी एक ऐतिहासिक पृष्ठभूमि है.  लेकिन यह  पृष्ठभूमि आज किस्तों में ही सही, हलाल  हो रही है.  1992 में सिंदरी खाद कारखाने को बीमार घोषित कर दिया गया था.  उसके बाद 2001 में BIFR ने इसे बंद करने की सिफारिश की.  फिर 31 दिसंबर 2002 को सिंदरी खाद कारखाने को हमेशा के लिए बंद कर दिया गया.  प्लांट में काम कर रहे कर्मचारियों को वीएसस  के तहत सेवानिवृत्ति दे दी गई.  एक आंकड़े के अनुसार उस समय कर्मचारियों की संख्या 2000 से अधिक थी.  इस निर्णय से सिंदरी की सेहत प्रभावित हुई और वह प्रभाव आज भी दिख रहा है.  सिंदरी खाद कारखाना  1951 में शुरू हुआ था. 

कोयला और पानी की उपलब्धता की वजह से खुला था कारखाना 
 
आप सवाल पूछ सकते हैं कि यह कारखाना सिंदरी में ही लगाने का निर्णय क्यों हुआ? तो उसके पीछे कोयला  और पानी की सहूलियत थी.  सिंदरी में दामोदर नदी का पानी था और झरिया में कोयले का अकूत   भंडार था.   सिंदरी खाद  कारखाने  का उद्घाटन  तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने  किया था. यह उनका ड्रीम प्रोजेक्ट था.   उसके बाद से सिंदरी की सुंदरता खत्म हो गई.  2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने HURL  की  आधारशिला रखी.  इसके बाद हर्ल कंपनी का उत्पादन चालू हुआ.  जो भी हो, लेकिन सिंदरी टाउनशिप की सूरत और सेहत आज दोनों बिगड़ गई है.   टाउनशिप में रहने वाले लोग अपनी किस्मत पर रोए, एफसीआईएल के इंतजामों पर माथा पीटे   या हर्ल कंपनी के नागरिक सुविधाओं की बेरुखी पर प्रतिक्रिया दे.  जो भी हो लेकिन सिंदरी का भविष्य अब सवालों के घेरे में है. 

रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो