धनबाद (DHANBAD) - इस ज़माने में अगर आपको कोई दो हज़ार का भी नोट दे जाए, तो शायद वो भी आपके लिए कम पड़े. आलम ये है कि छोटे-छोटे बच्चे भी अब बड़े नोट की ही चाहत रखते हैं. लेकिन हमारे भारत में एक ऐसा दौर भी था, जब ढाई रुपए के नोट की तूती बोलती थी. इस दौर के बच्चों के लिए यह एक बड़ी राशि थी. बदलते जमाने के साथ समय का चक्र बदला और छोटी राशि वाले नोट विलुप्त होते चले गए. आज के समय में तो ढाई रुपए का नोट बस संग्रहालय (museum) में धूल खाता लोगों के आकर्षण का केंद्र बन गया है. यह नोट पुराना ज़रुर हो गया है. लेकिन इसकी कीमत समय के साथ घटी नहीं, बल्कि बढ़ गई है. बता दें कि भारत के ढाई रुपए के नोट की कीमत आज चार लाख से भी अधिक है.

लाखों के नोट की सच्चाई

चौकिए मत !  यह कोई कहावत नहीं बल्कि सच्चाई है. यह दावा एलआईसी के रिटायर्ड ऑफिसर और करेंसी के जानकार अमरेंद्र आनंद ने किया है. उनकी माने तो 1918 में ढाई रुपए के नोट छपते थे. जो 1926 में छपने बंद हो गए और उसके बाद चलन से हटा दिए गए. उसी तरह जैसे कि 1 रुपए के नोट अब बाजार में दिखते देने बंद हो गए है. वहीं 1917 में 1 रुपए के नोट की छपाई शुरू हुई लेकिन 1994 में इसे बंद कर दिया गया. हालांकि 2015 में फिर से इसकी छपाई शुरू की गई और 2020 तक यह नोट छापा. लेकिन उसके बाद छपना बंद हो गया. अमरेंद्र आनंद ने बताया कि भारत देश के नोटों पर अब केवल महात्मा गांधी ही नहीं बल्कि रविंद्र नाथ टैगोर और मिसाइल मैन एपीजे अब्दुल कलाम के फोटो भी लग सकते हैं. उनका दावा है कि ₹2000 के नोटों की छपाई अभी बंद है लेकिन बाजार में इनका चलन बना हुआ है.

कौन हैं अमरेंद्र आनंद

अमरेंद्र आनंद बहुत कम उम्र से ही क्वाइंस और नोटों के जानकार हो गए थे. इनके पास पुराने भारत के क्वाइंस और नोटों की अपनी लाइब्रेरी है. इनके कलेक्शन को देखने दूर-दराज़ से लोग कोयलांचल पहुंचते हैं. इन्होंने अपने घर को ही लाइब्रेरी बना कर रखी है.

 

रिपोर्ट:  शांभवी सिंह, धनबाद