रांची(RANCHI): राष्ट्रपति पद की NDA प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू गत 4 जुलाई को प्रचार के सिलसिले में रांची आई थीं. अब UPA के राष्ट्रपति उम्मीद्वार यशवंत सिन्हा रांची पहुंचे हैं. उन्होंने होटल चाणक्य BNR में प्रेस से रूबरू हुए. मौके पर कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे और प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर भी मौजदू थे. बता दें कि यशवंत सिन्हा 28 जून से ही पूरे देश का भ्रमण कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति चुनाव हमारे समय में दैनिक व्यवस्था में पूरे देश का चुनाव होता है. विधानसभा का चुनाव, लोकसभा का चुनाव कोई खड़ा होता तो एक निर्वाचन क्षेत्र से खड़ा होता है. लेकिन राष्ट्रपति का चुनाव के लिए विधायकों से समर्थन मांगा जाए और सभी जगह पर प्रेस वार्ता की जाए. खासकर रांची के मीडिया के माध्यम से पूरे देश को संदेश देना चाहता हूं कि आप जानते हैं कि राष्ट्रपति का पद संवैधानिक पद है लेकिन हर 5 साल में चुनाव होता है. इस बार का चुनाव कुछ असाधारण पस्थिति में है. मैंने इसकी कल्पना नहीं की थी कि मुझे विपक्षी दल अपना साझा उम्मीदवार बनाएगा और मैंने उसे स्वीकार किया.
बद से बदतर होती जा रही देश की स्थिति
उन्होंने कहा कि हमारे देश की स्थिति दिन प्रतिदिन बद से बदतर होती जा रही है. जब हमने 29 तारीख को त्रिवेंद्रम से अपना कार्यक्रम शुरू किया तो मैं उस दिन कुछ कहने की स्थिति में नहीं था. इतना कह सकता हूं कि प्रजातंत्र खतरे में है लेकिन प्रजातंत्र समाप्त प्राय हो गया है. यह मैं आज रांची में कह सकता हूं. 29 तारीख को त्रिवेंद्रम में नहीं कह सकता था. आप सभी अवगत हैं कि संसद में बोलते समय कौन-कौन से शब्द अनपार्लियामेंट्री माने जाते हैं इसकी एक सूची है जो सत्ता पक्ष के लोगों तो कर सकते हैं लेकिन जो भी विपक्ष के लोग हैं वो उसे करते हैं तो तुरंत निदेशालय अनपार्लियामेंट्री बोलने लगती है. संसद के अंदर जो चर्चा हो रहा है उस पर एक प्रकार से प्रतिबंध है. दूसरी बात है कि संसद का अधिकार था कि संसद के बाहर विरोध कर सकें. हाउस में प्रदर्शन विरोध करने के बाद स्थगित हो गया तो पार्लियामेंट से बाहर निकल कर अपना विरोध दर्ज कराते थे. अंबेडकर की प्रतिमा के पास आकर बैठते थे पत्रकारों से बात करते थे लेकिन अब ऐसा नहीं कर सकते. पार्लियामेंट के अंदर किसी भी तरह का विरोध प्रदर्शन नहीं कर सकते हैं तो पार्लियामेंट के अंदर और बाहर नहीं भूल सकता लोकतंत्र का मंदिर कहा जाता है. उस संसद के योग्य लोकशाही की संस्थाएं थी.
प्रजातंत्र का मंदिर ही खत्म हो गया
प्रजातंत्र का मंदिर ही खत्म हो गया तो प्रजातंत्र ही खत्म हो गया. प्रजातंत्र को हर हाल में जिंदा रखेंगे. कहां क्या हुआ संविधान कहां गया हमारा प्रजातंत्र इस बार राष्ट्रपति पद का चुनाव देशभर में घूमकर उसके आधार पर मैं कह रहा हूं. लोग बहुत आहत में हैं. बहुत दुखी हैं अपने और व्यक्त कर सकें या ना कर सके मीडिया के माध्यम से आगे बढ़े या ना बढ़े लेकिन एक अजीब सा डर का वातावरण इस मुल्क में है. गृह मंत्री पर कटाक्ष करते हुए कहा कि मंत्री, सांसद आम आदमी डरे हुए हैं. सीबीआई का दुरुपयोग उससे आप समझ सकते हैं कि कितना डर इस देश में फैल गया है. सरकार के खिलाफ वहीं खड़ा हो सकता है जो बेदाग हो, जिसमें लड़ने की हिम्मत हो बाकी यह लोग दबा देंगे इसलिए बहुत ही महत्वपूर्ण हो गया है मेरे सामने उम्मीदवार हैं उनके बारे में कुछ नहीं कहना है पहचान की लड़ाई नहीं है यह तो विचारधारा की लड़ाई है एक फिर वह लोग खड़े हैं, जिसमें मैं भी अपने को शामिल करता हूं ज्यादा की लोकशाही बचे उन से चर्चा करने की जरूरत नहीं थी. इस बीच में अगर महाराष्ट्र में सरकार टूट गई तो सरकारी एजेंसी का गोवा में कांग्रेस के विधायकों को हुए राष्ट्रपति चुनाव से ठीक पहले तोड़ने का प्रयास किया गया.
पत्रकारों के सवाल का जवाब देते हुए यशवंत सिन्हा ने कहा
गोवा में राष्ट्रपति चुनाव के ठीक पहले सरकार तोड़ने की प्रयास की गई. विचारधारा की लड़ाई है, अनुसूचित जानजाति को बनाए प्रधानमंत्री. वोटर्स को दोनों व्यक्तित्व का एनालिसिस करना चहिए. चुने हुए प्रतिनिधि विवेक का इस्तेमाल करें. राष्ट्रपति चुनाव के वोटर्स अपनी अंतरात्मा की आवाज को सुने और वोट करें.
रिपोर्ट: रंजना कुमारी, रांची
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