धनबाद(DHANBAD) : झारखंड के नगर निकाय चुनाव में पिछड़ा वर्ग को आरक्षण देने के लिए शुरू हुई ट्रिपल टेस्ट की फाइनल रिपोर्ट पिछड़ा वर्ग आयोग को सौंप दी गई है. यह रिपोर्ट संत जेवियर्स कॉलेज के प्रिंसिपल ने आयोग के अध्यक्ष जानकी प्रसाद यादव को सौंप दी है. इसे अब मुख्यमंत्री को सौंपा  जाएगा. राज्य सरकार इस रिपोर्ट को कैबिनेट में पेश करेगी. उसके बाद इसका नोटिफिकेशन जारी होगा. फिर राज्य निर्वाचन आयोग को सौंपा  जाएगा. इसके बाद निर्वाचन आयोग निकाय चुनाव पर अंतिम फैसला लेगा. इस रिपोर्ट के मिल जाने से अब निकाय चुनाव का रास्ता साफ हो गया है.  

निकाय चुनाव नहीं होने से झारखंड को भी हो रहा नुकसान 

बता दें कि निकाय चुनाव नहीं होने से झारखंड को भी नुकसान हो रहा है. केंद्र सरकार ने निकाय चुनाव नहीं होने से राशि रोक दी है. चुनाव हो जाने के बाद उम्मीद की जा रही  है कि रोकी राशि को विमुक्त कर दिया जाएगा. बात सिर्फ इतनी नहीं है, ट्रिपल टेस्ट की रिपोर्ट में जो बातें सामने आई है, उसके अनुसार निकाय चुनाव के आरक्षण रोस्टर में भी बदलाव करना पड़ सकता है. उपलब्ध एक आंकड़े के अनुसार धनबाद में 4.54 लाख पिछड़ा और अति पिछड़ा वर्ग की आबादी है. रांची में 2.6 लाख की आबादी है. 

कई जगहों पर बदले जा सकते है आरक्षण रोस्टर 

मतलब साफ है कि यह आबादी कई जगहों के चुनाव परिणाम को प्रभावित कर सकती है. महागामा ,राजमहल, बरहरवा और मधुपुर जैसे नगर परिषद, नगर पंचायत क्षेत्र में अति पिछड़ा और ओबीसी मिलकर कुल मतदाताओं की संख्या आधे से अधिक है.  ऐसे में कहा जा सकता है कि निकाय चुनाव में उम्मीदवारों के आरक्षण का रोस्टर बदलना पड़ सकता है. बता दे कि ट्रिपल टेस्ट की फाइनल रिपोर्ट तैयार करने को लेकर पिछड़ा वर्ग आयोग ने 24 जिलों के 49 नगर निकायों में घर-घर सर्वे कराया गया था. रिपोर्ट में कोई त्रुटि नहीं हो, इसके लिए फाइनल रिपोर्ट बनाने की जिम्मेवारी संत जेवियर्स कॉलेज को दी गई थी. फाइनल रिपोर्ट तैयार करने के दौरान संत जेवियर्स कॉलेज ने मध्य प्रदेश में ट्रिपल टेस्ट के अंतर्गत समर्पित रिपोर्ट का अध्ययन किया. 
 
फाइनल रिपोर्ट में इन आकड़ों का किया गया है जिक्र 
 
फाइनल रिपोर्ट के अनुसार राज्य के सभी नगर निकायों में सामान्य कोटि के 34% मतदाता, बीसी-वन के 33%, बीसी-2 के 14%, एससी के 11% और एसटी के 8% मतदाता है. बता दें कि झारखंड में निकाय चुनाव कई सालों से लंबित है. फिलहाल सरकार के अधिकारी निगम-निकाय चला रहे है. निकाय भंग होने से वार्ड सदस्य या वार्ड पार्षदों को अधिक परेशानी हो रही है. पब्लिक अभी भी काम के लिए उन्हीं के पास दौड़ती है. लेकिन उनके पास अधिकार नहीं होने की वजह से परेशानी हो जाती है. वैसे भी लंबे समय से निकाय चुनाव नहीं होने से सरकार को भी नुकसान हो रहा है. केंद्र सरकार से मिलने वाली योजनाओं की राशि रोक रखी गई है. देखना होगा कि चुनाव अब आगे कब घोषित होता है? वैसे निकाय चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों की बात की जाए, तो कांग्रेस सक्रिय है. 

रिपोर्ट-धनबाद ब्यूरो