रांची-वर्तमान राजनीतिक और इससे जुड़ी कानूनी प्रक्रिया के बढ़ती सक्रिया से सरकार के कामकाज की रफ्तार पर असर पड़ा है.सरकार के काम की गति एक तरह से रूक गई है.जिस प्रकार से सीएम हेमंत सोरेन से जुड़े मामले आगे बढ़ते जा रहे हैं,उससे यह आशंका जताई जा रही है कि कभी भी कोई बड़ा आदेश हाईकोर्ट से आ सकता है.निलंबित आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल के लिंक से ईडी आगे बढ़ती जा रही है.यहां तक की बड़े - बड़े दिग्गज वकील इस मामले में ईडी और राज्य सरकार की ओर से बहस करने आ रहे हैं.ईडी की ओर से सालिसिटर जनरल तुषार मेहता बहस कर रहे हैं.राज्य सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और मुकुल रोहतगी बहस कर रहे हैं.इस माहौल में प्रशासनिक अधिकारियों का दिमाग अपने भविष्य को लेकर है.झारखंड में आईएएस संवर्ग के कई अधिकारी और राज्य प्रशासनिक सेवा के भ्रष्ट अधिकारियों की संख्या काफी है.इन लोगों की चिंता बढ़ी हुई है.
सरकार के अंदर के एक अधिकारी ने बताया कि लगभग सभी विभागों में कामकाज एक तरह से रुका हुआ है.कोई नीतिगत फैसला नहीं लिया जा रहा है.ऐसे सभी भ्रष्ट अधिकारी अपना हिसाब-किताब ठीक कर रहे हैं.कुल 12 आईएएस अधिकारी जांच के दायरे में हैं.बताया जा रहा है कि देवघर भूमि घोटाला से जुड़े कतिपय अधिकार जिन्हें क्लीन चीट मिल गई है,वे भी आजकल चिंता में हैं.
सीएम हेमंत सोरेन से जुड़े अधिकारियों की गतिविधियां भी ठहरी सी है.उन्हें लगता है कि कुछ भी हो सकता है.केंद्र सरकार की नजर में ऐसे अधिकारी हैं.राजभवन भी इनके बारे में जानता है.राज्य सरकार में कई वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों की चिंता बढ़ी हुई है.अभी किसी विभाग में पैरवी पैगाम के माध्यम से कामकाज थमा हुआ है.
वर्तमान उहापोह की स्थिति में विकास के भी काम भी बाधित हो रहे हैं.योजनाओं की स्वीकृति सोच समझ कर की जा रही है.विभाग के सचिव स्तर से नीचे के अधिकारी भी सतर्क हैं.वे भी अब काम को लेकर बहुत सोच रहे हैं.किसी के कहने पर काम हो जाए,इसकी गारंटी नहीं है.
ईडी की कार्रवाई से प्रशासनिक महकमा में जो हड़कंप मचा हुआ है वह सब देख रहे हैं.सरकार के मंत्री भी सहमे हुए हैं.सीएम हेमंत सोरेन और माइनिंग लीज और शेल कंपनियों का मामला जोर पकड़ता जा रहा है.इसके बारे में हर आम और खास जिज्ञासा रख रहा है.
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