धनबाद(DHANBAD): धनबाद के कारोबारी एक रहेंगे या   उनके बीच की लड़ाई और आगे बढ़ेगी.  यह सवाल अब धीरे-धीरे बड़ा होता चला जा रहा है. फेडरेशन ऑफ़  जिला चेंबर के एक फैसले के बाद संभावना है कि धनबाद के कारोबारियो  में टकराहट और तेज होगी.  हालांकि The News post  से बात करते हुए फेडरेशन ऑफ जिला चेंबर के महासचिव अजय नारायण लाल ने मंगलवार को कहा कि  फेडरेशन में सभी सदस्यों का स्वागत है.  जो लोग समानांतर कमेटी बना लिए हैं, वह भी अगर संपर्क करें तो उन पर भी विचार किया जा सकता है.  लेकिन फेडरेशन ऑफ जिला चेंबर   किसी भी समानांतर चेंबर  को किसी भी हालत में मान्यता नहीं देगा.  फेडरेशन ऑफ चेंबर में फिलहाल 57 चेंबर  सदस्य है.  धनबाद के पुराना बाजार में समानांतर चेंबर  चल रहा है.  पुराना बाज़ार  चेंबर  को लेकर लंबे समय से खींचतान  चल रही है. 

चल रही खींचतान से कारोबारियो  की एकता पर भी सवाल
 
इस खींचतान की वजह से कारोबारियो  की एकता पर भी सवाल उठाए जाते है.  फेडरेशन ऑफ़  चेंबर  की सोमवार को बैठक हुई, जिसकी अध्यक्षता फेडरेशन के अध्यक्ष चेतन गोयनका ने की और इसी बैठक में यह  फैसला लिया गया कि अब समानांतर चेंबर को फेडरेशन मान्यता  नहीं देगा.  मतलब साफ है कि फेडरेशन ऑफ जिला चेंबर के नए पुराने लोग अब आपस में ही टकराएंगे, वैसे भी पुराना बाजार चेंबर में दो समितियां  काम  कर रही है.  पुराना बाजार चेंबर  से अलग होकर एक नया समानांतर समिति का गठन कर लिया गया है.  समानांतर पुराना बाजार चेंबर के गठन की वजह के बारे में बताया जाता है कि जो समानांतर समिति गठित हुई है, उसकी क्रियाकलाप कथित रूप से  फेडरेशन के खिलाफ था.  उसके बाद फेडरेशन ने नोटिस जारी किया.  लेकिन उस नोटिस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली.  उसके बाद फेडरेशन ने  5 सदस्यों को  निष्कासित कर दिया.  फिर पुराना बाजार में समानांतर चेंबर का गठन हुआ.  इस गठन के भी सालो  बीत गए हैं, लेकिन विवाद  एक बार फिर बढ़ गया है.  देखना है कि इस विवाद  की वजह से धनबाद के कारोबारी एक जुट रह पाते हैं या फिर उनमें टकराव अथवा विखंडन होता है. 

40-45 साल पहले धनबाद के कारोबारी एकजुट नहीं थे 

 यहां बताना जरूरी है कि धनबाद के कारोबारी 40-45 साल पहले एकजुट  नहीं थे.   परिस्थितियों ने उन्हें एकजुट कर दिया. उस वक्त बैंकमोड़ ही धनबाद का बड़ा बाजार हुआ करता था. बदमाशों की करतूत से कारोबरी परेशान रहते थे. कपडे की एक दुकान में ऐसी घटना हुई कि कारोबारी एक प्लेटफॉर्म पर आ गए.  उसके बाद बैंक मोड़ चेंबर ऑफ कॉमर्स का गठन हुआ. गठन में भी एक ऐसे "आजादशत्रु" की भूमिका रही ,जिसका कारोबार से दूर -दूर तक का रिश्ता नहीं था.   फिर फेडरेशन ऑफ धनबाद जिला चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज बना.  दरअसल 80 के दशक में बैंक मोड़ के कपड़े की दुकान में रंगदारी की घटना हुई थी.  कहा तो यह जाता है कि बिहार के उस समय के एक मंत्री के आदमी सर्किट हाउस से निकलकर दुकान पहुंचे थे.  कुछ कपड़े की खरीदारी की थी, लेकिन पैसे को लेकर विवाद हुआ और मारपीट की घटना हो गई.  यह सब घटना भुवनेश्वर प्रसाद सिंह उर्फ मास्टर साहब के सामने हुई.  इस घटना ने मास्टर साहब को विचलित कर दिया. 

पेशे  से टीचर ने धनबाद के कारोबारियों को एक मंच पर लाया था 
 
पेशे  से टीचर होने के बावजूद वह दुकानदारों को एकजुट करने का बीड़ा उठाया और इसमें सफल भी रहे.  जब तक वह जीवित रहे, आजीवन अध्यक्ष रहे.  लेकिन उनके निधन के बाद परिस्थितियों में बदलाव आया.  गुटबाजी शुरू हुई, वोटिंग से चुनाव होने लगे.  मास्टर साहब सरकारी शिक्षक थे, लेकिन बैंक मोड की घटना ने उन्हें व्यवसाईयों के बीच आने का न्योता दिया.  व्यवसायी  भी उनकी बातों पर सहमत हुए.  यह बात अलग है कि भुवनेश्वर प्रसाद सिंह की बातों को काटने का साहस कोई भी कारोबारी नहीं करता था.  उनका व्यवहार भी कुछ ऐसा ही था.  दूध का दूध और पानी का पानी करने में विलंब नहीं करते थे.   फिलहाल फेडरेशन ऑफ धनबाद जिला  चैंबर ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के सदस्यों की हालत "कानी  गाय की अलग बथान"  जैसी हो गई है.  कारोबारियों में  एकता नहीं है.पुराना बाजार चेंबर ऑफ कॉमर्स दो भागों में बट  गया है.

रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो