टीएनपी डेस्क (TNP DESK) : छठ पर्व के दौरान महिलाओं में पीरियड (मासिक धर्म) रोकने वाली दवाओं की मांग अचानक बढ़ गई है. व्रत में बाधा न आए, इस कारण कई महिलाएं बिना डॉक्टर की सलाह के ऐसी दवाएं खरीद रही हैं. विशेषज्ञों ने इसे बेहद खतरनाक बताया है. उनका कहना है कि इनसे हार्मोनल असंतुलन, लिवर संबंधी दिक्कतें और प्रजनन क्षमता पर असर पड़ सकता है.
आस्था के बीच बढ़ता खतरा
छठ महापर्व के मौके पर जहां महिलाएं श्रद्धा और तपस्या में लीन हैं, वहीं दवा दुकानों पर इन गोलियों की बिक्री में तेज़ उछाल देखा जा रहा है. कई मेडिकल स्टोर संचालकों के मुताबिक, पिछले कुछ दिनों में मांग लगभग दोगुनी हो गई है. अधिकांश महिलाएं बिना चिकित्सकीय परामर्श के सिर्फ दवा का नाम बताकर उसे खरीद रही हैं.
डॉक्टरों की चेतावनी
विशेषज्ञों ने इस प्रवृत्ति को चिंताजनक बताया है. उनका कहना है कि मासिक धर्म को रोकने या आगे बढ़ाने वाली दवाएं हार्मोनल होती हैं, जो शरीर में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन के स्तर को अस्थायी रूप से बदल देती हैं. बार-बार या बिना निगरानी सेवन करने से वजन बढ़ना, मुंहासे, बाल झड़ना, अनियमित पीरियड्स और गर्भधारण में कठिनाई जैसी समस्याएं हो सकती हैं.
डॉक्टरों का स्पष्ट कहना है कि यदि किसी धार्मिक कारण या यात्रा के लिए पीरियड्स को आगे-पीछे करना ज़रूरी लगे, तो पहले विशेषज्ञ की सलाह लेना आवश्यक है, क्योंकि हर महिला का शरीर अलग होता है और हर दवा सभी के लिए सुरक्षित नहीं होती.
लिवर के मरीजों को विशेष सावधानी
चिकित्सकों ने यह भी बताया कि जिन महिलाओं को लिवर से जुड़ी समस्याएं हैं, उन्हें इन दवाओं से पूरी तरह बचना चाहिए. इनमें मौजूद तत्व लिवर को नुकसान पहुंचा सकते हैं और शरीर में ज़हरीले पदार्थ जमा हो सकते हैं.
विशेषज्ञों ने सलाह दी है कि धार्मिक आस्था अपनी जगह है, लेकिन स्वास्थ्य सबसे पहले है. सिर्फ व्रत या पर्व के लिए शरीर के प्राकृतिक चक्र में दखल देना लंबे समय में गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है.

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