टीएनपी डेस्क(TNP DESK): पितृपक्ष का हिंदू धर्म में खास महत्व है. पितृपक्ष के दौरान पूरी श्रद्धा के साथ पूर्वजों को याद किया जाता है. इस दौरान हिंदू परिवार पूरे विधि पूर्वक अपने पूर्वजों का श्राद्ध करते हैं ताकि उनकी आत्मा को शांति मिल सके. इससे प्रसन्न होकर पूर्वज अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं.
पितृ पक्ष हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से शुरू होता है और 15 दिनों तक चलता है. इस वर्ष पितृपक्ष 10 सितंबर से शुरू हो रहा है और 25 सितंबर को समाप्त होगा. इस दौरान कौवे का बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है. मान्यता है कि इस दौरान हमारे पूर्वज कौवे के रूप में धरती पर आते हैं. वहीं, इस दौरान मांस, मदीरा, बाल और नाखून नहीं काटना चाहिए. ऐसे करने से पितृ नाराज हो जाते हैं.
पितृपक्ष के अगले दिन से नवरात्रि प्रारंभ
पितृपक्ष 15 दिनों का होता है. पक्ष खत्म होते ही यानी कि पितृपक्ष के अगले दिन से शारदीय नवरात्रि शुरू हो जाती है. बात अगर इस साल की करें तो इस साल 26 सितंबर से शुरू हो रहा है.
पितृपक्ष में पिंडदान के दौरान किस देवता की होती है पूजा
पितृ पक्ष में पिंडदान व श्राद्ध काम के दौरान भगवान विष्णु की विशेष पूजा होती है. श्राद्ध में भगवान विष्णु की पूजा करने से प्रेत से पितृ योनी में जाने का रास्ता खुल जाता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है.
पितृपक्ष में कौओं का महत्व
ऐसा माना जाता है कि पूर्वज कौए का रूप लेकर आते हैं. श्राद्ध ग्रहण करने के लिए हमारे पितृ कौए का रूप धारण कर नियत तिथि पर दोपहर के समय हमारे घर आते हैं. अगर उन्हें श्राद्ध नहीं मिलता तो वे रुष्ट हो जाते हैं.
इस साल श्राद्ध की तिथियां
10 सितंबर- पूर्णिमा श्राद्ध (शुक्ल पूर्णिमा), प्रतिपदा श्राद्ध (कृष्ण प्रतिपदा)
11 सितंबर- आश्निन, कृष्ण द्वितीया
12 सितंबर- आश्विन, कृष्ण तृतीया
13 सितंबर- आश्विन, कृष्ण चतुर्थी
14 सितंबर- आश्विन,कृष्ण पंचमी
15 सितंबर- आश्विन,कृष्ण पष्ठी
16 सितंबर- आश्विन,कृष्ण सप्तमी
18 सितंबर- आश्विन,कृष्ण अष्टमी
19 सितंबर- आश्विन,कृष्ण नवमी
20 सितंबर- आश्विन,कृष्ण दशमी
21 सितंबर- आश्विन,कृष्ण एकादशी
22 सितंबर- आश्विन,कृष्ण द्वादशी
23 सितंबर- आश्विन,कृष्ण त्रयोदशी
24 सितंबर- आश्विन,कृष्ण चतुर्दशी
25 सितंबर- आश्विन,कृष्ण अमावस्या
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