रांची(RANCHI):  झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से जुड़े खनन लीज मामले में जबसे चुनाव आयोग ने अपना मन्तव्य राज्यपाल को सौंपा है, तभी से ही सभी की निगाहें राज्यपाल पर टिक चुकी हैं. करीब एक महीने होने को हैं. मगर, राज्यपाल ने चुनाव आयोग का फैसला सार्वजनिक नहीं किया है. इस बारे में जब राज्यपाल रमेश बैस से पूछा गया कि फैसला सुनाने में देरी क्यों हो रही है. इसके जवाब में राज्यपाल ने कहा कि “लिफाफा चिपक गया है, खुल ही नहीं रहा है”.

चुनाव आयोग से सीएम ने मांगी थी फैसले की कॉपी

बता दें कि पिछले एक महीने से राज्य से लेकर पूरे देश की निगाह झारखंड की राजनीति पर टिकी हुई है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन खुद इस बारे में कई बार बयान दे चुके हैं कि राज्यपाल जल्द से जल्द फैसला सार्वजनिक करें. राज्यपाल द्वारा फैसला देने में देरी करने के बाद हेमंत सोरेन दिल्ली गए थे. वहां उन्होंने चुनाव आयोग से फैसले की एक कॉपी मांगी थी. मगर, आज ही चुनाव आयोग ने सीएम की मांग का जवाब देते हुए कहा है कि उन्हें फैसले की कॉपी नहीं दी जा सकती, क्योंकि ये दो संवैधानिक पदों के बीच का मामला है.

इससे पहले सीएम हेमंत सोरेन ने खुद राज्यपाल से मुलाकात की थी. उस मुलाकात में भी सीएम हेमंत सोरेन ने फैसला जल्द सुनाने की मांग की थी. इससे पहले यूपीए का भी एक प्रतिनिधिमण्डल राज्यपाल से मिला था. मगर, राज्यपाल ने अभी तक फैसला नहीं सुनाया है.    

किस मामले की हो रही चर्चा   

दरअसल, हेमंत सोरेन पर रांची के अनगड़ा में 88 डिसमिल पत्थर माइनिंग लीज लेने का आरोप है. 10 फरवरी को पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के नेतृत्व में भाजपा के एक प्रतिनिधि मंडल ने राज्यपाल से मुलाकात कर इस मामले में हेमंत सोरेन की सदस्यता रद्द करने की मांग की थी. उन्होंने कहा था कि सीएम हेमंत सोरेन ने पद पर रहते हुए माइनिंग लीज ली है. यह लोक जनप्रतिनिधित्व अधिनियम (RP) 1951 की धारा 9A का उल्लंघन है. राज्यपाल ने यह शिकायत चुनाव आयोग को भेज दी थी. आयोग ने राजभवन अपना मंतव्य भेज दिया है, अब राज्यपाल अपनी अनुशंसा आयोग को भेजेंगे.