Janmashtami 2021: जन्माष्टमी का त्यौहार हर वर्ष भादो महीनें के कृष्ण पक्ष के अष्टमी तिथि को मनाई जाती है.शास्त्रों के मुताबिक हिन्दू धर्म के वैष्णव संप्रदाय के लोगों के द्वारा यह पर्व खास और अलग तरीके से मनाया जाता है.कृष्ण भगवान् के बाल स्वरुप की पूजा आराधना की जाती है.उत्तरी भारत में इस पर्व का अपना अलग ही महत्व है.जन्माष्टमी पर्व में ऐसी कोई बाध्यता नहीं रखी गयी है. इस व्रत को कोई भी उम्र के लोग कर सकते हैं.इस पर्व को महिला,पुरुष,बच्चे और बुजुर्ग सभी करते हैं.
छोटे बच्चों को हर वर्ष राधा-रानी के स्वरुप में कराया जाता है तैयार
हर वर्ष जन्माष्टमी में अपने छोटे बच्चों को सभी अपने घरों में बाल कृष्ण के स्वरुप में तैयार करते हैं.छोटी बच्चियां राधा का स्वरुप धारण करती हैं.स्कूलों में भी सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन कराया जाता है.सभी अपने बच्चों को अलग अलग अंदाज में बाल कृष्ण के परिधान को धारण करवाते हैं.बाल कृष्ण के परिधान में सर से लेकर पांव तक बच्चों को आभूषण भी पहनाया जाता है.
उस आभूषण में क्या-क्या है शामिल
छोटे बच्चों को बाल कृष्ण के स्वरुप में पिले रंग का वस्त्र धारण कराया जाता हैं. गले में चन्द्रहार पहनाया जाता है.मोतियों से जड़ी हुई मुकुट पहनाई जाती है.बच्चों को पारम्परिक धोती और कुर्ता पहनाया जाता है. बच्चों को सर पर पगड़ी के साथ मयूर पंख भी लगाया जाता है.मयूर पंख लगते हीं पगड़ी का खूबसूरती और भी देखने लायक होता है.छोटे बच्चे बांसुरी के साथ बेहद प्यारे दिखते हैं वहीँ बच्चियों को राधा रानी के स्वरुप में तैयार कराया जाता है. बच्चियां पारम्परिक परिधान लहंगा और चुनरी पहनती हैं.राधा रानी के स्वरुप में तैयार बच्चियां अपने सर पर मटके लेकर,बांसुरी बजाने वाले कान्हा के साथ नृत्य प्रस्तुत करती है.हर वर्ष ये सभी साज सज्जा के परिधान और आभूषण बाजारों में आसानी से मिल जाता है.
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