रांची (RANCHI) : कोडरमा झारखंड की 14 लोकसभा सीटों में से महत्वपूर्ण लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र है. 2019 में यह सीट बीजेपी ने जीता था. यहां से अन्नपूर्णा देवी सांसद हैं, जो केंद्र में शिक्षा राज्य मंत्री हैं. राजद से बीजेपी में आयी अन्नपूर्णा देवी ने 2019 के चुनाव में झारखंड विकास मोर्चा के संस्थापक और वतर्मान बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी को 4 लाख 55 हजार से भी ज्यादा वोट से हराया था. लोकसभा चुनाव के एलान से पहले बीजेपी ने उन्हें टिकट भी दे दिया. हालांकि विपक्ष ने अभी तक उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है, जबकि लोकसभा चुनाव का बिगुल बज गया है. चुनाव आयोग द्वारा घोषित कार्यक्रम के अनुसार यहां पांचवें चरण में 20 मई को मतदान होगा.
तीन जिलों के क्षेत्र को कवर करता है कोडरमा लोकसभा क्षेत्र
यह निर्वाचन क्षेत्र पूरे कोडरमा जिले और हजारीबाग और गिरिडीह जिलों के कुछ हिस्सों को कवर करता है. कोडरमा लोकसभा क्षेत्र में छह विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं. जिसमें कोडरमा, बरकट्ठा, धनवार, बगोदर, जमुआ और गांडेय शामिल है. कोडरमा लोकसभा सीट बीजेपी की सबसे सुरक्षित सीट मानी जाती है. 2014 के चुनाव में बीजेपी के रवींद्र कुमार राय ने मोदी लहर में 365,410 वोटों से जीत हासिल की थी.
मतदाता और सामाजिक तानाबाना
कुल आबादी की बात करें तो 2011 की जनगणना के मुताबिक यहां की आबादी 28 लाख 27 हजार 701 है. यहां की लगभग 93.52 फीसदी आबादी गावों में रहती है, वहीं 06.48 फीसदी आबादी शहर में रहती है. जातीय समीकरण की बात करें तो यहां पर एससी समुदाय की आबादी 14.05 प्रतिशत है और एसटी समुदाय की आबादी 05.96 प्रतिशत है. यादव, मुस्लिम व अन्य पिछड़ा बहुल इस लोकसभा क्षेत्र में भाजपा अन्य पिछड़ा वैश्य व अगड़ी जाति के समन्वय से हमेशा ही कांग्रेस, राजद व वाम दलों के एमवाई गठजोड़ पर भारी रही है.
13 चुनावों में कुल 8 बार जीती भाजपा
वर्ष 1977 में चतरा से अलग होकर पहली बार अस्तित्व में आने के बाद कोडरमा लोकसभा क्षेत्र से पूर्व सांसद स्वर्गीय रीतलाल प्रसाद वर्मा 5 बार सांसद निर्वाचित हुए हैं. वे 1977 में भारतीय लोकदल, 1980 में जनता पार्टी, 1989, 1996 और 1998 में भाजपा प्रत्याशी के रूप में चुनाव जीते. इसके बाद वर्ष 2004 में बाबूलाल मरांडी, वर्ष 2006 में भाजपा से अलग होने के बाद बाबूलाल मरांडी अपनी लोकप्रियता के कारण निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में यहां से लोकसभा का उपचुनाव जीते. वहीं, 2009 में बाबूलाल मरांडी अपनी पार्टी झारखंड विकास मोर्चा के निशान पर सांसद चुने गए. वहीं 2014 में रविंद्र राय, और 2019 में वर्तमान सांसद अन्नपूर्णा देवी को भाजपा के टिकट पर एक-एक बार यहां से जीतने का मौका मिला. इस बीच वर्ष 1984 और 1999 में दो बार इस सीट से कांग्रेस के तिलकधारी सिंह और एक बार 1991 में जनता दल के मुमताज अंसारी ने जीत का परचम लहराया. यानी अबतक हुए कुल 13 चुनावों में कुल 8 बार भाजपा के ही उम्मीदवार (भारतीय लोकदल और जनता पार्टी मिलाकर) विजयी रहे.
भाजपा से अलग होने के बाद बाबूलाल मरांडी के दो कार्यकाल को इसमें जोड़ दिया जाए तो जीत की यह संख्या 10 हो जाती है. वहीं वर्ष 2004 से भाकपा माले यहां लाल झंडा गाड़ने का लगातार प्रयास कर रही है. भाकपा माले के राजकुमार यादव को दो बार 2009 और 2014 के चुनाव में फर्स्ट रनर अप रहने का मौका जरूर मिला, लेकिन मैदान अब तक फतह नहीं कर पाए.
उद्योग धंधों का घोर अभाव
क्षेत्र में रोजगार के साधन नहीं हैं, जिसका असर यहां के लोगों के जन-जीवन पर दिखता है. यहां रोजगार की घोर समस्या है. रोजगार को लेकर कोई उद्योग नहीं है. इलाके के लिए पलायन बड़ा मुद्दा है. लोग रोजगार की तलाश में पलायन को मजबूर हैं. लोगों का कहना है कि पिछले 10 सालों में यहां कोई नया उद्योग नहीं लगा है. ढिबरा उद्योग को पुनर्जीवित करने का प्रयास गया, लेकिन आगे नहीं बढ़ पाया. बीच में ही यह लटक गया. क्रशर व पत्थर उद्योग की स्थिति में सुधार को लेकर कोई ठोस पहल नहीं हुई. कोडरमा में एक भी ट्रॉमा सेंटर नहीं है. यह इलाका नक्सल प्रभावित है. यहां के स्टूडेंट्स को हायर एजुकेशन के लिए बाहर जाना पड़ता है. लोगों को रोजगार दिलाने में अन्नपूर्णा देवी नाकाम साबित हुई है. जिसके कारण लोग उनसे नाराज चल रहे हैं.
सड़क की हालत खराब
कोडरमा लोकसभा क्षेत्र के कई ऐसे इलाके हैं जहां सड़कों का घोर अभाव है. सड़क नहीं बनने से लोग नाराज हैं. नाराज मतदाता इस बार वोट देने के मूड में नहीं है. दरअसल गिरिडी-धनबाद मुख्य मार्ग से चिहुंटिया गांव के बीच आवागमन आसान नहीं है. मुख्य सड़क से संपर्क नहीं होने के कारण यहां की आबादी काफी परेशान है. शिक्षा, चिकित्सा के क्षेत्र में भी घोर अभाव है. बता दें कि हाल ही में जब वह क्षेत्र भ्रमण पर निकले थे तो इस इलाके में उनके खिलाफ ग्रामीणों ने खूब नारा लगाया था. यहां खिलाड़ियों को बुनियादी सुविधाएं नहीं मिलती. इस लोकसभा क्षेत्र में समाज के हर तबके के लोगों की अपनी-अपनी समस्याएं हैं.
लोगों का क्या है कहना ?
हालांकि सांसद अन्नपूर्णा देवी और विरोधियों के अपने-अपने दावे हैं. लेकिन अब गेंद पूरी तरह से जनता के हाथों में है. लोगों का कहना है कि यहां बहुत समस्याएं है जिसका समाधान अभी तक नहीं हुआ है. वो अपने वादे पर खड़ी नहीं उतरी. लोगों की नाराजगी मौजूदा सांसद अन्नपूर्णा देवी से जरूर है. लेकिन कुछ लोगों का कहना है जैसा होना चाहिए वैसा नहीं हुआ है. अब देखना होगा कि आने वाले लोकसभा चुनाव में मतदाता किस पार्टी के प्रत्याशी को वोट करती है, जो यहां की समस्याओं को दूर कर सके. हालांकि अभी तक इंडिया गठबंधन की ओर से किसी प्रत्याशी की घोषणा नहीं हुई है. लेकिन कहा जा रहा है कि जल्द ही प्रत्याशियों के नाम का एलान हो जायेगा.
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