टीएनपी डेस्क (TNP DESK): 'तुम जल्दी बड़ी हो जाओ मैं तुमसे शादी करना चाहता हूं.' यह पंक्ति किसी फिल्म के डायलॉग की नहीं है. लेकिन फिल्मी संसार से इसका रिश्ता जरूर गहरा है. संबंध है 70 एमएम पर आई पहली इस्टेमनकलर फिल्म शोले के गब्बर सिंह से. जिनका डायलॉग ‘कितने आदमी थे रे कालिया’ आज भी हर एक के दिमाग में गूंजता है. गब्बर सिंह, जिन्हें दुनिया अमजद खान के नाम से जानती और मानती रही है. तब वो कॉलेज में पढ़ा करते थे. एक छुई-मुई सी बेहद हसीन लड़की उनके साथ बैडमिन्टन खेला करती थीं. उसका नाम था- शहला. उसकी उम्र थी 14 साल. अमजद उसके सौंदर्य के आगे दिल हार चुके थे और उन्होंने उसे शादी का प्रस्ताव रख दिया था, हालांकि तब अमजद 19 साल के थे. बीए कर रहे थे. शहला स्कूल जाती थी. 

 


साथ खेलते थे अमजद-शहला बैडमिन्टन
शहला उनकी पड़ोंसी थीं. आस-पड़ोस में अमजद की पहचान एक गंभीर और भले लड़के की बनी हुई थी. शहला को अमजद का आत्मविश्वास भला लगता था. सोसायटी के बैडमिन्टन कोर्ट पर एक दिन जब शहला ने अमजद को "भाई" कह दिया. तो अमजद गुस्सा हो गए. चेतावदी दे डाली, आइंदा भाई मत कहना. फिर एक दिन अमजद ने शहला से पूछा, “तुम्हें पता है तुम्हारे नाम का क्या मतलब होता है? इसका मतलब होता है गहरी आँखों वाली.” इसके बाद ही कहा था- “जल्दी से बड़ी हो जाओ क्योंकि मैं तुमसे शादी करने जा रहा हूँ.”

जब शहला के परिवार ने ठुकरा दिया अमजद को
एक इंटरव्यू में शहला ने बताया था, "अमजद खान उनके घर शादी का प्रस्ताव लेकर आए थे और उनके घरवालों ने इसे ठुकरा दिया था. क्योंकि वो उस वक्त बहुत ही छोटी थीं. " जब शादी का प्रस्ताव ठुकरा दिया गया तो अमजद खान गुस्से में पागल हो गए और उसी शाम शहला से बोले, “तुम्हारे बाप ने मेरी पेशकश ठुकरा दी! अगर यह मेरे गांव में हुआ होता तो मेरे परिवार वाले तुम्हारी तीन पीढ़ियों को नेस्तनाबूद कर देते.” 

जब दोनों लिखते परस्पर पत्र
शहला का परिवार बेटी को अच्छे से पढ़ाना-लिखाना चाहता था. जिसके लिए उसे अमजद खान की आशिकी की लपटों से दूर रखा जाना जरूरी था.  शहला को आगे की पढ़ाई के लिए अलीगढ़ भेज दिया गया. शहला जितने दिन भी अलीगढ़ में रही अमज़द रोज़ उसे एक ख़त लिखते. शहला जवाब भी रोज़ देती. जब शहला बीमार पड़ी तो मजबूरन परिवार को उसे वापस बंबई बुलाना पड़ा.

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पहली बार देखी मूवी ‘मोमेंट टू मोमेंट’
शहला को चिप्स खाना बहुत पसंद था. अमजद प्रतिदिन उसे चिप्स के पैकेट देते. इसके बाद उनके बीच दोस्ती आगे बढ़ी. दोनों ने एक एडल्ट फिल्म ‘मोमेंट टू मोमेंट’ भी साथ देखी. फिर अमजद के माँ-बाप की तरफ से शादी का प्रस्ताव गया तो अख्तर-उल-ईमान मान गए. 1972 में उनकी शादी हुई. अगले साल जिस दिन उन्हें ‘शोले’ ऑफर हुई उसी दिन उनका बेटा शादाब पैदा हुआ.   

अमजद और शहला के परिवार को जानिये
आपने अपने समय के चरित्र अभिनेता जयंत का नाम सुना ही होगा. अमजद खान इनके ही पुत्र थे. जयंत का पूरा नाम ज़कारिया खान था. मूलतः ये पेशावर (पाकिस्तान) के रहने वाले थे। इधर, शहला के पिता उर्दू के मशहूर शायर अख्तर-उल ईमान थे. ये उत्तर प्रदेश के बिजनौर के थे।‘वक़्त’ और ‘धर्मपुत्र’ जैसी फिल्मों का स्क्रीनप्ले लिखने के लिए फिल्मफेयर अवार्ड मिल चुके थे, सन 1962 में उन्हें साहित्य अकादेमी पुरस्कार भी हासिल हुआ था. जयंत और ईमान बांद्रा की एक ही सोसायटी में रहते थे.
मोहब्बत के इस जोड़े को महज़ 20 साल साथ के मयस्सर हुए। 51 साल की उम्र में 27 जुलाई 1992 को अमजद ने दुनिया को अलविदा कहा.